तेजस्वी को चुनाव जितने के लिए राहुल की जरूरत क्यों? क्या हैं उनकी वापसी के मायने

बिहार विधानसभा चुनाव में तेजस्वी यादव के लिए राहुल गांधी की वापसी क्यों मानी जा रही है गेमचेंजर? जानिए कैसे राहुल का चुनाव प्रचार महागठबंधन को नया संबल देगा और एनडीए को कड़ी टक्कर मिल सकती है।

Harsh Srivastava
Published on: 29 Oct 2025 11:28 AM IST
तेजस्वी को चुनाव जितने के लिए राहुल की जरूरत क्यों? क्या हैं उनकी वापसी के मायने
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Rahul Gandhi comeback: बिहार विधानसभा चुनाव का रोमांच अब अपने चरम पर है। यह चुनावी रण अब किसी 'महाभारत' से कम नहीं लग रहा है, जहां एक ओर अनुभवी और धुरंधर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की जोड़ी एनडीए के चुनावी अभियान को एक नई धार देने में जुटी है, वहीं दूसरी ओर महागठबंधन की कमान युवा नेता तेजस्वी यादव के कंधों पर है। तेजस्वी यादव अपनी पूरी ऊर्जा के साथ अकेले ही सियासी नैया के खेवनहार बने हुए थे। ऐसे में सवाल उठ रहा था कि क्या चुनावी रण में उन्हें एक ऐसे 'कृष्ण' की दरकार है, जो उनका सारथी बनकर उन्हें सत्ता के सिंहासन तक पहुंचा सके? अब लगता है कि महागठबंधन को अपना 'सारथी' मिल गया है।

चुनाव प्रचार में राहुल गांधी की धमाकेदार वापसी

जी हां, कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी बुधवार से एक बार फिर बिहार के चुनाव प्रचार में उतर रहे हैं। लगभग एक महीने की दूरी के बाद राहुल गांधी की बिहार में सक्रियता महागठबंधन के लिए किसी संजीवनी से कम नहीं है। 24 सितंबर को पटना में कांग्रेस की सीडब्ल्यूसी (CWC) की बैठक के बाद से राहुल गांधी ने बिहार से एक तरह से दूरी बना ली थी, जिससे महागठबंधन के जोश में कमी महसूस की जा रही थी। लेकिन अब, पहले चरण की वोटिंग से ठीक सात दिन पहले, राहुल गांधी का मैदान में उतरना महागठबंधन के लिए एक बड़ा दांव है। बुधवार को राहुल गांधी न सिर्फ मुजफ्फरपुर के सकरा और दरभंगा में महागठबंधन के उम्मीदवारों के समर्थन में ताबड़तोड़ रैलियां करेंगे, बल्कि उनके साथ महागठबंधन के मुख्यमंत्री पद के दावेदार तेजस्वी यादव और मुकेश सहनी भी मंच साझा करते नजर आएंगे। इस संयुक्त प्रचार अभियान से महागठबंधन एक बार फिर अपनी एकजुटता का संदेश जनता तक पहुंचाने और बिहार की चुनावी जंग को फतह करने की रणनीति बना रहा है।

'वोटर अधिकार यात्रा' से जगाया था जोश

राहुल गांधी के साथ कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे और पार्टी महासचिव प्रियंका गांधी सहित तमाम बड़े नेता भी अब बिहार के चुनावी रण में उतर रहे हैं। राहुल और प्रियंका की भाई-बहन की जोड़ी अगले दस दिनों तक बिहार में लगातार रैलियां करने की योजना बना चुकी है। याद रहे, राहुल गांधी ने विधानसभा चुनाव से पहले 17 अगस्त से 1 सितंबर तक 'वोटर अधिकार यात्रा' निकालकर 25 जिलों में करीब 1300 किलोमीटर की दूरी तय की थी। इस यात्रा ने कांग्रेस कार्यकर्ताओं में उत्साह भरने के साथ-साथ महागठबंधन का हौसला भी बढ़ाया था। हालांकि, एक महीने से ज्यादा समय तक राहुल गांधी की गैरमौजूदगी ने न केवल उस जोश को ठंडा कर दिया था, बल्कि कांग्रेस पार्टी और गठबंधन में आंतरिक दरारें भी उभरने लगी थीं। राहुल की दूरी ने कांग्रेस की गति और आत्मविश्वास को प्रभावित किया, जिसके चलते महागठबंधन में सीट शेयरिंग का मामला भी फंसा रहा।

