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Green Jet Fuel Production: Indian Oil का बड़ा कदम पनिपत रिफाइनरी में बदलाव की तैयारी
Green Jet Fuel Production: भारत की अग्रणी रिफाइनिंग कंपनी Indian Oil Corporation (IOC) अब हरित ऊर्जा की दिशा में एक बड़ा और निर्णायक कदम उठा रही है।
Green Jet Fuel Production Indian Oil
Green Jet Fuel Production: भारत की अग्रणी रिफाइनिंग कंपनी Indian Oil Corporation (IOC) अब हरित ऊर्जा की दिशा में एक बड़ा और निर्णायक कदम उठा रही है। कंपनी ने घोषणा की है कि वह पनिपत स्थित 3 लाख बैरल प्रतिदिन क्षमता वाली डीज़ल डीसल्फराइजेशन यूनिट को अस्थायी रूप से बंद कर, उसे सस्टेनेबल एविएशन फ्यूल (SAF) उत्पादन के लिए अपग्रेड करेगी।
यह कदम न केवल भारत की ऊर्जा जरूरतों को स्वच्छ स्रोतों से पूरा करने की दिशा में अहम साबित होगा, बल्कि विमानन क्षेत्र में कार्बन उत्सर्जन को कम करने और पर्यावरणीय संतुलन बनाए रखने की दिशा में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगा। Indian Oil का यह प्रयास भारत को ‘नेट ज़ीरो’ लक्ष्य की ओर तेज़ी से बढ़ाने में मदद करेगा, साथ ही देश की ऊर्जा नीति में हरित बदलाव की एक नई इबारत भी लिखेगा।
पनिपत रिफाइनरी में होगा SAF उत्पादन
IOC के रिफाइनरी प्रमुख अरविंद कुमार ने बताया कि पनिपत रिफाइनरी की 3 लाख बैरल प्रतिदिन की डीज़ल यूनिट को अगले साल अस्थायी रूप से बंद किया जाएगा, ताकि उसे अपग्रेड कर SAF उत्पादन के योग्य बनाया जा सके। भारत का लक्ष्य है कि वह 2027 तक एविएशन फ्यूल में 1% SAF मिलाए और 2028 तक यह मात्रा 2% तक बढ़ाई जाए।
विशेष बात यह है कि इस अपग्रेड के दौरान डीज़ल का उत्पादन प्रभावित नहीं होगा, क्योंकि पनिपत रिफाइनरी में पहले से ही अतिरिक्त डीज़ल हाइड्रोट्रीटमेंट यूनिट मौजूद है, जो इस अंतर को भरने में सक्षम होगी।
इस्तेमाल किए गए कुकिंग ऑयल से बनेगा SAF
इस नई यूनिट में 'यूज़्ड कुकिंग ऑयल' यानी उपयोग में लाए जा चुके खाने के तेल (Used Cooking Oil - UCO) का उपयोग किया जाएगा, जिससे हर साल 30,000 मीट्रिक टन तक सस्टेनेबल एविएशन फ्यूल तैयार किया जाएगा। इसके अलावा Indian Oil अन्य रिफाइनरियों में केरोसीन बनाने वाली यूनिट्स को भी SAF उत्पादन के लिए अपग्रेड करने पर विचार कर रही है।
ग्रीन हाइड्रोजन प्लांट की भी योजना
कंपनी सिर्फ SAF तक सीमित नहीं है, बल्कि उसने ग्रीन हाइड्रोजन के क्षेत्र में भी बड़े स्तर पर निवेश की योजना बनाई है। जल्द ही Indian Oil एक 70,000 टन प्रति वर्ष के ग्रीन हाइड्रोजन प्लांट और SAF परियोजना के लिए बिड मंगाएगी। इसके अलावा, एक और महत्वपूर्ण कदम के तहत IOC ने 10,000 टन प्रति वर्ष के ग्रीन हाइड्रोजन संयंत्र के निर्माण का काम इंजीनियरिंग दिग्गज Larsen & Toubro को सौंपा है।
यह संयंत्र भी पनिपत रिफाइनरी में ही लगेगा, जिसे L&T तैयार करेगा, उसका संचालन करेगा और फिर हाइड्रोजन Indian Oil को ₹397 प्रति किलोग्राम की दर पर बेचेगा।
भारत का 2030 का लक्ष्य
सरकार ने यह स्पष्ट कर दिया है कि 2030 तक देश की रिफाइनरियों को अपनी हाइड्रोजन ज़रूरतों का 50% हिस्सा ग्रीन हाइड्रोजन से पूरा करना होगा। यह कदम भारत की हरित ऊर्जा की रणनीति में एक निर्णायक बदलाव को दर्शाता है।
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