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बिहार की सियासत में 'सियासी महाभारत' का सबसे बड़ा धमाका! एनडीए के भीतर ही क्यों भिड़े 'युवा' और 'अनुभवी' नेता?
Jitan Ram Manjhi reacts on Chirag Paswan: बिहार में इन दिनों एक अजीब सियासी खेल चल रहा है। एक तरफ अपराध का ग्राफ तेजी से बढ़ रहा है, तो दूसरी तरफ सत्ताधारी दल के दो सबसे बड़े नेता ही आपस में भिड़ गए हैं।
Jitan Ram Manjhi reacts on Chirag Paswan: बिहार में इन दिनों एक अजीब सियासी खेल चल रहा है। एक तरफ अपराध का ग्राफ तेजी से बढ़ रहा है, तो दूसरी तरफ सत्ताधारी दल के दो सबसे बड़े नेता ही आपस में भिड़ गए हैं। एक को जान से मारने की धमकी मिली, तो दूसरे ने उस पर ऐसा कटाक्ष किया कि सियासी गलियारों में तूफान आ गया है। हम बात कर रहे हैं केंद्रीय मंत्री और लोक जनशक्ति पार्टी (रामविलास) के प्रमुख चिराग पासवान की, जिन्होंने बिहार में लगातार हो रही हत्याओं पर सरकार पर सवाल उठाए। लेकिन उनके इस बयान पर एनडीए के ही दूसरे दिग्गज नेता और केंद्रीय मंत्री जीतन राम मांझी ने उन्हें महाभारत के 'अभिमन्यु' की कहानी सुनाकर ऐसी नसीहत दी, जिसने पूरे बिहार को चौंका दिया है। यह सिर्फ दो नेताओं के बीच की जुबानी जंग नहीं है, बल्कि एनडीए के भीतर चल रहे उस अंदरूनी टकराव का संकेत है, जिसे अब तक दबाने की कोशिश की जा रही थी। यह मामला बताता है कि बिहार में कानून-व्यवस्था पर सिर्फ विपक्ष ही नहीं, बल्कि सत्ता पक्ष के लोग भी सवाल उठा रहे हैं।
चिराग पासवान को मिली जान से मारने की धमकी, फिर क्यों गुस्सा हुए मांझी?
यह पूरा मामला तब शुरू हुआ, जब केंद्रीय मंत्री चिराग पासवान को बीते शुक्रवार को सोशल मीडिया पर जान से मारने की धमकी मिली। धमकी में कहा गया था कि 20 जुलाई से उन्हें बम से उड़ा दिया जाएगा। इस धमकी के बाद चिराग का गुस्सा फूटना स्वाभाविक था। उन्होंने सीधा सरकार पर हमला करते हुए कहा कि 'बिहारी अब और कितनी हत्याओं की भेंट चढ़ेंगे?' उनका इशारा साफ तौर पर बिहार की कानून-व्यवस्था पर था। चिराग का यह बयान न सिर्फ उनकी पार्टी, बल्कि पूरे बिहार में आग की तरह फैल गया। लेकिन असली सियासी ड्रामा तब शुरू हुआ, जब इसी मुद्दे पर उनके सहयोगी जीतन राम मांझी का बयान सामने आया। मांझी ने चिराग के बयान पर सीधा पलटवार किया, लेकिन उनका अंदाज बेहद तीखा और अलग था। उन्होंने चिराग को 'अभिमन्यु' कह दिया, जिसने राजनीतिक पंडितों को भी सोचने पर मजबूर कर दिया।
'अभिमन्यु' की तरह हैं चिराग, 'चक्रव्यूह' से बाहर निकलने का रास्ता नहीं पता
