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Cane Sugar vs Corn Syrup: कौन है अधिक सेहतमंद? भारत में क्या उपयोग हो रहा है?
Cane Sugar vs Corn Syrup: गन्ने की चीनी और हाई-फ्रक्टोज कॉर्न सिरप के बीच अंतर कैलोरी से अधिक रासायनिक संरचना में निहित है।
Cane Sugar vs Corn Syrup Which is Healthier
Cane Sugar vs Corn Syrup: अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने हाल ही में दावा किया है कि कोका-कोला कंपनी अमेरिका में अपने कोला उत्पादों में हाई-फ्रक्टोज कॉर्न सिरप (HFCS) की जगह अब फिर से केन शुगर (गन्ने की चीनी) का इस्तेमाल शुरू करने जा रही है। सोशल मीडिया पर ट्रंप ने लिखा कि “केन शुगर वाला वर्जन बस बेहतर है!” — उनके इस बयान ने स्वास्थ्य विशेषज्ञों, उद्योग विश्लेषकों और उपभोक्ताओं के बीच मिश्रित प्रतिक्रियाएं उत्पन्न कर दी हैं।
असली फर्क क्या है?
गन्ने की चीनी और हाई-फ्रक्टोज कॉर्न सिरप के बीच अंतर कैलोरी से अधिक रासायनिक संरचना में निहित है। केन शुगर मुख्यतः सुक्रोज से बनी होती है, जो 50% ग्लूकोज और 50% फ्रक्टोज का मिश्रण है — ठीक वैसा ही जैसे टेबल शुगर। वहीं दूसरी ओर, हाई-फ्रक्टोज कॉर्न सिरप में आमतौर पर 55% फ्रक्टोज और 45% ग्लूकोज होता है। यह मामूली अंतर होने के बावजूद वैज्ञानिक समुदाय में चिंता का विषय बन गया है।
विशेषज्ञों का कहना है कि दोनों प्रकार की मिठास जब अत्यधिक मात्रा में, विशेष रूप से कोल्ड ड्रिंक जैसे पेयों में सेवन की जाती है, तो उनके स्वास्थ्य प्रभाव लगभग समान होते हैं। फ्रक्टोज शरीर में ग्लूकोज से भिन्न तरीके से पचता है और अत्यधिक मात्रा में लेने पर यह लिवर पर अतिरिक्त भार डाल सकता है। कई शोधों से पता चला है कि अत्यधिक फ्रक्टोज सेवन से इंसुलिन प्रतिरोध, फैटी लिवर और हृदय संबंधी समस्याओं का खतरा बढ़ता है। केस वेस्टर्न यूनिवर्सिटी की न्यूट्रिशन विभागाध्यक्ष होप बार्कौकिस के अनुसार, “कॉर्न सिरप में फ्रक्टोज की मात्रा थोड़ी अधिक ज़रूर है, लेकिन यह मामूली अंतर भी टाइप-2 डायबिटीज, दिल की बीमारी, अत्यधिक भूख और लिवर के रोगों से जुड़ा हुआ है।”
प्रोसेसिंग और छवि की भूमिका
प्रोसेसिंग (प्रसंस्करण) भी इन दोनों शर्कराओं के बीच एक अहम अंतर पैदा करती है। दोनों ही औद्योगिक रूप से परिष्कृत होती हैं, लेकिन हाई-फ्रक्टोज कॉर्न सिरप को अधिक कृत्रिम माना जाता है क्योंकि यह एंजाइम की सहायता से कॉर्न स्टार्च को फ्रक्टोज में बदल कर तैयार किया जाता है। यह सस्ता, आसानी से उपलब्ध और उत्पादों की स्थिरता बनाए रखने वाला विकल्प है। दूसरी ओर, गन्ने की चीनी कम प्रोसेसिंग से गुजरती है और सीधे गन्ने से प्राप्त की जाती है, जिससे यह अपेक्षाकृत अधिक “प्राकृतिक” प्रतीत होती है और यही कारण है कि इसे स्वास्थ्य के लिहाज़ से बेहतर मानने की प्रवृत्ति विकसित हुई है।
हाल के वर्षों में पेप्सी से लेकर स्नैपल जैसे ब्रांडों ने अपने “रेट्रो” या “रियल शुगर” संस्करण लॉन्च किए हैं, जो क्लीन लेबल मूवमेंट का हिस्सा हैं। यदि कोका-कोला का यह बदलाव आधिकारिक रूप से पुष्टि पाता है, तो यह अमेरिकी पेय उद्योग में एक बड़ा बदलाव होगा। हालांकि, कृषि लॉबी समूह इस कदम का विरोध कर सकते हैं। कॉर्न उत्पादकों ने HFCS का बचाव करते हुए इसे अनावश्यक रूप से बदनाम किया गया बताकर इसकी अमेरिकी खेती के लिए आर्थिक महत्ता पर जोर दिया है।
