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बिहार में वोटर लिस्ट पर बवाल! तेजस्वी ने उठाया सवाल, राहुल गांधी करेंगे चक्का जाम, 9 जुलाई को बिहार बंद का एलान
Bihar Voter List Controversy: राष्ट्रीय जनता दल (RJD) के नेता तेजस्वी यादव ने प्रेस कॉन्फ्रेंस कर चुनाव आयोग पर सीधा हमला बोला और मतदाता सूची के विशेष गहन पुनरीक्षण (SIR) को लेकर गंभीर सवाल खड़े कर दिए।
Bihar Voter List Controversy: बिहार की राजनीति में सोमवार की सुबह जैसे सियासी विस्फोट के साथ शुरू हुई। राष्ट्रीय जनता दल (RJD) के नेता तेजस्वी यादव ने प्रेस कॉन्फ्रेंस कर चुनाव आयोग पर सीधा हमला बोला और मतदाता सूची के विशेष गहन पुनरीक्षण (SIR) को लेकर गंभीर सवाल खड़े कर दिए। उन्होंने इसे "लोकतंत्र के साथ खिलवाड़" करार दिया और आरोप लगाया कि चुनाव आयोग बीजेपी के इशारे पर काम कर रहा है। तेजस्वी यादव के इस बयान ने बिहार की राजनीति में एक नया तूफान खड़ा कर दिया है। उन्होंने न सिर्फ आयोग की निष्पक्षता पर सवाल खड़े किए, बल्कि यह भी चेताया कि अगर इस प्रक्रिया में सुधार नहीं हुआ तो यह आने वाले विधानसभा चुनावों को गहरा प्रभावित कर सकता है।
"चुनाव आयोग बना है डाकघर!" – तेजस्वी का तीखा वार
तेजस्वी यादव ने प्रेस को संबोधित करते हुए कहा, “बिहार चुनाव आयोग सिर्फ एक डाकघर बनकर रह गया है, उसे कुछ कहने का कोई अधिकार ही नहीं बचा है।” उन्होंने बताया कि 5 जुलाई को उन्होंने चुनाव आयोग से मुलाकात की थी और उन्हें जो आश्वासन दिए गए थे, वे अब तक सिर्फ कागज़ों तक ही सीमित हैं।सबसे बड़ी चिंता का विषय यह है कि आयोग ने तीन अलग-अलग निर्देश जारी किए हैं जो आपस में ही विरोधाभासी हैं। “विज्ञापन में कहा जाता है कि कोई भी व्यक्ति बिना दस्तावेजों के गणना प्रपत्र भर सकता है, लेकिन आदेश में साफ तौर पर विरोधाभासी बातें लिखी गई हैं। यह किसकी चाल है?” तेजस्वी ने सवाल उठाया।
"आधार क्यों नहीं मान्य? क्या किसी साजिश की तैयारी?"
तेजस्वी यादव ने पुनरीक्षण प्रक्रिया में आधार कार्ड को अमान्य बताने पर भी तीखा सवाल उठाया। उन्होंने कहा कि “अगर नया वोटर कार्ड बनाने के लिए आधार मान्य है, तो मतदाता सूची के पुनरीक्षण में ये अपात्र क्यों हो गया?” उन्होंने आरोप लगाया कि आयोग की चुप्पी और भ्रमजनक आदेश यह संकेत दे रहे हैं कि किसी गहरी राजनीतिक साजिश की भूमिका तैयार हो रही है। तेजस्वी का आरोप था कि जानबूझकर कमजोर वर्गों, दलितों, पिछड़ों और मुस्लिम मतदाताओं को इस प्रक्रिया से बाहर करने की कोशिश हो रही है। “ऐसा लगता है जैसे एक एजेंडा तय किया गया है – और उसे चुनाव आयोग के जरिए लागू किया जा रहा है,” उन्होंने कहा।
राहुल गांधी की एंट्री और कांग्रेस का ऐलान
तेजस्वी के सुर में सुर मिलाते हुए कांग्रेस ने भी चुनाव आयोग पर सीधा हमला बोला। पार्टी ने घोषणा की है कि 9 जुलाई को बिहार में ‘चक्का जाम’ किया जाएगा, और इसमें खुद राहुल गांधी भी हिस्सा लेंगे। कांग्रेस नेताओं ने दावा किया कि आयोग पूरी तरह से कंफ्यूज है और उसे खुद समझ नहीं आ रहा कि वह क्या आदेश निकाले और क्या वापस ले। कांग्रेस के प्रदेश प्रभारी ने कहा, “ये कोई तकनीकी गलती नहीं है, बल्कि लोकतंत्र को हाईजैक करने की संगठित कोशिश है। हम इसे किसी कीमत पर नहीं होने देंगे।”
बीजेपी का पलटवार – "तेजस्वी मुस्लिम वोटरों को डरा रहे हैं
आरजेडी और कांग्रेस के आरोपों पर बीजेपी ने कड़ा पलटवार किया है। पार्टी के वरिष्ठ नेता शाहनवाज हुसैन ने कहा कि मतदाता सत्यापन प्रक्रिया पूरी तरह नियमित है और इसका उद्देश्य सिर्फ सही मतदाता को पहचान देना है। उन्होंने कहा, “आरजेडी और कांग्रेस खासतौर पर मुस्लिम वोटरों को डरा रहे हैं। वे अफवाह फैला रहे हैं कि उनका वोट रद्द हो जाएगा, जबकि ऐसा कुछ नहीं है। ये वही लोग हैं जो हर चुनाव से पहले फर्जी नैरेटिव गढ़ते हैं।” बीजेपी ने यह भी कहा कि सुप्रीम कोर्ट में मामला लंबित है और आयोग सिर्फ उसी के अनुसार काम कर रहा है। “अगर किसी को आपत्ति है तो कोर्ट का दरवाजा खुला है, लेकिन वोटर को डराना बंद करें,” शाहनवाज ने दो टूक कहा।
चुनावी साल में आयोग बना सियासत का अखाड़ा?
बिहार में विधानसभा चुनाव की तैयारी जैसे-जैसे तेज हो रही है, वैसे-वैसे चुनाव आयोग को भी राजनीतिक हमलों का केंद्र बना दिया गया है। आरजेडी और कांग्रेस जहां आयोग को ‘भाजपा का मोहरा’ बता रही हैं, वहीं बीजेपी इसे पारदर्शिता की दिशा में जरूरी कदम करार दे रही है। सवाल यह है कि क्या मतदाता सूची को लेकर उठी इस बहस का असर चुनावी माहौल पर पड़ेगा? क्या आयोग अपनी निष्पक्षता साबित कर पाएगा? और क्या तेजस्वी-राहुल की ये जुगलबंदी बिहार में कोई नया सियासी समीकरण खड़ा कर पाएगी? एक बात तय है – बिहार का चुनावी समर शुरू हो चुका है, और इस बार शुरुआत हुई है मतदाता सूची से... लेकिन खत्म कहां होगी, यह अभी किसी को नहीं पता।
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