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सीमा विवाद के चलते अडानी की दो प्रोजेक्ट रद्द, आंध्र सरकार का निर्णय
Adani Projects Cancelled at Company's Request : कंपनी की मांग और सीमा विवाद के चलते आंध्र सरकार ने दो प्रमुख पंप्ड हाइड्रो प्रोजेक्ट्स को रद्द करने का फैसला लिया।
Adani Projects Cancelled at Company's Request
Adani Projects Cancelled at Company's Request :हाल ही में आंध्र प्रदेश सरकार ने अडानी ग्रीन एनर्जी लिमिटेड (AGEL) द्वारा प्रस्तावित दो बड़ी पंप्ड हाइड्रो स्टोरेज पावर परियोजनाओं को रद्द कर दिया है। ये दोनों प्रोजेक्ट-1200 मेगावाट का कुरुकुट्टी और 1000 मेगावाट का कर्रिवालसा-परवथीपुरम मन्यम जिले में बनाए जाने थे। यह निर्णय खुद अडानी समूह के अनुरोध पर लिया गया है। कंपनी ने इन परियोजनाओं में स्थानीय मुद्दों, खासकर ओडिशा और आंध्र प्रदेश के बीच सीमा विवाद को लेकर कठिनाइयों का हवाला देते हुए इन्हें रद्द करने की मांग की थी।
इस फैसले से न केवल ऊर्जा क्षेत्र में चल रही गतिविधियों पर असर पड़ा है, बल्कि यह निवेश नीति और प्रशासनिक समन्वय पर भी सवाल उठाता है। इस लेख में जानिए कि कैसे और क्यों अडानी की ये दो परियोजनाएं रद्द की गईं और इसका आगे क्या असर हो सकता है।
सीमा विवाद बना बड़ी बाधा :
अडानी ग्रीन एनर्जी लिमिटेड ने 12 सितंबर 2024 को आंध्र प्रदेश सरकार को एक पत्र भेजकर कुरुकुट्टी और कर्रिवालसा पंप्ड स्टोरेज पावर प्रोजेक्ट्स को रद्द करने का अनुरोध किया था। कंपनी ने कहा कि इन परियोजनाओं को लागू करना संभव नहीं है क्योंकि संबंधित ज़मीनें आंध्र प्रदेश और ओडिशा के बीच विवादित क्षेत्र में आती हैं। इससे सर्वे और जाँच प्रक्रिया में लगातार अड़चनें आ रही थीं।
सरकार के मुख्य सचिव के. विजयानंद के अनुसार, यह मुद्दा केवल तकनीकी या प्रशासनिक नहीं था, बल्कि ज़मीन के अधिकार और सीमा के निर्धारण से जुड़ा संवेदनशील मामला था। ऐसे में AGEL द्वारा प्रोजेक्ट की व्यवहारिकता को लेकर जताई गई चिंता को सरकार ने गंभीरता से लिया।
पिछली सरकार में मिली थी मंजूरी, अब SIPB ने दी रद्द करने की अनुमति :
इन दोनों परियोजनाओं को 29 जून 2022 को तत्कालीन वाईएसआरसीपी सरकार द्वारा मंजूरी दी गई थी। इनका उद्देश्य राज्य में हरित ऊर्जा उत्पादन को बढ़ावा देना था। इसके लिए न्यू एंड रिन्यूएबल एनर्जी डेवलपमेंट कॉर्पोरेशन ऑफ आंध्र प्रदेश (NREDCAP) ने TCE लिमिटेड के माध्यम से शुरुआती व्यवहार्यता रिपोर्ट तैयार करवाई थी, जबकि अडानी समूह ने सर्वे और डिटेल प्रोजेक्ट रिपोर्ट (DPR) की जिम्मेदारी ली थी।
AGEL ने अपने पत्र में यह भी अनुरोध किया था कि वे इन दो रद्द की गई परियोजनाओं पर पहले से जमा कराई गई सुविधा फीस को उनके अन्य प्रोजेक्ट्स-1000 मेगावाट का पेडाकोटा और 600 मेगावाट का रैयवाड़ा-के लिए समायोजित करना चाहते हैं।
15 मई 2025 को कंपनी ने दोबारा सरकार को पत्र भेजकर इन दोनों परियोजनाओं को रद्द करने की मांग दोहराई।
NREDCAP के वाइस चेयरमैन और मैनेजिंग डायरेक्टर एम. कमलाकर बाबू ने सरकार को यह सुझाव दिया कि अडानी समूह की किसी भी गलती के बिना ऐसी स्थिति उत्पन्न हुई है, इसलिए उनकी मांग को स्वीकार किया जाए। उन्होंने यह भी कहा कि सर्वे और जांच पर हुए खर्च को काटकर बाकी राशि को अन्य दो प्रोजेक्ट्स की सुविधा फीस में समायोजित किया जा सकता है।
यह प्रस्ताव 17 जुलाई को आयोजित स्टेट इन्वेस्टमेंट प्रमोशन बोर्ड (SIPB) की बैठक में रखा गया, जहां इसे सहमति मिली। बोर्ड ने माना कि स्थानीय विवादों के कारण परियोजना में गंभीर अड़चनें हैं और इसे रद्द करना उचित है।
क्या आगे बने रहेंगे अडानी के अन्य प्रोजेक्ट? :
हालांकि कुरुकुट्टी और कर्रिवालसा प्रोजेक्ट्स रद्द हो गए हैं, लेकिन अडानी ग्रीन एनर्जी लिमिटेड के अन्य पंप्ड हाइड्रो प्रोजेक्ट्स जैसे पेडाकोटा (1000 मेगावाट) और रैयवाड़ा (600 मेगावाट) फिलहाल बने रहेंगे। यह देखा जाना बाकी है कि कंपनी इन परियोजनाओं को आगे कैसे बढ़ाती है और राज्य सरकार उन्हें लेकर क्या रुख अपनाती है।
इस फैसले से यह साफ है कि राज्य सरकार और निवेशक कंपनियों को ज़मीन संबंधी मामलों में पहले से सटीक रणनीति बनानी होगी, ताकि ऐसी अड़चनें भविष्य में दोहराई न जाएं। साथ ही, यह मामला यह भी दिखाता है कि निवेश को आकर्षित करने के साथ-साथ, सरकार को स्थानीय विवादों की स्पष्टता और समाधान की दिशा में भी तेजी से काम करना होगा।
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