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“दिल्ली वालों के लिए बड़ा झटका! आज से पेट्रोल-डीजल हुआ बंद, सड़क पर उतरी पुलिस, कैमरों से होगी गाड़ियों की पहचान!”
Delhi fuel ban: दिल्ली सरकार ने 1 जुलाई से ‘नो फ्यूल फॉर ओल्ड व्हीकल्स’ नियम को लागू कर दिया है और इसके साथ ही राजधानी की सड़कों पर हड़कंप मच गया है।
Delhi fuel ban: सोचिए! आप सुबह ऑफिस के लिए निकलते हैं, गाड़ी का मीटर लाल पर है, पेट्रोल पंप पर पहुंचते हैं और वहां आपको रोक दिया जाता है—“आपकी गाड़ी पुरानी है, ईंधन नहीं मिलेगा!” दिल्ली में आज से शुरू हुए इस नए नियम ने लाखों लोगों की दिनचर्या को झकझोर कर रख दिया है। जिन लोगों को इसकी भनक तक नहीं थी, उनके लिए यह किसी सड़क पर लगे प्रतिबंध नहीं, बल्कि सड़क पर पड़ी सज़ा जैसा है। दिल्ली सरकार ने 1 जुलाई से ‘नो फ्यूल फॉर ओल्ड व्हीकल्स’ नियम को लागू कर दिया है और इसके साथ ही राजधानी की सड़कों पर हड़कंप मच गया है। अगर आपकी डीजल कार 10 साल से ज्यादा पुरानी है, या आपकी पेट्रोल कार 15 साल से पुरानी हो चुकी है, तो अब आप दिल्ली में पेट्रोल-डीजल नहीं भरवा सकते। और अगर ज़िद करके भरवाया तो आपकी गाड़ी सीधे ज़ब्त हो सकती है।
कैमरे, हूटर और कानून—अब गाड़ियों की उम्र से होगी पहचान
दिल्ली सरकार के इस ऐतिहासिक कदम को “प्रदूषण मुक्त दिल्ली मिशन” का हिस्सा बताया जा रहा है। लेकिन इस नियम को लागू करने के तरीके ने जनता को चौंका दिया है। राजधानी के पेट्रोल पंपों पर अब हाई-रिजॉल्यूशन कैमरे लगाए जा चुके हैं जो गाड़ियों की नंबर प्लेट स्कैन कर उनकी उम्र पहचानते हैं। जैसे ही कोई पुरानी गाड़ी पंप के पास आती है, कैमरा उसे डिटेक्ट करता है और हूटर चीख उठता है—“नियम उल्लंघनकर्ता!” इसके बाद वहां मौजूद पुलिसकर्मी तुरंत हरकत में आ जाते हैं। कुछ पंपों पर बाकायदा LED नोटिस बोर्ड भी लगाए गए हैं, जिन पर लिखा है— “पुरानी गाड़ियों को ईंधन नहीं मिलेगा, कृपया नियम का पालन करें। उल्लंघन पर वाहन जब्त किया जा सकता है।”
"सिर्फ सरकार को प्रदूषण याद आता है जब चुनाव नजदीक हो!
इस फैसले के विरोध में दिल्ली की सड़कों पर अलिखित विद्रोह देखा जा सकता है। पेट्रोल पंपों पर लंबी-लंबी बहसें, सोशल मीडिया पर गुस्से भरे वीडियो, और WhatsApp ग्रुप्स में सरकार को कोसते मैसेज—आज की राजधानी का माहौल किसी लोकसभा चुनाव से पहले का लग रहा है। राजीव चौक पर एक व्यक्ति अपनी 2009 मॉडल डीजल SUV लेकर आया और जैसे ही उसे रोका गया, वह गुस्से में चिल्लाया— "हमने टैक्स दिया, बीमा करवाया, हर बार गाड़ी की सर्विस करवाई... अब अचानक गाड़ी बूढ़ी हो गई?" वहीं कुछ लोगों ने ये भी कहा कि ये नियम अमीरों के लिए नहीं, सिर्फ मध्यमवर्गीय और गरीब गाड़ी मालिकों पर हमला है। “मर्सिडीज 2008 मॉडल है तो चल सकती है, लेकिन हमारी मारुति नहीं?”
“गाड़ी में तेल नहीं, लेकिन CCTV में रिकॉर्ड पक्का!” – सरकार की सख्ती
इस नियम को लागू कराने के लिए सरकार ने पूरी ताकत झोंक दी है। दिल्ली ट्रैफिक पुलिस के साथ मिलकर ट्रांसपोर्ट डिपार्टमेंट ने सैकड़ों टीमों को पेट्रोल पंपों पर तैनात कर दिया है। सभी कैमरे ऑटोमेटेड हैं और गाड़ी की आरसी से जुड़ा डेटा तुरंत सर्वर पर चला जाता है। सरकार ने पंप मालिकों को चेतावनी दी है कि यदि किसी प्रतिबंधित गाड़ी को ईंधन दिया गया, तो उन पर भी भारी जुर्माना लगाया जाएगा या लाइसेंस रद्द किया जा सकता है।
साफ हवा के लिए सख्त नियम या ‘ग़रीब हटाओ अभियान’?
सरकार का दावा है कि राजधानी में हर साल हजारों लोग वायु प्रदूषण से मरते हैं और इसमें सबसे बड़ा योगदान पुरानी गाड़ियों के धुएं का है। पर क्या यह नियम इतनी सख्ती से लागू करना ज़रूरी था? क्या लोगों को विकल्प या समय देना सही नहीं होता? इस सवाल पर राजनीतिक बहस भी शुरू हो गई है। विपक्षी दलों ने सरकार पर हमला बोलते हुए कहा है कि “दिल्ली में ऑक्सीजन देने के नाम पर लोगों से उनकी रोज़ी-रोटी छीनने की तैयारी हो रही है।” भाजपा नेता ने कहा कि “इस फैसले से हजारों ड्राइवर और डिलीवरी ब्वॉय सड़कों पर आ जाएंगे, जिनके पास 10-15 साल पुरानी गाड़ियां हैं। सरकार ने क्या उनके लिए कोई योजना बनाई है?”
आगे क्या? CNG, EV या बस का सहारा?
इस नियम के बाद राजधानी में CNG और इलेक्ट्रिक गाड़ियों की मांग बढ़ने की उम्मीद है। लेकिन सवाल है—क्या इतनी जल्दी आम लोग EV गाड़ी खरीद पाएंगे? क्या सरकार कोई स्कीम लेकर आएगी? कुछ लोग सार्वजनिक परिवहन की ओर रुख कर सकते हैं, लेकिन DTC की बसों की हालत और भीड़ किसी से छुपी नहीं है। सरकार ने संकेत दिए हैं कि आगे चलकर दिल्ली में एक राष्ट्रीय स्क्रैपिंग पॉलिसी को भी सख्ती से लागू किया जाएगा, ताकि पुरानी गाड़ियों को कबाड़ में बदल कर सब्सिडी दी जा सके।
दिल्ली की सड़कों पर ‘सफाई’ या राजनीतिक चाल?
सरकार के इस फैसले को कुछ लोग क्रांतिकारी कदम कह रहे हैं, तो कुछ इसे ‘मध्यम वर्ग की हत्या’ बता रहे हैं। साफ हवा की कीमत क्या हर कोई चुका सकता है? या यह फैसला भी चुनावी रणनीति का हिस्सा है? एक बात तो साफ है—अब दिल्ली की सड़कों पर सिर्फ गाड़ियां नहीं रुकेंगी, गुस्सा और बहसें भी हर पेट्रोल पंप पर दौड़ेंगी!
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