सियासी मझधार में अकेले तेजस्वी की चुनौती

राहुल गांधी की गैरमौजूदगी का सीधा असर महागठबंधन के चुनावी प्रचार अभियान पर पड़ा था। तेजस्वी यादव अकेले ही सियासी मझधार में खड़े नजर आ रहे थे। उनके पिता और आरजेडी प्रमुख लालू प्रसाद यादव स्वास्थ्य कारणों से बहुत अधिक सक्रिय नहीं हैं, तो भाई तेज प्रताप यादव अलग ही सियासी राह पर चल रहे हैं। ऐसे में, कांग्रेस और मुकेश सहनी जैसे महागठबंधन के अन्य दल भी 'अपनी ढपली अपना राग' अलाप रहे थे।

वहीं, दूसरी ओर एनडीए की तरफ प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह, सीएम नीतीश कुमार और चिराग पासवान सहित तमाम बड़े नेता बिहार के रण में उतरकर चुनावी माहौल बनाने में जुट गए थे। इस माहौल में महागठबंधन की तरफ से अकेले तेजस्वी यादव ही थे जो मोर्चा संभाले हुए थे। तेजस्वी ने 'वोटर अधिकार यात्रा' के बाद कुछ महत्वपूर्ण जिलों में 'बिहार यात्रा' निकालकर माहौल बनाने की कोशिश ज़रूर की, लेकिन राहुल गांधी जैसे बड़े चेहरे की गैरमौजूदगी से मामला थोड़ा उलझ गया था, जिसका असर चुनाव प्रचार पर भी दिख रहा था।

अब राहुल-प्रियंका की 'केमिस्ट्री' पर निगाहें

अब जबकि महागठबंधन में सीट शेयरिंग का मामला सुलझ चुका है और तेजस्वी यादव के चेहरे पर मुहर लग गई है, राहुल गांधी दोबारा से बिहार में सक्रिय हो रहे हैं। वह तेजस्वी यादव और मुकेश सहनी के साथ संयुक्त रैलियों की योजना बना चुके हैं। पहले दिन सकरा में कांग्रेस उम्मीदवार और दरभंगा में आरजेडी उम्मीदवार के लिए रैली संबोधित करेंगे। 30 अक्टूबर को भी राहुल गांधी बिहार में दो सभाएं करेंगे। इस तरह बिहार में राहुल की 12 से 14 रैलियों की प्लानिंग है। इसके अलावा, कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे 31 अक्टूबर से तो प्रियंका गांधी 1 नवंबर से बिहार चुनाव प्रचार में उतरेंगी।

चुनाव प्रचार के बचे हुए लगभग दस दिनों में राहुल गांधी और प्रियंका गांधी में से किसी एक का रोज़ाना बिहार में चुनावी कार्यक्रम होता रहेगा। भाई-बहन दोनों की बिहार में लगभग बीस जनसभाएं होंगी। कांग्रेस के स्टार प्रचारकों में इन दोनों ही नेताओं की सबसे ज़्यादा मांग है। राहुल और प्रियंका के चुनावी अभियान ज़ोर पकड़ने से पहले, महागठबंधन ने अंदरूनी दरार वाली स्थिति को ख़त्म करने के प्रयास शुरू कर दिए हैं।

महागठबंधन के घोषणा पत्र के ऐलान और राहुल-प्रियंका की एंट्री के बाद अब देखना यह है कि क्या राहुल गांधी बिहार में तेजस्वी यादव के लिए चुनावी सारथी बनकर महागठबंधन को सत्ता तक पहुंचाने में कामयाब होते हैं? बिहार में महागठबंधन के हर कदम पर तेजस्वी यादव की छाप दिख रही है, चाहे वह पोस्टर हो या फिर घोषणा पत्र। ऐसे में, राहुल गांधी और तेजस्वी की यह जोड़ी क्या चुनावी 'महाभारत' में एनडीए को टक्कर दे पाएगी, यह देखना दिलचस्प होगा।

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Harsh Srivastava

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Harsh Shrivastava is an enthusiastic journalist who has been actively writing content for the past one year. He has a special interest in crime, politics and entertainment news. With his deep understanding and research approach, he strives to uncover ground realities and deliver accurate information to readers. His articles reflect objectivity and factual analysis, which make him a credible journalist.

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