Varanasi News: बिजली निजीकरण पर सुलगा बनारस: हजारों बिजलीकर्मियों ने किया जोरदार विरोध, गरजा देशभर में आंदोलन का करंट

Varanasi News: विद्युत कर्मचारी संयुक्त संघर्ष समिति, उत्तर प्रदेश के बैनर तले, हजारों अभियंता, अवर अभियंता, नियमित, संविदा और महिला कर्मचारी भिखारीपुर स्थित प्रबंध निदेशक कार्यालय पर जुटे और खुला विरोध दर्ज कराया।

Ajit Kumar Pandey
Published on: 9 July 2025 3:59 PM IST
Varanasi News: बिजली निजीकरण पर सुलगा बनारस: हजारों बिजलीकर्मियों ने किया जोरदार विरोध, गरजा देशभर में आंदोलन का करंट
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Vanarasi News: बिजली के निजीकरण और दरों में वृद्धि के विरोध में वाराणसी की सड़कों पर आज जबरदस्त जनाक्रोश देखने को मिला। विद्युत कर्मचारी संयुक्त संघर्ष समिति, उत्तर प्रदेश के बैनर तले, हजारों अभियंता, अवर अभियंता, नियमित, संविदा और महिला कर्मचारी भिखारीपुर स्थित प्रबंध निदेशक कार्यालय पर जुटे और खुला विरोध दर्ज कराया।

नारा गूंजा: "बिजली बिकेगी नहीं, संघर्ष झुकेगा नहीं"

वक्ताओं ने बताया कि यह आंदोलन केवल एक विभाग तक सीमित नहीं रहा, बल्कि अब यह एक राष्ट्रीय जनांदोलन बन चुका है। देशभर में 25 करोड़ से अधिक अधिकारी, कर्मचारी और किसान इस विरोध में शामिल हुए, जिसमें वाराणसी की सहभागिता सबसे सशक्त रूप में सामने आई।

पूर्वांचल में उबाल, निजीकरण के खिलाफ महा प्रदर्शन

बनारस सहित पूरे पूर्वांचल में बिजलीकर्मियों का प्रदर्शन अपने चरम पर रहा। रेलवे, बैंक, एलआईसी, संयुक्त किसान मोर्चा और अन्य केंद्रीय संगठनों ने भी इस विरोध को अपना समर्थन दिया। पावर हाउस, वितरण खंड कार्यालयों और बिजली स्टेशनों से कर्मचारियों ने कार्य बहिष्कार कर भिखारीपुर में धरना दिया।

प्रश्न उठाए: "यदि व्यवस्था सुधरी है तो निजीकरण क्यों?"

वक्ताओं ने सरकार की दोहरी नीति पर सवाल उठाते हुए कहा कि एक तरफ सरकार 2012 से 2024 तक की उपलब्धियों का बखान कर रही है, वहीं दूसरी ओर उसी व्यवस्था को निजी हाथों में सौंपना चाह रही है। उन्होंने सवाल उठाया—"अगर व्यवस्था इतनी सुधरी है, तो निजी कंपनियों की जरूरत क्यों पड़ रही है?"

धरने में गूंजे नारे

'निजीकरण वापस लो'

'जनता की बिजली, जनता को दो'

'मुख्यमंत्री संवाद करो'

'बिजली का निजीकरण बंद करो'

'जनता को सस्ती बिजली दो'

कर्मचारियों की चेतावनी: निर्णायक संघर्ष निकट

प्रदर्शन में भाग ले रहे कर्मचारियों ने चेताया कि यदि सरकार ने निजीकरण की नीति को नहीं बदला, तो यह आंदोलन और अधिक उग्र रूप लेगा। कर्मचारियों का कहना है कि निजीकरण से न केवल बिजली महंगी होगी, बल्कि ग्रामीण क्षेत्रों में सेवाएं घटेंगी और हजारों युवाओं की आजीविका संकट में आ जाएगी, जो ITI, डिप्लोमा और बी.टेक जैसे पाठ्यक्रमों में अध्ययनरत हैं।

संघर्ष समिति की चेतावनी: "जनता की बिजली, जनता के पास रहनी चाहिए"

संघर्ष समिति ने एलान किया है कि यदि सरकार ने संवाद नहीं खोला, तो बिजली संकट और गहराएगा। वक्ताओं ने स्पष्ट किया कि यह लड़ाई सिर्फ बिजली की नहीं, बल्कि लोकतांत्रिक अधिकारों और जनहित की भी है।

सभा की अध्यक्षता: ई. पंकज जैसवाल

संचालन: सौरभ श्रीवास्तव

प्रमुख वक्ता:

ई. मायाशंकर तिवारी, ई. अनिल कुमार, ई. रामाशीष, राजेश सिंह, विजय नारायण ‘हिटलर’, अंकुर पाण्डेय, सौरभ श्रीवास्तव, संदीप कुमार, रविंद्र यादव, दीपक गुप्ता, रंजीत पटेल, जयप्रकाश, मो. हारिश, मदन श्रीवास्तव, उदयभान दुबे, चंदन विश्वकर्मा, गजेंद्र श्रीवास्तव आदि

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