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खेल गए Nitish Kumar! अयोध्या से भी आगे जाएगा बिहार? नीतीश कुमार ने फूंका 883 करोड़ का चुनावी मंत्र
Bihar Politics: 883 करोड़ की लागत, अयोध्या जैसी भव्यता, और रामायण कालीन आस्था की राजनीति—ये कोई मामूली बात नहीं! पुनौरा धाम—जहां मां सीता का जन्म हुआ था—अब अयोध्या के राम मंदिर के टक्कर का धार्मिक केंद्र बनने जा रहा है।
Bihar Politics: बिहार की सियासत में चुनावी तपिश जितनी तेज़ हो रही है, उतनी ही बड़ी घोषणाएं सामने आ रही हैं। पर इस बार नीतीश कुमार ने जो कदम उठाया है, उसने न सिर्फ विरोधियों की नींद उड़ा दी है, बल्कि पूरे देश का ध्यान एक बार फिर बिहार की ओर खींच लिया है। 883 करोड़ की लागत, अयोध्या जैसी भव्यता, और रामायण कालीन आस्था की राजनीति—ये कोई मामूली बात नहीं! पुनौरा धाम—जहां मां सीता का जन्म हुआ था—अब अयोध्या के राम मंदिर के टक्कर का धार्मिक केंद्र बनने जा रहा है। नीतीश कुमार की कैबिनेट ने इस योजना पर मुहर क्या लगाई, राजनीतिक हलकों में भूचाल आ गया। अब सवाल ये है: क्या नीतीश बिहार चुनाव से पहले 'जानकी कार्ड' खेल रहे हैं? क्या यह सियासी युद्ध में उनका ‘ट्रंप कार्ड’ साबित होगा?
पुनौरा धाम: नीतीश का नया 'धार्मिक मिशन'
मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने खुद सोशल मीडिया पर घोषणा करते हुए लिखा कि वे अत्यंत प्रसन्न हैं कि मां जानकी की जन्मस्थली का समग्र विकास होगा। 883 करोड़ की यह योजना केवल मंदिर निर्माण तक सीमित नहीं है—यह एक ‘रामायण सिटी’ की अवधारणा है, जिसमें यात्रियों, श्रद्धालुओं और पर्यटकों के लिए हाई-टेक सुविधाएं, संग्रहालय, पार्किंग, धर्मशाला, यात्री निवास, आर्ट गैलरी और तीर्थ मार्ग का निर्माण शामिल है। नीतीश ने यह भी कहा कि अगस्त तक शिलान्यास कर दिया जाएगा और निर्माण युद्ध स्तर पर शुरू होगा। इस पूरी योजना को अयोध्या के मॉडल पर खड़ा किया जाएगा—यानि ये न सिर्फ बिहार के लोगों के लिए धार्मिक गौरव का विषय बनेगा, बल्कि आगामी चुनाव में एक बड़ा भावनात्मक ट्रम्प कार्ड भी।
सिर्फ मंदिर नहीं, चुनावी बिगुल!
यह कोई संयोग नहीं है कि जब विधानसभा चुनाव 2025 की गूंज सुनाई देने लगी है, तभी नीतीश कुमार ने यह ऐलान किया है। पिछले कुछ महीनों से नीतीश लगातार नई योजनाओं की घोषणा कर रहे हैं—कभी रोजगार, कभी जातीय सर्वेक्षण, और अब धर्म। 2024 में भाजपा से अलग होकर INDIA गठबंधन में शामिल होने के बाद से नीतीश का सियासी संतुलन लगातार बदलता रहा है, और अब यह 'धार्मिक घोषणा' उनके बदले हुए रणनीतिक सोच का हिस्सा मानी जा रही है। राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि नीतीश अब भाजपा के 'राम' नैरेटिव को 'सीता' नैरेटिव से टक्कर देना चाहते हैं। यानी एक तरफ जहां भाजपा ने अयोध्या में राम मंदिर से पूरे देश में हिंदू भावनाओं को जोड़ा, वहीं नीतीश अब 'मां जानकी' के नाम पर बिहारियों की भावनाओं को भुनाना चाहते हैं।
क्यों है पुनौरा धाम इतना अहम?
