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Zomato Success Story: दीपेंद्र गोयल के एक आइडिया से खड़ा हुआ भारत का सबसे भरोसेमंद फूड डिलीवरी ब्रांड
Zomato Success Story: जानिए कैसे दीपेंद्र गोयल और उनकी टीम ने एक छोटे विचार से भारत का सबसे बड़ा और भरोसेमंद फूड डिलीवरी प्लेटफॉर्म बनाया।
Zomato’s Success Story (Photo - Social Media)
Zomato’s Success Story: जब ऑनलाइन खाना मंगवाने की बात आती है, तो Zomato नाम सबसे पहले याद आता है। यह सिर्फ एक ऐप नहीं, बल्कि लाखों लोगों की जिंदगी का हिस्सा बन गया है। Zomato की शुरुआत 2008 में दीपेंद्र गोयल और पंकज छड़ाह ने की थी, जिन्होंने तकनीक और नवाचार के जरिए भारत के फूड डिलीवरी सिस्टम को पूरी तरह बदल डाला।
एक छोटे विचार से शुरू होकर, Zomato आज एक ऐसा प्लेटफॉर्म बन गया है जो न केवल ग्राहकों की सुविधा बढ़ाता है, बल्कि हजारों रेस्टोरेंट्स के लिए भी बिजनेस का नया रास्ता खोलता है। यह कंपनी जज्बा, मेहनत और स्मार्ट सोच की मिसाल है।
एक आइडिया से शुरुआत - जब दीपेंद्र ने देखी जरूरत :
साल 2008 की बात है। दीपेंद्र गोयल, जो IIT दिल्ली से पढ़े हुए थे और एक कंपनी में नौकरी कर रहे थे, ऑफिस कैंटीन में देखा कि लंच टाइम पर लोग रेस्टोरेंट के मेन्यू कार्ड्स के लिए लाइन में लगते थे। हर कोई जानना चाहता था कि खाने में क्या विकल्प हैं, लेकिन मेन्यू कार्ड गिने-चुने थे। इस समस्या को देखते हुए दीपेंद्र ने सोचा कि क्यों न इन मेन्यू कार्ड्स को ऑनलाइन स्कैन कर वेबसाइट पर रख दिया जाए ताकि कोई भी आसानी से देख सके?
2008 में दीपेंद्र ने पंकज छड़ाह के साथ मिलकर "Foodiebay" नाम की एक वेबसाइट शुरू की, जो बाद में Zomato बनी। शुरुआत में यह साइट रेस्टोरेंट्स के मेन्यू दिखाने का काम करती थी। जब लोगों की इसमें रुचि बढ़ी, तो दोनों ने अपनी नौकरी छोड़कर पूरी तरह से इस काम पर ध्यान देना शुरू कर दिया।
Zomato बना देश की पहचान - मेहनत, अनुभव और बदलाव की कहानी :
2010 में Foodiebay का नाम बदलकर Zomato रख दिया गया। नाम बदलने के साथ कंपनी का लक्ष्य भी बड़ा हो गया। अब यह साइट सिर्फ मेन्यू दिखाने तक नहीं रही, बल्कि लोगों को रेस्टोरेंट्स के बारे में रिव्यू पढ़ने, रेटिंग देने और नए खाने की जगहें खोजने की सुविधा भी मिलने लगी।
दीपेंद्र गोयल ने प्रोडक्ट और कंपनी के विजन को संभाला, जबकि टेक्नोलॉजी टीम ने इसे मजबूत बनाया। टीमवर्क और स्मार्ट सोच के दम पर Zomato ने दिल्ली, मुंबई, बैंगलोर जैसे बड़े शहरों में तेजी से जगह बना ली।
फिर आया असली बदलाव फूड डिलीवरी सर्विस का। उस समय भारत में ऑनलाइन खाना मंगवाना नए प्रयोग जैसा था, लेकिन Zomato ने भरोसेमंद तकनीक, बेहतर कस्टमर एक्सपीरियंस और त्वरित डिलीवरी सेवा से लोगों का विश्वास जीत लिया। यह भरोसा Zomato को देश की सबसे बड़ी फूड डिलीवरी कंपनियों में ले आया।
सफर आसान नहीं था - उतार-चढ़ाव, फंडिंग और कॉम्पिटीशन :
शुरुआत में कंपनी को पैसे जुटाने में दिक्कत हुई। लेकिन Info Edge नाम की एक कंपनी ने इसमें पैसा लगाया, जिससे Zomato को आर्थिक मदद मिली। इसके बाद धीरे-धीरे विदेशी कंपनियों ने भी निवेश किया, जिससे Zomato को दुनिया के दूसरे देशों में काम बढ़ाने का मौका मिला।
2015 के बाद Zomato ने UAE, ऑस्ट्रेलिया, UK जैसे देशों में अपने सर्विस का विस्तार किया। हर जगह सफलता नहीं मिली, लेकिन इस अनुभव ने कंपनी को और मजबूत बनाया।
कॉम्पिटीशन भी बड़ा था। Swiggy जैसे कॉम्पटीटर ने जल्दी बाजार में पकड़ बनाई, लेकिन Zomato ने अपनी तकनीकी ताकत, ग्राहक सेवा और ब्रांडिंग के चलते खुद को मजबूती से स्थापित किया।
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