मेडिकल साइंस में बड़ी क्रांति! दिल की बीमारियों को कुछ सेकंड में पहचान लेगी ये तकनीक

वैज्ञानिकों ने एक ऐसा आर्टिफ़िशियल इंटेलिजेंस (AI) स्टेथोस्कोप तैयार किया है, जो आपके दिल की आवाज़ सुनते ही तुरंत बता देगा कि सब कुछ सामान्य है या कोई गंभीर समस्या है।

Priya Singh Bisen
Published on: 5 Sept 2025 1:29 PM IST
AI stethoscope detects heart diseases in seconds
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AI stethoscope detects heart diseases in seconds

AI stethoscope: एक बार सोचिये... यदि डॉक्टर को आपके दिल की बीमारी का पता लगाने में घंटों नहीं, बल्कि कुछ ही सेकंड लगें, तो कैसा रहेगा? हैरान मत होइए! क्योंकि अब ये सच होने जा रहा है। वैज्ञानिकों ने एक ऐसा आर्टिफ़िशियल इंटेलिजेंस (AI) स्टेथोस्कोप तैयार किया है, जो आपके दिल की आवाज़ सुनते ही तुरंत बता देगा कि सब कुछ सामान्य है या कोई गंभीर समस्या है।

अक्सर दिल की बीमारियां धीरे-धीरे बढ़ती हैं जिनका हमें समय से पता नहीं चल पाता और समय पर पहचान भी नहीं हो पाती जिस कारण यह खतरनाक रूप ले लेती है। ट्रेडिशनल जांच में रिपोर्ट आने तक मरीज को काफ़ी इंतजार करना पड़ता है, लेकिन अब आपको इंतज़ार करने की आवश्यकता नहीं है। शोधकर्ताओं का दावा है कि यह एआई स्टेथोस्कोप तीन तरह की गंभीर हृदय संबंधी बीमारियों को कुछ ही पलों में सटीक पहचान बताने की क्षमता रखता है।

मेडिकल साइंस में बड़ी क्रांति


आज दिल की बीमारियों से जूझ रहे तमाम लोगों के लिए मेडिकल साइंस में बड़ी क्रांति आने वाली है। शोधकर्ताओं का कहना है कि आर्टिफ़िशियल इंटेलिजेंस (एआई) से लैस नया स्टेथोस्कोप अब कुछ ही सेकंड में तीन बड़ी हृदय संबंधी बीमारियों का पता लगाने में सक्षम है। यह तकनीक मरीजों को वक़्त रहते इलाज दिलाने में सहायता करेगा और साथ ही साथ स्ट्रोक तथा अचानक होने वाली मौतों के खतरे भी काफी हद तक कम हो सकते हैं।

200 साल पुराने स्टेथोस्कोप का अब सामने आया आधुनिक रूप


वैसे तो स्टेथोस्कोप का आविष्कार साल 1816 में किया गया था और तब से लेकर अब तक डॉक्टर इसका इस्तेमाल शरीर के भीतर की आवाजें सुनने के लिए शुरुआत से ही करते आ रहे हैं। लेकिन अब ब्रिटेन की एक टीम ने इस पर आधुनिक तकनीक का प्रयोग कर एक एआई-आधारित स्टेथोस्कोप तैयार किया है। अध्ययन में सामने आया कि यह डिवाइस हार्ट फेल, हार्ट वॉल्व की बीमारी और असामान्य हार्टबीट जैसी गंभीर बीमारियों का पलभर में पता लगा सकता है।

कैसे काम करता है एआई स्टेथोस्कोप ?


रिपोर्ट के मुताबिक, एआई स्टेथोस्कोप का डिजाइन पारंपरिक स्टेथोस्कोप से थोड़ा अलग है। इसमें छाती पर लगाने वाले हिस्से की जगह एक छोटा डिवाइस लगा है, जो ताश के पत्ते जितना बड़ा है। इसमें मौजूद माइक्रोफोन हार्ट बीट और ब्लड फ्लो में छोटे से छोटे परिवर्तन को भी पकड़ लेगा, जिसे इंसान कान से सुन ही नहीं सकता। इसके साथ ही यह डिवाइस ECG (इलेक्ट्रोकार्डियोग्राम) टेस्ट भी करता है और दिल के इलेक्ट्रॉनिक सिग्नल्स को रिकॉर्ड कर क्लाउड पर भेज देता है। वहां लाखों मरीजों के डेटा का एआई की सहायता से विश्लेषण किया जाता है, जिससे कुछ मिनटों में परिणाम सामने आ जाते हैं।

