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पटना बना हिंदू राष्ट्र की रणभूमि! धीरेंद्र शास्त्री की गर्जना – ‘भगवा गजवा-ए-हिंद’ की शुरुआत बिहार से, गांधी मैदान में गूंजा सनातन का महाकुंभ
Dhirendra Shastri in Patna: 'सनातन महाकुंभ 2025', जो बिहार विधानसभा चुनाव से पहले पूरे देश की नजरों में सनसनी मचा चुका है।और जब मंच पर बागेश्वर धाम सरकार के पंडित धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री ने माइक संभाला, तो पूरा गांधी मैदान एक नारा बना – "बिहार बनेगा पहला हिंदू राष्ट्र।"
Dhirendra Shastri in Patna: राजधानी पटना का गांधी मैदान रविवार को किसी राजनीतिक रैली से नहीं, बल्कि सनातन की सबसे बड़ी उद्घोषणा से गूंज उठा। भगवा वस्त्रधारी हजारों श्रद्धालु, भारत के कोने-कोने से पहुंचे संत और लाखों की भीड़ ने आज पटना को धर्म की राजधानी बना दिया। वजह थी – 'सनातन महाकुंभ 2025', जो बिहार विधानसभा चुनाव से पहले पूरे देश की नजरों में सनसनी मचा चुका है।और जब मंच पर बागेश्वर धाम सरकार के पंडित धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री ने माइक संभाला, तो पूरा गांधी मैदान एक नारा बना – "बिहार बनेगा पहला हिंदू राष्ट्र।"
यह राजनीति नहीं, राम नीति है
धीरेंद्र शास्त्री ने अपने भाषण की शुरुआत ही ऐसे शब्दों से की जो सीधे सत्ता की नसों तक जा पहुंची – “हम राजनीति नहीं, राम नीति करने आए हैं।” उन्होंने कहा, “अगर भारत को हिंदू राष्ट्र बनना है, तो इसकी शुरुआत बिहार से होगी। और हम बिहार को पहला हिंदू राष्ट्र बनते देखेंगे।” बिहार में जैसे ही विधानसभा चुनाव की गूंज सुनाई दी, धीरेंद्र शास्त्री ने भगवा की ललकार को मैदान में उतार दिया। उन्होंने कहा कि अब वक्त आ गया है जब “धर्म पर अगर घात होगा, तो हम प्रतिघात करेंगे… और 'भगवा गजवा-ए-हिंद' की शुरुआत बिहार से ही होगी।” यह वाक्य पूरे गांधी मैदान में गूंज उठा और जय श्रीराम के नारों ने आसमान तक को कंपा दिया।
रामभद्राचार्य का ऐलान – "हिंदू को बांटने वाला कट जाएगा"
मंच पर मौजूद दूसरे प्रमुख संत जगद्गुरु स्वामी रामभद्राचार्य भी इस महाकुंभ के केंद्र में रहे। उन्होंने मंच से खुलकर कहा, “अब सत्ता हिंदू विरोधियों के हाथ में कभी नहीं जाएगी। हिंदू को जो बांटने की कोशिश करेगा, वो खुद कट जाएगा।” रामभद्राचार्य ने एक और बड़ा आरोप लगाते हुए कहा कि उन्हें और धीरेंद्र शास्त्री को पटना के गांधी मैदान में प्रवेश से रोका गया, लेकिन “जब सनातन का संकल्प जागता है तो कोई शक्ति उसे रोक नहीं सकती।” उन्होंने भी स्पष्ट कर दिया कि अब सनातन की आवाज को कोई दबा नहीं सकता और पटना इस जागरण की पहली राजधानी बन चुका है।
पहली बार पटना बना सनातन का तीर्थ
इतिहास में पहली बार भगवान परशुराम जयंती के मौके पर इतना विशाल सनातन महाकुंभ पटना में आयोजित किया गया। देशभर से आए संत-महात्मा, महामंडलेश्वर, अखाड़ों के प्रतिनिधि और लाखों श्रद्धालु इस महासंगम का हिस्सा बने। गांधी मैदान आज मंदिर सा दिख रहा था। चारों ओर वैदिक मंत्रों का उच्चारण, भजन संध्या की ध्वनि, हवन-पूजन की आभा और भगवा रंग की छटा – ये सब दर्शा रहे थे कि बिहार अब केवल चुनावी राजनीति की भूमि नहीं, बल्कि ‘राम नीति’ की प्रयोगशाला बन चुका है।
क्या बिहार चुनाव 2025 में भगवा बनेगा एजेंडा?
बिहार विधानसभा चुनाव से ठीक पहले इस ‘सनातन महाकुंभ’ का आयोजन केवल धार्मिक भावनाओं का ज्वार नहीं, बल्कि राजनीतिक तूफान भी बन सकता है। धीरेंद्र शास्त्री ने कहा, “हम चुनाव के बाद बिहार का दौरा करेंगे… और सनातन का झंडा गांव-गांव, गली-गली तक ले जाएंगे।” उन्होंने यह भी घोषणा की कि 7 नवंबर से 16 नवंबर तक ‘दिल्ली से वृंदावन यात्रा’ की जाएगी – एक धार्मिक आंदोलन जो सत्ता के गलियारों में भी हलचल मचा सकता है।
विपक्ष की बेचैनी – गांधी मैदान की गूंज सत्ता के सिंहासन तक?
इस आयोजन के पीछे जो जनसैलाब उमड़ा, उसने सत्ता में बैठे लोगों की चिंता को भी बढ़ा दिया है। सनातन बनाम सेकुलरिज्म की बहस अब सिर्फ सोशल मीडिया तक सीमित नहीं, बल्कि बिहार के हर जिले में चर्चा का केंद्र बन चुकी है। गांधी मैदान से उठी आवाज, “बिहार पहला हिंदू राष्ट्र बनेगा”, अब एक राजनीतिक नारा नहीं, बल्कि एक हिंदुत्व आधारित जनचेतना का प्रतीक बन चुका है।
नफ़रत नहीं, सनातन का उद्घोष – लेकिन सियासत क्यों घबरा रही है?
धीरेंद्र शास्त्री ने स्पष्ट कहा, “हम किसी धर्म के विरोधी नहीं हैं। हम बस अपने धर्म के लिए एकजुट हो रहे हैं। भारत हमेशा से सनातन था, है और रहेगा।” लेकिन इसके बावजूद जिस तरह से आयोजन को लेकर रोक-टोक, मैदान पर दवाब और विरोध की आवाजें उठीं, उससे ये तो साफ है कि सनातन का ये स्वर कुछ लोगों के लिए असहज कर देने वाला है।
क्या पटना से बदलेगा भारत का राजनीतिक नक्शा?
बिहार हमेशा से राजनीतिक क्रांतियों की भूमि रही है। जेपी आंदोलन हो, मंडल की लहर हो या नीतीश-लालू का सत्ता संघर्ष – सबकी शुरुआत इसी धरती से हुई। अब सनातन महाकुंभ 2025 के बाद, एक नई लहर उठ रही है – 'राम नीति' की लहर, जो न तो किसी दल की मोहताज है, न किसी घोषणापत्र की। अब देखना है, क्या यह महाकुंभ 2025 के विधानसभा चुनाव में कोई नया अध्याय लिखेगा? क्योंकि जो आज पटना में हुआ… वह सिर्फ एक धार्मिक आयोजन नहीं था – यह भारतीय राजनीति के सबसे बड़े भूचाल का संकेत था। और इसका पहला झोंका शायद आने वाले चुनाव में महसूस होगा… सीधे सत्ता के सिंहासन पर।
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