कौन हैं ‘छत्तीसगढ़ महतारी’? जानिए राज्य की असली आराध्या देवी के बारे में

दंतेश्वरी से महामाया तक — जानिए छत्तीसगढ़ महतारी की उत्पत्ति और सांस्कृतिक पहचान

Ramkrishna Vajpei
Published on: 27 Oct 2025 6:25 PM IST
Chhattisgarh Mahtari
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Chhattisgarh Mahtari

छत्तीसगढ़ महतारी की मूर्ति तोड़े जाने की खबरें वायरल होने के बाद एक बार लोगों के मन में यह सवाल उठा है कि आखिर यह महतारी कौन हैं जिनके नाम पर छत्तीसगढ़ सरकार कई कल्याणी योजनाएं बनाकर चला रही है। वैसे छत्तीसगढ़ के जनमानस की कोई एक कुल देवी नहीं है, बल्कि यह अलग-अलग क्षेत्रों और समुदायों के अनुसार बदलती रहती हैं। जैसे बस्तर के शाही परिवार की कुल देवी माँ दंतेश्वरी हैं तो सरगुजा राजघराने की कुल देवी मां महामाया हैं। इसके अलावा भी कई अन्य कुल देवियों की पूजा राज्य के विभिन्न अंचलों में की जाती है।

बस्तर शाही परिवार: माँ दंतेश्वरी

दंतेश्‍वरी मॉ मंदिर बस्तर की सबसे सम्मानित देवी को समर्पित मंदिर है और 52 शक्ति पीठों में से एक माना जाता है। माना जाता है कि देवी सती का दांत यहां गिरा था, इसलिए दंतेवाड़ा का नाम लिया गया। बस्तर शाही परिवार का इतिहास भी कम रोचक नहीं है जो कि काकतीय राजवंश से शुरू होता है, जिसकी स्थापना 1324 में अन्नम देव ने वारंगल से आकर की थी। यह राजवंश 1948 में भारत संघ में विलय होने तक बस्तर पर शासन करता रहा। प्रवीर चंद्र भंजदेव को बस्तर का अंतिम राजा माना जाता है, और उनके बेटे कमल चंद्र भंजदेव वर्तमान युवराज हैं।

सरगुजा राजघराना: मां महामाया

मां महामाया को हम गौतम बुद्ध की मां और छत्तीसगढ़ में एक प्रसिद्ध देवी मंदिर के रूप में जानते हैं। गौतम बुद्ध की मां का असली नाम मायादेवी था, जिन्हें महामाया के नाम से भी जाना जाता है, और उनका जन्म कोलिया राज्य में हुआ था। दूसरी ओर, रतनपुर, छत्तीसगढ़ में महामाया मंदिर एक प्राचीन और महत्वपूर्ण शक्तिपीठ है, जिसे 12वीं शताब्दी में कलचुरि राजवंश द्वारा स्थापित किया गया था।

सरगुजा राजघराना छत्तीसगढ़ का एक ऐतिहासिक राजपरिवार कहा जाता है, जो कि मूल रूप से रक्सेल राजपूत वंश से थे और 17वीं शताब्दी तक पालामऊ पर इनका शासन रहा। जबकि तीसरी शताब्दी से ही यहां रक्तसल वंश की वंशावली स्थापित है। 1818 में ब्रिटिश संरक्षण में आने के बाद, सरगुजा एक रियासत बन गई और 1951 में चांज भाखर, कोरिया और सरगुजा को मिलाकर जिला बनाया गया। टी.एस. सिंह देव सरगुजा शाही परिवार के 118वें राजा हैं और वे छत्तीसगढ़ के स्वास्थ्य मंत्री भी रहे हैं।

छत्तीसगढ़ की अन्य कुल देवियां

इसके अलावा बिंझवार समाज की कुल देवी विंध्यवासिनी माई हैं। बंजारी माता बंजारा समुदाय की कुलदेवी हैं। इसके अलावा संभव है कि कुछ अन्य कुलदेवियां आदिवासी समुदाय की रही हों लेकिन बात अगर छत्तीसगढ़ महतारी की करें तो इनका आविर्भाव और प्राकट्य छत्तीसगढ़ आंदोलन के दौरान जनता को भावनात्मक रूप से राज्य बनाओ आंदोलन से जोड़ने के लिए किया गया था। इसी दौरान देवी के माथे पर रक्त तिलक किया गया था जो कि आज भी देवी की तस्वीरों में स्पष्ट तौर पर दिखायी देता है। आज छत्तीसगढ़ महतारी निसंदेह राज्य की जनता की अधिष्ठात्री देवी बन चुकी हैं ऐसे में उनका सम्मान राजनीतिक वाद विवाद नाराजगी से परे होना चाहिए।

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