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Bollywood Piracy Crisis: बॉलीवुड में बढ़ती पायरेसी की मार - निर्माता परेशान, बीमा कंपनियाँ सतर्क

Bollywood Piracy Crisis: पायरेसी से बचाव के लिए बीमा की मांग, लेकिन कंपनियाँ जोखिम उठाने से कतरा रही हैं

Sonal Girhepunje
Published on: 2 July 2025 2:44 PM IST
Bollywood Piracy Crisis: बॉलीवुड में बढ़ती पायरेसी की मार - निर्माता परेशान, बीमा कंपनियाँ सतर्क
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Bollywood’s Piracy Crisis: बॉलीवुड में बड़े बजट की फिल्मों को लेकर अब एक नई चिंता सामने आ रही है - पायरेसी यानी फिल्म का अवैध रूप से लीक हो जाना। इससे निपटने के लिए अब कई फिल्म निर्माता बीमा का सहारा लेना चाह रहे हैं, लेकिन बीमा कंपनियाँ इसे लेकर सतर्क हैं और जोखिम लेने को तैयार नहीं दिख रही हैं।

हाल ही में सलमान ख़ान की फिल्म सिकंदर के लीक होने की खबर सामने आई। रिपोर्ट्स के मुताबिक, निर्माता साजिद नाडियाडवाला को इस लीक से करीब 91 करोड़ रुपये का नुकसान हुआ। हालांकि, यह फिल्म न्यू इंडिया एश्योरेंस कंपनी से प्रोडक्शन और लाइबिलिटी से जुड़े स्टैंडर्ड जोखिमों के लिए बीमित थी, लेकिन पायरेसी और अवैध कॉपी के नुकसान बीमा में शामिल नहीं थे।

डिजिटल युग में नई चुनौती

Alliance Insurance Brokers के मीडिया और एंटरटेनमेंट बिजनेस हेड सुमंत सालियन के मुताबिक, “जो स्टूडियो बड़ी फिल्मों पर काम कर रहे हैं, वे फाइनल एडिटिंग और डिजिटल ट्रांसफर के दौरान पायरेसी कवर के लिए संपर्क कर रहे हैं। कंटेंट लीक होने का डर तेजी से बढ़ रहा है।”

2029 तक दोगुना हो सकता है नुकसान

Media Partners Asia की हालिया रिपोर्ट बताती है कि अगर पायरेसी पर लगाम नहीं लगी, तो 2029 तक भारत के डिजिटल वीडियो सेक्टर को होने वाला नुकसान 2.4 बिलियन डॉलर (करीब ₹20,565.5 करोड़) तक पहुंच सकता है, जो 2024 में 1.2 बिलियन डॉलर था।

बीमा कंपनियाँ क्यों हिचक रही हैं?

फिल्म वितरक सुनील वाधवा के अनुसार, “प्रोड्यूसर्स को फिल्म वितरण बीमा लेते समय पायरेसी से होने वाले नुकसान और कानूनी कार्रवाइयों के खर्च को भी स्पष्ट रूप से शामिल करना चाहिए।”

बीमा कंपनियाँ मानती हैं कि पायरेसी बीमा की मांग बढ़ रही है, लेकिन इसकी सबसे बड़ी चुनौती यह है कि पायरेसी से हुए नुकसान का सही-सही अनुमान लगाना और प्रमाणित करना मुश्किल होता है। एक बीमा कंपनी के वरिष्ठ अधिकारी ने नाम न छापने की शर्त पर कहा, “जब तक कोई पॉलिसी विशेष रूप से पायरेसी से जुड़े जोखिमों को कवर करने के लिए डिज़ाइन नहीं की जाती, तब तक बीमा कंपनी किसी दावे को स्वीकार नहीं करती।”

सिस्टम में बदलाव ज़रूरी है

कुछ निर्माता बीमा से अधिक कानूनों को सख्त बनाने और सिस्टम में बदलाव की मांग कर रहे हैं। निर्माता राजेश आर. नायर कहते हैं, “पायरेसी से निपटने के लिए हमें सख्त कानूनों की ज़रूरत है। बीमा लेना सिर्फ एक अस्थायी उपाय है और इससे निर्माता लापरवाह हो सकते हैं। इसके अलावा, पायरेसी बीमा की लागत भी एक बड़ा मुद्दा है, खासकर तब जब फिल्म उद्योग फंडिंग संकट से जूझ रहा है। अगर सरकार फिल्म इंडस्ट्री को औद्योगिक दर्जा दे तो इन समस्याओं को जड़ से खत्म किया जा सकता है।”

दुनिया में कैसे है स्थिति?

दुनियाभर में भी अधिकतर निर्माता पायरेसी से निपटने के लिए बीमा की बजाय एंटी-पायरेसी प्रवर्तन का सहारा लेते हैं। अमेरिका में कुछ बीमा कंपनियाँ फिल्मों के लिए विशेष एरर एंड ओमिशन (E&O) और साइबर इंश्योरेंस पॉलिसी के साथ ऑप्शनल एंटी-पायरेसी राइडर्स देती हैं।

भारत में फिल्म बीमा के दो प्रमुख प्रकार

भारत में फिल्म उद्योग मुख्यतः दो प्रकार के बीमा लेता है:

  1. निर्माण बीमा: इसमें शूटिंग में देरी, कलाकार या तकनीकी दल की तबीयत खराब होना, उपकरणों को नुकसान पहुंचना, और गलती या चूक से जुड़े कानूनी दावों का संरक्षण शामिल होता है।
  2. डिस्ट्रिब्यूशन बीमा: जिसमें फिल्म की डिजिटल कॉपी या प्रिंट के नुकसान, रिलीज में देरी, व्यवसाय रुकावट और रिलीज से पहले या शुरुआती डिजिटल चरण में पायरेसी से हुए नुकसान शामिल हो सकते हैं।

कितनी फिल्में लेती हैं बीमा?

अनुमान है कि हर साल 10-15% हिंदी फिल्में बीमा करवाती हैं। हालांकि, पायरेसी बीमा का चलन अब भी सीमित है और इस दिशा में स्पष्ट पॉलिसी की जरूरत है।

एंटरटेनमेंट बीमा का बढ़ता बाजार

TechSci Research की रिपोर्ट के अनुसार, भारत का एंटरटेनमेंट इंश्योरेंस बाजार 2024 में 181.6 बिलियन डॉलर (₹15.14 लाख करोड़) से बढ़कर 2030 तक 373.8 बिलियन डॉलर (₹32.03 लाख करोड़) तक पहुंच सकता है।

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