TRENDING TAGS :
क्या आप भी AI से ले रहे हैं हेल्थ सलाह? तो हो सकती है ये खतरनाक बीमारी!
AI vs Human Therapist : AI को मार्गदर्शन के तौर पर इस्तेमाल करें, लेकिन इलाज के लिए हमेशा एक योग्य मनोचिकित्सक या काउंसलर से ही सलाह लें।
AI vs Human Therapist : आज के डिजिटल युग में जहां हर जवाब कुछ ही सेकंड में गूगल और एआई चैट बॉट्स से मिल जाता है, वहीं हाल ही में मुंबई में एक 14 साल के बच्चे के केस ने सोचने पर मजबूर कर दिया है कि क्या वाकई तकनीक हर समस्या का हल है?
मुंबई के अपोलो अस्पताल में पेट दर्द की शिकायत के बाद एक बच्चे को इमरजेंसी में भर्ती किया गया। तमाम मेडिकल टेस्ट के बावजूद डॉक्टर किसी बीमारी की पहचान नहीं कर पाए।
इस बीच मां ने बताया कि बच्चे ने लक्षणों के आधार पर एआई चैट बॉट्स से सलाह ली थी, जिसने गैस्ट्रो की समस्या बताकर तुरंत अस्पताल जाने को कहा था। बाद में जब विशेषज्ञों ने केस की गहराई से जांच की, तो पता चला कि बच्चा किसी बीमारी से नहीं बल्कि गंभीर एंग्जायटी अटैक से जूझ रहा था। स्कूल में बुलिंग की वजह से उसके मानसिक तनाव ने शारीरिक लक्षणों का रूप ले लिया।
एआई की सीमाएं और खतरे
एक्सपर्ट्स मानते हैं कि ऐसे कई मामले सामने आ रहे हैं, जहां एआई चैट बॉट्स की गलत मेडिकल सलाह से मरीजों की हालत और बिगड़ गई। एआई बात तो करता है, लेकिन वो इंसानी भावनाएं नहीं समझ सकता। वो ना तो मरीज को देखता है, ना उसकी बॉडी लैंग्वेज या इमोशनल सिग्नल को पढ़ सकता है।
थेरेपी की जगह नहीं ले सकता चैटबॉट
स्टैनफोर्ड यूनिवर्सिटी की एक रिपोर्ट बताती है कि एआई, मेंटल हेल्थ से जुड़ी गहरी समस्याओं के लिए भरोसेमंद विकल्प नहीं हो सकता। एक इंसानी थेरेपिस्ट जहां मरीज की भावनाओं को महसूस करता है, वहीं मशीन सिर्फ शब्दों का विश्लेषण करती है।
भरोसा तकनीक पर नहीं, इंसान पर करें
हालांकि, कुछ इलाकों में जहां मेंटल हेल्थ के लिए पर्याप्त संसाधन नहीं हैं, वहां एआई टूल्स एक सीमित सपोर्ट के रूप में काम आ सकते हैं। लेकिन इन्हें कभी भी इलाज या काउंसलिंग का विकल्प नहीं मानना चाहिए।
तकनीक हमारी मदद जरूर कर सकती है, लेकिन जब बात मानसिक स्वास्थ्य की हो, तो एक संवेदनशील इंसानी संपर्क ही असली उपचार होता है।
Start Quiz
This Quiz helps us to increase our knowledge