पुनौरा धाम बिहार के सीतामढ़ी जिले में स्थित है और इसे मां सीता के जन्मस्थल के तौर पर जाना जाता है। यह रामायण से जुड़ा वह स्थल है, जिसे अक्सर अयोध्या के मुकाबले उपेक्षित माना गया है। नीतीश कुमार के लिए यह ऐलान सिर्फ एक विकास परियोजना नहीं, बल्कि बिहार की धार्मिक पहचान को राष्ट्रीय मंच पर लाने की कोशिश है। नीतीश चाहते हैं कि अयोध्या की तरह यहां भी देशभर से श्रद्धालु आएं। इससे न सिर्फ बिहार की धार्मिक पर्यटन अर्थव्यवस्था को बढ़ावा मिलेगा, बल्कि नीतीश को एक 'धर्मनिरपेक्ष नेता' की छवि से निकलकर 'धर्म-जागरूक राष्ट्रवादी' नेता के तौर पर पेश होने का मौका मिलेगा।
एक हफ्ते में दूसरी कैबिनेट बैठक—क्या है इसका मतलब?
गौर करने वाली बात ये है कि नीतीश कैबिनेट की ये बैठक एक हफ्ते में दूसरी है, जिसमें कुल 24 एजेंडों पर मुहर लगी। इससे साफ है कि सरकार अब चुनावी मोड में आ चुकी है। पिछले सप्ताह 46 प्रस्तावों को मंजूरी दी गई थी, जिनमें मतपत्रों की छपाई के लिए कोलकाता की सरस्वती प्रेस को चुना जाना भी शामिल था। यह सरकार का एक साफ संकेत है कि अब हर फैसला, हर योजना और हर कदम चुनावी रणनीति का हिस्सा है। और जब फैसला धर्म से जुड़ा हो, तो उसका सियासी असर भी बहुत गहरा होता है।
नीतीश की शांति या सियासत? विपक्ष का वार
विपक्ष ने इस कदम को चुनावी स्टंट बताते हुए सवाल उठाए हैं। राजद और भाजपा दोनों ने पूछा है कि जब पिछले 19 वर्षों से सीएम की कुर्सी पर नीतीश बैठे हैं, तो अब अचानक ये धर्मप्रेम क्यों जागा? क्या वाकई मां जानकी की भव्यता से जुड़ी है यह योजना, या यह नीतीश का आखिरी चुनावी अस्त्र है? भाजपा ने इसे INDIA गठबंधन की सॉफ्ट हिंदुत्व रणनीति का हिस्सा करार दिया है, जबकि राजद ने इसे जनता को गुमराह करने वाला कदम कहा है।
बिहार की सियासत में सीता का उदय!
बिहार की सियासत में आमतौर पर जाति, आरक्षण, बेरोज़गारी और शराबबंदी जैसे मुद्दे छाए रहते हैं। लेकिन अब 'धर्म' और 'आस्था' एक बार फिर केंद्र में आ चुके हैं। अयोध्या के बाद अगर कोई धार्मिक स्थल पूरे भारत में सुर्खियों में आ सकता है, तो वह पुनौरा धाम ही है। और इस समय इसके उद्घोषक बने हैं—नीतीश कुमार। अब देखना ये है कि क्या मां जानकी की आस्था नीतीश को चुनावी वैतरणी पार करा पाएगी? या यह दांव उल्टा पड़ जाएगा? लेकिन फिलहाल, बिहार की सियासत में मां सीता लौट चुकी हैं... और इस बार हाथ में सिर्फ कमल नहीं, एक नई रणनीति भी है!
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