HDFC Bank CEO's Statement: एचडीबी फाइनेंशियल की लिस्टिंग के बाद भी हमारा समर्थन जारी रहेगा

HDFC Bank CEO Statement: एचडीएफसी बैंक के मैनेजिंग डायरेक्टर और सीईओ सशिधर जगदीशन ने बुधवार को एक महत्वपूर्ण बयान में कहा कि बैंक अपनी सब्सिडियरी एचडीबी फाइनेंशियल सर्विसेज को लिस्टिंग के बाद भी हर संभव सहयोग देता रहेगा।

Sonal Girhepunje
Published on: 2 July 2025 3:52 PM IST
HDFC Bank CEO Statement Our support will continue even after the listing of Financial
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HDFC Bank CEO Statement Our support will continue even after the listing of Financial

HDFC Bank CEO's Statement: एचडीएफसी बैंक के मैनेजिंग डायरेक्टर और सीईओ सशिधर जगदीशन ने बुधवार को एक महत्वपूर्ण बयान में कहा कि बैंक अपनी सब्सिडियरी एचडीबी फाइनेंशियल सर्विसेज को लिस्टिंग के बाद भी हर संभव सहयोग देता रहेगा। उनका यह बयान उस समय आया जब एचडीबी के शेयरों की आधिकारिक रूप से शेयर बाजार में एंट्री हुई।

₹12,500 करोड़ के इनिशियल पब्लिक ऑफर को एक "जटिल लेनदेन" करार देते हुए, जगदीशन ने इस इवेंट को बैंक के इतिहास में एक महत्वपूर्ण मोड़ बताया और कहा कि यह नॉन-बैंकिंग फाइनेंशियल कंपनी (NBFC) के लिए एक ऐतिहासिक दिन है, जिसे एचडीएफसी बैंक ने समय के साथ विकसित किया है।

उन्होंने लिस्टिंग से पहले कहा कि इस आईपीओ से कंपनी को “स्वतंत्र पूंजी और बाज़ार में पहचान” मिलेगी, जिससे वह अपने विकास की रफ्तार को और तेज़ कर पाएगी। “हम एचडीबी का साथ देते रहेंगे क्योंकि वह सार्वजनिक बाज़ार में मौजूद अवसरों और चुनौतियों का सामना कर रही है,” जगदीशन ने आगे जोड़ा।

एचडीबी की ताकत: मजबूत बुनियाद और बड़े अवसर

जगदीशन ने यह भी बताया कि एचडीबी फाइनेंशियल भारत के उन क्रेडिट सेगमेंट्स पर केंद्रित है, जिन्हें अब तक पर्याप्त सेवाएं नहीं मिल पाई हैं। यही इसका सबसे बड़ा अवसर है, और इसकी "strong fundamentals" इसे इस रेस में आगे बढ़ने की ताकत देती हैं।

एचडीएफसी बैंक, जो निजी क्षेत्र में संपत्ति के लिहाज से सबसे बड़ा बैंक है, ने इस एनबीएफसी को समय के साथ मजबूती दी है। सीईओ ने कहा कि एचडीबी की लिस्टिंग केवल एक वित्तीय लेनदेन नहीं बल्कि समावेशी विकास और वैल्यू क्रिएशन की दिशा में एक मील का पत्थर है।

IPO को मिला ज़बरदस्त रिस्पॉन्स

एचडीबी फाइनेंशियल के आईपीओ को निवेशकों की जबरदस्त प्रतिक्रिया मिली। इसका इश्यू लगभग 17 गुना ओवरसब्सक्राइब हुआ, जिसमें संस्थागत निवेशकों ने 55 गुना से अधिक हिस्सेदारी मांगी। हालांकि, रिटेल इन्वेस्टर्स का रुझान थोड़ा कम था, जो लगभग 1.4 गुना रहा।

कंपनी ने प्रति शेयर ₹700–740 का प्राइस बैंड तय किया था, जो अनलिस्टेड ग्रे मार्केट की तुलना में काफी कम था। इसका कारण यह था कि निवेशक रेगुलेटरी अनिश्चितताओं को लेकर सतर्क थे।

आरबीआई की गाइडलाइंस और शेयरहोल्डिंग पैटर्न

भारतीय रिज़र्व बैंक के दिशा-निर्देशों के अनुसार, इस आकार की एनबीएफसी को सितंबर तक लिस्ट कराना आवश्यक था। आरबीआई के मसौदा नियमों में यह प्रस्तावित है कि बैंक और उसकी सब्सिडियरी यदि एक ही तरह का व्यवसाय करते हैं, तो बैंक की हिस्सेदारी 20% तक सीमित की जानी चाहिए।

हालांकि, एचडीबी प्रबंधन ने स्पष्ट किया है कि उनके और पेरेंट बैंक के बीच कारोबार की प्रकृति में कोई विशेष अंतर नहीं है।

आईपीओ के बाद एचडीएफसी बैंक की एचडीबी में हिस्सेदारी घटकर 75% रह गई है, जो पहले 100% थी।

एचडीबी फाइनेंशियल सर्विसेज लिमिटेड के शेयरों की लिस्टिंग इश्यू प्राइस ₹740 के मुकाबले करीब 13% प्रीमियम पर हुई।

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