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Varanasi News: बिजली निजीकरण के खिलाफ 'संघर्ष समिति' का प्रदर्शन, नियामक आयोग से प्रस्ताव रद्द करने की मांग

Varanasi News: आज बड़ी संख्या में पार्षदों और जनप्रतिनिधियों ने जनसुनवाई में पहुंचकर निजीकरण के खिलाफ अपनी आवाज़ उठाई।

Newstrack Network
Published on: 11 July 2025 9:50 PM IST
Varanasi News
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Varanasi News (Social Media image)

Varanasi News:वाराणसी में बिजली टैरिफ पर आयोजित जनसुनवाई के दौरान विद्युत कर्मचारी संयुक्त संघर्ष समिति, उत्तर प्रदेश ने पूर्वांचल विद्युत वितरण निगम और दक्षिणांचल विद्युत वितरण निगम के निजीकरण के निर्णय को रद्द करने की जोरदार मांग की। संघर्ष समिति के साथ उपभोक्ता परिषद और विभिन्न श्रेणियों के उपभोक्ताओं ने उत्तर प्रदेश में विद्युत वितरण निगमों के निजीकरण को जन विरोधी बताते हुए इस फैसले को वापस लेने की अपील की। आज बड़ी संख्या में पार्षदों और जनप्रतिनिधियों ने जनसुनवाई में पहुंचकर निजीकरण के खिलाफ अपनी आवाज़ उठाई।

विद्युत नियामक आयोग के अध्यक्ष को सौंपा ज्ञापन

संघर्ष समिति के प्रतिनिधि मंडल ने विद्युत नियामक आयोग के अध्यक्ष, श्री अरविंद कुमार, को इस संबंध में एक ज्ञापन भी सौंपा। प्रमुख पदाधिकारियों माया शंकर तिवारी, शशि प्रकाश सिंह, अंकुर पांडे, और नीरज बिंद के नेतृत्व में प्रतिनिधि मंडल ने वाराणसी में बिजली के टैरिफ बढ़ोतरी पर हो रही जनसुनवाई के दौरान निजीकरण के निर्णय को व्यापक जनहित और कर्मचारियों के हित में वापस लेने की मांग की। जनसुनवाई के दौरान संघर्ष समिति के केंद्रीय पदाधिकारी महेंद्र राय और जूनियर इंजीनियर्स संगठन के अध्यक्ष अजय कुमार भी उपस्थित थे।

"घाटे के झूठे आंकड़े और समझौते का उल्लंघन"

संघर्ष समिति ने आरोप लगाया कि पावर कॉर्पोरेशन प्रबंधन ने घाटे के झूठे आंकड़े पेश करके पूर्वांचल और दक्षिणांचल विद्युत वितरण निगम के निजीकरण का प्रस्ताव दिया है। समिति ने विद्युत नियामक आयोग से निजीकरण के प्रस्ताव को निरस्त करने और इसकी अनुमति न देने का आग्रह किया, अन्यथा उपभोक्ताओं को बहुत महंगी बिजली मिलेगी और कर्मचारियों की सेवा शर्तों पर भारी प्रतिकूल प्रभाव पड़ेगा। उन्होंने यह भी कहा कि निजीकरण के बाद हजारों की संख्या में अल्प वेतन भोगी संविदा कर्मियों की नौकरी जाने का खतरा है और नियमित कर्मचारियों की बड़े पैमाने पर छंटनी होगी। समिति ने दोहराया कि निजीकरण न तो उपभोक्ताओं के हित में है और न ही कर्मचारियों के हित में।

संघर्ष समिति ने आँकड़े देते हुए बताया कि पावर कॉर्पोरेशन का प्रबंधन टैरिफ सब्सिडी, किसानों की सब्सिडी, बुनकरों की सब्सिडी और सरकारी विभागों के बिजली राजस्व बकाए को घाटा मानकर तर्क दे रहा है कि इन सभी मामलों में सरकार को फंडिंग करनी पड़ती है, जिसे सरकार आगे वहन करने को तैयार नहीं है। संघर्ष समिति ने कहा कि सब्सिडी और सरकारी विभागों के बकाए की धनराशि देना सरकार की ज़िम्मेदारी है और सरकार इसे घाटा बताकर अपनी ज़िम्मेदारी से मुँह नहीं मोड़ सकती। उन्होंने जोर दिया कि निजीकरण का यह कोई आधार भी नहीं हो सकता।

संघर्ष समिति ने विद्युत नियामक आयोग के अध्यक्ष श्री अरविंद कुमार को यह भी याद दिलाया कि पावर कॉर्पोरेशन का चेयरमैन रहते हुए उन्होंने 06 अक्टूबर 2020 को एक लिखित समझौते पर हस्ताक्षर किए थे, जिसमें लिखा था कि बिजली कर्मचारियों को विश्वास में लिए बिना उत्तर प्रदेश में ऊर्जा क्षेत्र में कोई निजीकरण नहीं किया जाएगा। समिति ने कहा कि पूर्वांचल विद्युत वितरण निगम एवं दक्षिणांचल विद्युत वितरण निगम के निजीकरण का एकतरफा निर्णय इस समझौते का खुला उल्लंघन है, और इसलिए विद्युत नियामक आयोग के अध्यक्ष के तौर पर उन्हें निजीकरण के मसौदे को मंजूरी नहीं देनी चाहिए।

उपभोक्ताओं और जन प्रतिनिधियों का समर्थन

संघर्ष समिति के साथ उत्तर प्रदेश राज्य विद्युत परिषद उपभोक्ता परिषद के अध्यक्ष श्री अवधेश वर्मा ने तमाम आँकड़े देते हुए निजीकरण के फैसले को गलत ठहराया और कहा कि विद्युत नियामक आयोग किसी भी परिस्थिति में पावर कॉर्पोरेशन द्वारा भेजे गए निजीकरण के मसौदे को मंजूरी न दे।

इंडियन इंडस्ट्रीज़ एसोसिएशन के अध्यक्ष आर के चौधरी, बुनकरों के प्रतिनिधियों, किसान संगठनों के पदाधिकारियों, अनेकों पार्षदों, ग्राम पंचायत प्रतिनिधियों और सैकड़ों अन्य जनप्रतिनिधियों ने संघर्ष समिति के साथ एकजुटता प्रदर्शित करते हुए साफ शब्दों में मांग की कि पूर्वांचल विद्युत वितरण निगम एवं दक्षिणांचल विद्युत वितरण निगम का निजीकरण उपभोक्ताओं के हित में नहीं है और इसे पूरी तरह निरस्त किया जाना चाहिए।

वाराणसी में आयुक्त सभागार में हो रही जनसुनवाई के दौरान बड़ी संख्या में बिजली कर्मचारी, जूनियर इंजीनियर और अभियंता भी मौजूद थे। निजीकरण के विरोध में चल रहे आंदोलन के 226वें दिन आज प्रदेश के समस्त जनपदों और परियोजनाओं पर बिजली कर्मियों ने व्यापक जनसंपर्क किया और विरोध प्रदर्शन किया।

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