केंद्रीय मंत्री जीतन राम मांझी ने चिराग पासवान का नाम लिए बिना उन पर हमला बोला। उन्होंने कहा कि 'कभी-कभी भरोसेमंद लोग भी स्थिति को समझ नहीं पाते और उस पर बयान दे देते हैं। चिराग पासवान एनडीए के अच्छे नेता हैं, लेकिन युवा हैं।' मांझी ने आगे जो कहा, वह सबसे ज्यादा चौंकाने वाला था। उन्होंने चिराग की तुलना महाभारत के 'अभिमन्यु' से कर दी। मांझी ने कहा, 'अभिमन्यु को योद्धा बताया गया था और कहा गया था कि वह निश्चित ही चक्रव्यूह को तोड़ देगा। वो अपनी सारी शक्तियों के चलते आगे बढ़े लेकिन उनमें कुछ कमी थी, वो समझ नहीं पाए कि उन्हें ऐसे नहीं उतरना चाहिए था।' यह बात सीधे तौर पर चिराग की राजनीति पर सवाल उठाती है। मांझी का इशारा साफ था कि चिराग जोश में आकर ऐसे बयान दे देते हैं, जो उनकी ही पार्टी और गठबंधन के लिए मुश्किलें खड़ी कर देते हैं।
'कुछ कमियां हैं', जिसकी वजह से एनडीए पर उठ रही उंगलियां।
मांझी यहीं नहीं रुके। उन्होंने अपनी बात को और साफ करते हुए कहा, 'उसी तरह जिस व्यक्ति का आप नाम ले रहे हैं, उसमें निश्चित रूप से कुछ कमियां हैं और कोई भी बयान देने से पहले भूत, वर्तमान और भविष्य को देखकर पूरी स्थिति को समझना जरूरी है।' मांझी ने आगे कहा कि, 'जिस शख्स का आप नाम ले रहे हैं, उनमें जरूर कुछ कमियां हैं, जिसकी वजह से एनडीए पर उंगलियां उठ रही हैं।' यह बात सीधे-सीधे चिराग पासवान की विश्वसनीयता पर सवाल उठाती है और बताती है कि एनडीए के भीतर सब कुछ ठीक नहीं चल रहा है। यह आरोप एक तरह से चिराग पर ही यह जिम्मेदारी डालता है कि उनके बयानों से विपक्ष को सत्ता पर हमला करने का मौका मिल रहा है।
'लालू युग' से तुलना और 'राजनीति से प्रेरित' घटनाएं
चिराग पर हमला करने के बाद मांझी ने विपक्ष पर भी जमकर निशाना साधा। उन्होंने लालू यादव को कानून-व्यवस्था पर बोलने का कोई अधिकार नहीं होने की बात कही। मांझी ने कहा कि 2005 से पहले बिहार में जब भी कोई आपराधिक घटना होती थी, तो अपराधी पकड़े ही नहीं जाते थे। यह सीधे तौर पर 'लालटेन युग' यानी लालू-राबड़ी शासन की याद दिलाता है। उन्होंने कहा कि यह सच है कि घटनाएं होती हैं, लेकिन अब मायने यह रखता है कि सरकार कैसे प्रतिक्रिया देती है। मांझी ने यह भी दावा किया कि बिहार में हो रही घटनाएं राजनीति से प्रेरित हैं। उन्होंने सवाल उठाया कि ऐसी घटनाएं पहले क्यों नहीं हुईं? यह पूरा मामला दिखाता है कि बिहार की राजनीति में अब सिर्फ विपक्ष और सत्ता पक्ष की लड़ाई नहीं है, बल्कि एनडीए के भीतर भी गुपचुप तरीके से एक जुबानी जंग शुरू हो चुकी है। यह साफ है कि चिराग पासवान और जीतन राम मांझी के बीच विचारों का टकराव है। क्या यह टकराव गठबंधन की सेहत के लिए अच्छा है? या फिर 'अभिमन्यु' और 'अनुभवी' के बीच की यह लड़ाई बिहार में एक नए सियासी चक्रव्यूह की शुरुआत है? यह तो आने वाला वक्त ही बताएगा।
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