रिसर्च में साबित हुई प्रभावशीलता

जानकारी के मुताबिक, इस एआई स्टेथोस्कोप को अमेरिकी कंपनी इको हेल्थ (Eko Health) द्वारा बनाकर तैयार किया गया है। लंदन के इंपीरियल कॉलेज और NHS ट्रस्ट द्वारा किए गए अध्ययन में 96 क्लिनिकों के 12,000 से ज़्यादा मरीजों की जांच इस स्टेथोस्कोप से की गई।

शोधकर्ताओं के अनुसार—

1. हार्ट फेल का पता लगाने में यह डिवाइस 2.33 गुना ज़्यादा सक्षम रहा।

2. असाधारण हार्टबीट (Arrhythmia) का पता लगाने में ये 3.5 गुना ज़्यादा प्रभावी साबित हुआ।

3. हार्ट वॉल्व की बीमारी की पहचान करने में 1.9 गुना आसानी हुई।

दुनियाभर में दिल की बिमारियों से जूझने वालों की संख्या कितनी है ?

फिलहाल दुनिया भर में दिल की बीमारियों से जूझने वालों की सटीक संख्या किसी रिपोर्ट में दर नहीं है लेकिन अनुमान है कि 2011 में लगभग 320 मिलियन लोग हृदय या संचार संबंधी रोग से पीड़ित थे। जहाँ 2020 में लगभग 20.5 मिलियन लोगों की मौत हृदय रोगों के कारण हुई थी। देखा जाए तो आजकल हृदय रोग युवाओं में भी तेजी से बढ़ रहा है, जो बेहद चिंताजनक है।

भारत में दिल की बिमारियों से जूझने वालों की संख्या ?


भारत में हृदय रोगों के मरीजों की संख्या फिलहाल बहुत अधिक है, जिसमें साल 2016 में करीब 54.5 मिलियन अधिक मामलों की पुष्टि हुई थी। कुछ अनुमानों के मुताबिक यह संख्या 10 करोड़ तक भी पहुंच सकती है। 2016 के एक अध्ययन के मुताबिक, भारत में हृदय रोगों के मामलों की संख्या 1990 में 25.7 मिलियन से बढ़कर 54.5 मिलियन हो गई थी। इसके साथ ही बीते कुछ 2 से 3 सालों में भारत में हृदय रोगों से होने वाली मौतों की संख्या में वृद्धि देखी गई है, जो देश में कुल मौतों का एक बड़ा हिस्सा है।

डॉक्टरों की राय और भविष्य की योजना ?

ब्रिटिश हार्ट फाउंडेशन की क्लिनिकल डायरेक्टर और कार्डियोलॉजिस्ट डॉक्टर के मुताबिक, यह इनोवेशन स्पष्ट रूप से बताता है कि 200 साल पहले बना एक साधारण स्टेथोस्कोप कैसे 21वीं सदी की आवश्यकता के अनुसार अपग्रेड किया जा सकता है। देखा जाए तो अक्सर मरीजों में बीमारी का पता तब चलता है, जब वे इमरजेंसी में अस्पताल में एडमिट होते हैं। लेकिन इस तकनीक के माध्यम से शुरुआती चरण में ही बीमारी की पहचान की जा सकती है।

ध्यान देने योग्य: इस स्टडी के परिणाम हाल ही में मैड्रिड में आयोजित हुए यूरोपियन सोसाइटी ऑफ कार्डियोलॉजी की वार्षिक कांग्रेस में हजारों डॉक्टरों के सामने पेश किए गए। अब इस एआई स्टेथोस्कोप का इस्तेमाल दक्षिण लंदन, ससेक्स और वेल्स में शुरू करने की योजना बनाई गई है।

मरीजों के लिए नई उम्मीद की राह


दिल की बीमारियों का समय से पता चलना जीवन बचाने में सबसे महत्वपूर्ण कदम है। ऐसे में यह एआई स्टेथोस्कोप लाखों मरीजों के लिए जीवनदान साबित हो सकता है। यह न केवल डॉक्टरों के काम को सरल बनाएगा बल्कि मरीजों को समय रहते सटीक इलाज भी मुहैया कराएगा।

अब ज़रा सोचिये... अस्पताल में यदि डॉक्टर आपके सीने पर यह स्टेथोस्कोप लगाए और तत्काल स्क्रीन पर आपके दिल की स्थिति सामने आ जाए, तो इलाज शुरू करने में कितनी आसानी होगी! इससे न केवल डॉक्टरों का वक़्त बचेगा बल्कि आज दिल की समस्या से जूझ रहे तमाम मरीजों की जान भी समय रहते बचाई जा सकेगी। यानी... अब ये कह सकते हैं कि दिल की धड़कनों को समझने वाली यह स्मार्ट तकनीक भविष्य में हृदय रोगों के खिलाफ़ सबसे बड़ी ढाल बन सकती है।

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