स्वास्थ्य प्रभाव
विशेषज्ञ चेतावनी देते हैं कि चाहे कोई भी मिठास हो, मीठे पेय पदार्थ मोटापा, डायबिटीज और जीवनशैली से जुड़ी बीमारियों के प्रमुख कारण बने हुए हैं। अमेरिका के रोग नियंत्रण और रोकथाम केंद्र (CDC) के अनुसार, चीनी युक्त पेय अमेरिकी आहार में जोड़ी गई अतिरिक्त शक्कर का सबसे बड़ा स्रोत हैं। औसतन, अमेरिकी वयस्क प्रतिदिन 17 चम्मच से अधिक अतिरिक्त चीनी का सेवन करते हैं, जबकि महिलाओं के लिए 6 चम्मच और पुरुषों के लिए 9 चम्मच की सिफारिश की जाती है।
भारत में स्थिति
भारत में भी बड़े पैमाने पर उत्पादित, पैकेज्ड और रिटेल चैन शृंखलाओं में बिकने वाली मिठाइयों में कॉर्न सिरप, ग्लूकोज़ सिरप या अन्य स्टार्च-आधारित स्वीटनर का उपयोग केन शुगर के साथ या उसके स्थान पर किया जाता है।
ग्लूकोज़ सिरप / लिक्विड ग्लूकोज़: यह रसगुल्ला, सोनपापड़ी, काजू कतली, इमरती और कुछ चीनी-लेपित मिठाइयों में आम तौर पर इस्तेमाल होता है। यह सिरप कॉर्न, गेहूं या टैपिओका स्टार्च से निकाला जाता है और मिठाइयों की नमी, बनावट और शेल्फ लाइफ बनाए रखने में मदद करता है।
हाई-फ्रक्टोज कॉर्न सिरप (HFCS): यह सस्ते मिठाइयों, चीनी सिरप और फ्लेवरड डेज़र्ट जैसे जेली, टॉफ़ी और मिलावटी मिठाइयों में तेजी से उपयोग में लाया जा रहा है। कई बार यह “इन्वर्ट सिरप”, “फ्रक्टोज सिरप” या सीधे “HFCS” के नाम से नहीं बल्कि अन्य सामान्य शब्दों में पैकेजिंग पर छिपा होता है।
माल्टोज सिरप: यह भी एक सस्ता विकल्प है, जो अंजीर रोल, सूखे मेवों वाली मिठाइयों या चिपचिपी बनावट वाली मिठाइयों में प्रयोग होता है।
इन विकल्पों का इस्तेमाल कई वजहों से किया जा रहा है — ये केन शुगर से सस्ते होते हैं, मिठाइयों को जमने या सूखने से बचाते हैं, अधिक मुलायम बनाए रखते हैं और बड़े स्तर की मशीनों में आसानी से इस्तेमाल किए जा सकते हैं।
कई बार पैकेज्ड मिठाइयों में HFCS स्पष्ट रूप से नहीं लिखा होता, बल्कि लिक्विड ग्लूकोज़, इन्वर्टेड शुगर सिरप, कॉर्न सिरप सॉलिड्स जैसे सामान्य शब्दों में दर्ज होता है।
स्वास्थ्य संबंधी प्रभाव
ठीक उसी तरह जैसे सॉफ्ट ड्रिंक्स और प्रोसेस्ड फूड्स में, HFCS या ग्लूकोज़ सिरप वाली मिठाइयां भी स्वास्थ्य के लिए अधिक खतरनाक हो सकती हैं। इनसे रक्त शर्करा में तेज़ वृद्धि, फैटी लिवर, इंसुलिन प्रतिरोध और अत्यधिक भूख जैसी समस्याएं हो सकती हैं। शहरी भारत में यह विशेष रूप से चिंताजनक है, जहां मिठाइयों की खपत लगातार बढ़ रही है और डायबिटीज पहले से ही एक गंभीर समस्या बन चुकी है।
केन शुगर और हाई-फ्रक्टोज कॉर्न सिरप के बीच मामूली रासायनिक अंतर भले ही हो, लेकिन जब ये अत्यधिक मात्रा में सेवन किए जाते हैं, तो स्वास्थ्य पर प्रभाव लगभग एक जैसे होते हैं। भारत में उपभोक्ताओं को यह जानने की ज़रूरत है कि मिठास के स्रोत क्या हैं और लंबे समय तक स्वास्थ्य पर इसका क्या असर पड़ सकता है। स्पष्ट लेबलिंग, जागरूकता और संयमित सेवन ही इसका समाधान है।
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