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तेज प्रताप का मास्टरस्ट्रोक,तेजस्वी के गड़ में ही फूंका चुनावी बिगुल,बड़े भाई देंगे छोटे भाई को चुनौती
बिहार की राजनीति में लालू परिवार का भीतर का संघर्ष खुलकर सामने आया है। तेज प्रताप यादव ने अपने छोटे भाई तेजस्वी यादव के गढ़ राघोपुर में जाकर बाढ़ पीड़ितों से मुलाकात की और नीतीश सरकार पर निशाना साधा। यह कदम तेजस्वी के खिलाफ चुनावी चुनौती का संदेश माना जा रहा है।
Tej Pratap visit Raghopur: बिहार की राजनीति में एक बार फिर 'लालू परिवार' के भीतर का संघर्ष खुलकर सामने आ गया है। पार्टी और परिवार से दूर चल रहे लालू यादव के बड़े बेटे तेज प्रताप यादव अचानक अपने छोटे भाई तेजस्वी यादव की विधानसभा सीट राघोपुर पहुंच गए। वहां उन्होंने बाढ़ पीड़ितों से मुलाकात की और नीतीश सरकार पर जमकर निशाना साधा। लेकिन, सबसे बड़ा सियासी संदेश यह था कि उन्होंने बिना नाम लिए तेजस्वी पर भी तंज कसा और कहा कि "यहां के विधायक भी लोगों को सहायता नहीं पहुंचा रहे हैं।" तेज प्रताप के इस कदम ने सियासी गलियारों में हलचल मचा दी है कि क्या वे अपने भाई के गढ़ में ही उन्हें चुनौती देंगे?
बाढ़ का बहाना, सियासी निशाना
तेज प्रताप यादव ने एक्स (पूर्व में ट्विटर) पर लिखा कि राघोपुर विधानसभा क्षेत्र में बाढ़ से बुरा हाल है, लेकिन न तो सरकार और न ही यहां के सांसद-विधायक लोगों की मदद कर रहे हैं। उन्होंने खुद मौके पर जाकर बाढ़ प्रभावित परिवारों से मुलाकात की और उन्हें राहत सामग्री और मेडिकल सहायता प्रदान की। अपने पोस्ट में उन्होंने नीतीश सरकार को "निकम्मी और कोमा में जा चुकी सरकार" बताते हुए कहा कि इसे उखाड़ फेंकना होगा।
तेजस्वी के गढ़ में भाई की 'एंट्री'
तेज प्रताप यादव का अपने भाई तेजस्वी के विधानसभा क्षेत्र में जाकर इस तरह से मोर्चा संभालना, सिर्फ एक मानवीय मदद का कदम नहीं माना जा रहा है। यह एक सीधा सियासी संदेश है। तेज प्रताप ने पहले भी कई बार तेजस्वी पर बिना नाम लिए तंज कसा है। उन्होंने अपनी अलग 'टीम प्रताप' भी बनाई है और हाल ही में 5 राजनीतिक दलों के साथ गठबंधन भी किया है। वे खुद वैशाली की महुआ सीट से चुनाव लड़ने का ऐलान कर चुके हैं। ऐसे में, राघोपुर में उनकी मौजूदगी यह साफ संकेत देती है कि वे तेजस्वी की राजनीतिक जमीन को कमजोर करने की कोशिश में हैं।
क्या परिवार का संघर्ष चुनाव में दिखेगा?
आपको बता दें, 2020 के विधानसभा चुनाव में तेज प्रताप समस्तीपुर की हसनपुर सीट से 21 हजार से ज्यादा वोटों से जीते थे, जबकि तेजस्वी ने राघोपुर से जीत हासिल की थी। अब जबकि तेज प्रताप ने महुआ से चुनाव लड़ने का ऐलान किया है, उनका राघोपुर में जाना यह दर्शाता है कि वे सिर्फ अपनी सीट पर नहीं, बल्कि पूरे इलाके में अपनी राजनीतिक पैठ बढ़ाना चाहते हैं। यह देखना दिलचस्प होगा कि क्या लालू परिवार का यह संघर्ष आगामी चुनावों में भी खुलकर सामने आएगा और क्या तेजस्वी अपने बड़े भाई की इस चुनौती का कैसे सामना करेंगे।
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