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OctaFX फॉरेक्स ट्रेडिंग फ्रॉड: 800 करोड़ रुपये का घोटाला, ED ने 131 करोड़ जब्त किए
OctaFX Forex Trading Fraud: इन्हीं में से एक नाम सामने आया है - OctaFX का। यह एक ऑनलाइन फॉरेक्स ट्रेडिंग प्लेटफॉर्म है, जो बिना लाइसेंस के भारत में काम कर रहा था।
OctaFX Forex Trading Fraud Rs 800 Crore Scam ED Seizes Rs 131 Crore
OctaFX Forex Trading Fraud: आज के समय में जब लोग बैंक एफडी और शेयर बाजार से आगे बढ़कर विदेशी ट्रेडिंग जैसे विकल्पों में निवेश करने लगे हैं, तब ऐसे प्लेटफॉर्म्स की भरमार हो गई है जो जल्दी मुनाफा दिलाने का दावा करते हैं। इन्हीं में से एक नाम सामने आया है - OctaFX का। यह एक ऑनलाइन फॉरेक्स ट्रेडिंग प्लेटफॉर्म है, जो बिना लाइसेंस के भारत में काम कर रहा था। इस प्लेटफॉर्म पर हजारों भारतीयों ने निवेश किया, लेकिन जल्द ही उन्हें ठगा गया महसूस हुआ। अब प्रवर्तन निदेशालय (ED) ने इस पर बड़ी कार्रवाई करते हुए इसे 800 करोड़ रुपये के मनी लॉन्ड्रिंग घोटाले से जोड़ा है और 131.45 करोड़ रुपये की संपत्तियां जब्त कर ली हैं। सेलेब्रिटी एंडोर्समेंट से लेकर सोशल मीडिया प्रचार तक, इस पूरे मामले ने दिखाया है कि कैसे आधुनिक डिजिटल घोटाले लोगों की मेहनत की कमाई को निगल रहे हैं।
कैसे काम करता था OctaFX का फर्जी नेटवर्क?
जांच में पता चला है कि OctaFX एक अनधिकृत फॉरेक्स ट्रेडिंग प्लेटफॉर्म था, जो खुद को निवेश का सुरक्षित विकल्प बताकर लोगों को आकर्षित करता था। इसके प्रमोशन में कई सोशल मीडिया इनफ्लुएंसर और सेलेब्रिटी शामिल थे, जिन्होंने इस प्लेटफॉर्म की विश्वसनीयता को बढ़ावा दिया। प्लेटफॉर्म पर ज्यादा रिटर्न देने के वादे किए जाते थे, और निवेशकों को खास टेलीग्राम ग्रुप्स और ऐप्स के जरिए जोड़ लिया जाता था।
ED के मुताबिक, कंपनी बार-बार अपनी वेबसाइट, लॉगिन इंटरफेस और ब्रांड नेम बदलती थी ताकि रेगुलेटरी एजेंसियों की नजरों से बचा जा सके। इस प्लेटफॉर्म ने अलग-अलग नामों से निवेशकों को भ्रमित किया और उनके पैसे फर्जी खातों और शेल कंपनियों के जरिए भारत से बाहर भेज दिए गए।
FIR से लेकर ED की जब्ती तक की पूरी कहानी
इस मामले की शुरुआत पुणे के शिवाजीनगर पुलिस स्टेशन में दर्ज की गई एक शिकायत से हुई, जहां कई निवेशकों ने OctaFX के खिलाफ रिटर्न न मिलने की शिकायत दर्ज कराई थी। शिकायतों के आधार पर ED ने मनी लॉन्ड्रिंग के तहत जांच शुरू की। शुरुआती जांच में सामने आया कि केवल 9 महीनों के भीतर इस प्लेटफॉर्म ने भारतीय निवेशकों से करीब 800 करोड़ रुपये इकट्ठा कर लिए थे।
इन पैसों को वैध दिखाने के लिए कंपनी ने विदेशी ब्रोकर्स के नाम पर अलग-अलग शेल कंपनियों और अकाउंट्स में फंड ट्रांसफर किए। ED ने अब तक इस मामले में 131.45 करोड़ रुपये की संपत्तियां जब्त कर ली हैं, जिनमें डिजिटल एसेट्स, बैंक डिपॉजिट और महंगी प्रॉपर्टीज शामिल हैं।
निवेशकों के लिए सबक और सतर्कता की ज़रूरत
इस मामले से एक अहम सीख यह मिलती है कि निवेश करने से पहले किसी भी प्लेटफॉर्म की वैधता की अच्छी तरह जांच कर लेनी चाहिए। अगर कोई कंपनी या ऐप अधिक रिटर्न का वादा कर रही है, तो उसमें जोखिम भी उतना ही ज्यादा हो सकता है। अनधिकृत फॉरेक्स ट्रेडिंग प्लेटफॉर्म्स से दूर रहना ही समझदारी है।
ED और अन्य एजेंसियां लगातार ऐसे घोटालों की जांच में लगी हैं, लेकिन व्यक्तिगत सतर्कता भी जरूरी है। निवेश से पहले SEBI या RBI से मान्यता प्राप्त प्लेटफॉर्म्स की सूची देख लें और सोशल मीडिया प्रचार या सेलेब्रिटी एंडोर्समेंट पर आंख मूंदकर भरोसा न करें।
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