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$220 Million Project के साथ Lodha की दिल्ली एंट्री: DLF के गढ़ में रियल एस्टेट की नई प्रतिस्पर्धा
Lodha’s $220 Million Real Estate Expansion : Lodha की दिल्ली-एनसीआर में एंट्री - $220 मिलियन प्रोजेक्ट से रियल एस्टेट सेक्टर में बढ़ेगी प्रतिस्पर्धा और रणनीतिक बदलाव।
Lodha’s $220 Million Real Estate Expansion
Lodha’s $220 Million Real Estate Expansion : भारत का रियल एस्टेट सेक्टर अब एक नई प्रतिस्पर्धा की दिशा में बढ़ रहा है। देश की दूसरी सबसे बड़ी रियल एस्टेट कंपनी Lodha Developers Ltd. ने अब दिल्ली-एनसीआर जैसे प्रमुख बाजार में कदम रखने का फैसला किया है, जो अब तक DLF जैसे दिग्गज का गढ़ माना जाता रहा है। यह फैसला लोधा की आक्रामक विस्तार रणनीति का हिस्सा है, जो देशभर में अपनी उपस्थिति को मजबूत करने की दिशा में उठाया गया एक बड़ा कदम है। इससे स्पष्ट है कि रियल एस्टेट कंपनियाँ अब सिर्फ अपने पारंपरिक बाजारों तक सीमित नहीं रहना चाहतीं, बल्कि नए क्षेत्रों में उतरकर एक व्यापक राष्ट्रीय पहचान बनाना चाहती हैं।
₹19 अरब की बड़ी योजना :
मुंबई स्थित लोधा डेवेलपर्स ने साल 2026 में अप्रैल से शुरू होने वाले वित्तीय वर्ष में दिल्ली के आसपास एक रेजिडेंशियल प्रोजेक्ट शुरू करने की योजना बनाई है। कंपनी इस प्रोजेक्ट में करीब 19 अरब रुपये (लगभग $220 मिलियन) का निवेश करेगी। कंपनी के चीफ सेल्स ऑफिसर प्रशांत बिंदल ने जानकारी दी कि यह परियोजना कंपनी की राष्ट्रीय विस्तार नीति का अहम हिस्सा होगी।
प्रशांत बिंदल ने कहा, “हम जब भी किसी नए शहर में प्रवेश करते हैं, तो हमारा लक्ष्य होता है कि अगले तीन वर्षों में हम उस शहर के टॉप 3 डेवेलपर्स में शामिल हो जाएं। यही हमारी रणनीति है।”
DLF के गढ़ में लोधा की दस्तक :
दिल्ली-एनसीआर क्षेत्र को अब तक DLF Ltd. का गढ़ माना जाता रहा है। इस क्षेत्र में DLF की मजबूत पकड़ और प्रतिष्ठा है। लेकिन अब लोधा के आगमन से इस क्षेत्र में प्रतिस्पर्धा और तेज होने वाली है। पहले से ही प्रोफेशनल हाउसिंग, लग्जरी अपार्टमेंट्स और प्रीमियम लोकेशंस की मांग लगातार बढ़ रही है। लोधा की योजना इस मांग को पूरा करने के साथ-साथ DLF जैसी कंपनियों को सीधी चुनौती देने की है।
इसी साल DLF ने मुंबई में अपने पहले प्रोजेक्ट के पहले फेज में ही 2300 करोड़ रुपये से अधिक की बिक्री की है। इससे यह स्पष्ट होता है कि भारत में प्रीमियम और लक्ज़री हाउसिंग का बाजार कितना मजबूत हो चुका है।
प्रीमियम सेगमेंट में तेजी :
रियल एस्टेट सलाहकार Knight Frank की एक रिपोर्ट के अनुसार, भारत में इस साल के पहले छह महीनों में 1 करोड़ रुपये से ऊपर की कीमत वाले घरों ने कुल रेजिडेंशियल बिक्री का लगभग 50% हिस्सा बनाया। दिल्ली-एनसीआर क्षेत्र में सबसे ज़्यादा 16,416 यूनिट्स की बिक्री दर्ज हुई, जबकि मुंबई 15,270 यूनिट्स के साथ दूसरे स्थान पर रहा।
इससे यह संकेत मिलता है कि बड़े शहरों में महंगे और प्रीमियम घरों की मांग में जबरदस्त उछाल है, और यही कारण है कि कंपनियाँ अब एक शहर तक सीमित नहीं रहना चाहतीं।
नई भौगोलिक सीमाओं में विस्तार की दौड़ :
लोधा ही नहीं, अन्य बड़ी कंपनियाँ भी अब पारंपरिक बाजारों से बाहर निकलकर नई भौगोलिक सीमाओं की तलाश कर रही हैं। उदाहरण के लिए, Prestige Estates Projects Ltd. ने हाल ही में मुंबई में 2.8 मिलियन स्क्वायर फीट के तीन प्रोजेक्ट पूरे किए, जो उनकी फाइनेंशियल कैपिटल में एंट्री को दर्शाते हैं।
Knight Frank India के सीनियर डायरेक्टर गुलाम ज़िया कहते हैं कि अब कंपनियों को आगे बढ़ने के लिए अपने पुराने इलाकों से बाहर निकलना होगा। अगर उन्हें बड़ा बनना है, तो उन्हें नई जगहों पर काम करना पड़ेगा। अब कंपनियाँ सिर्फ एक जगह पर टिक कर नहीं चल सकतीं। उन्हें अपने आराम वाले दायरे से बाहर आकर नए शहरों में काम करना होगा।
प्रतिस्पर्धा के नए आयाम :
Savills India के रिसर्च डायरेक्टर अरविंद नंदन कहते हैं कि नए शहरों में विस्तार से न सिर्फ कंपनियों को नए ग्राहक मिलते हैं, बल्कि प्राइम लोकेशंस, स्किल्ड टैलेंट और निवेश पूंजी तक भी पहुँच बनती है। लेकिन असली परीक्षा तब होगी जब मार्केट में मंदी का दौर आएगा। उस समय यह देखना होगा कि कौन-सी कंपनी टिकती है और कौन पीछे हटती है।
गुलाम ज़िया का मानना है कि “मार्केट साइकिल जब पलटेगा, तब ही यह तय होगा कि कौन-सी कंपनी वाकई में देशव्यापी विस्तार के लिए तैयार है।”
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