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Health News: देर तक जागने की आदत क्यों है आपकी सेहत के लिए खतरनाक? यहां जानें

Health News: रात में देर तक जागने की आदत शरीर की प्राकृतिक प्रक्रिया यानी बायोलॉजिकल क्लॉक को बिगाड़ देती है। इससे धीरे-धीरे गंभीर बीमारियों का खतरा बढ़ने लगता है।

Ragini Sinha
Published on: 28 May 2025 11:04 AM (Updated on: 28 May 2025 11:08 AM)
Hormonal imbalance
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Hidden Dangers of Staying Up (social media) 

Health News: हम में से ज्यादातर लोग रात में एक घंटा और मोबाइल चलाने, रील्स देखने या फेवरेट वेब सीरीज खत्म करने के चक्कर में नींद को नजरअंदाज कर देते हैं। ऐसा करना भले ही उस वक्त सुकून भरा लगे, लेकिन यही आदत धीरे-धीरे आपके शरीर को अंदर से नुकसान पहुंचाने लगती है। लगातार नींद की कमी न सिर्फ आपकी थकान बढ़ाती है, बल्कि मानसिक, शारीरिक और भावनात्मक सेहत को भी कमजोर कर सकती है। आइए आज हम आपको बताते हैं कि रात में देर तक जागने के कौन-कौन से नुकसान होते हैं, जिनका असर धीरे-धीरे सामने आता है।

वजन बढ़ना और भूख का कंट्रोल बिगड़ना

जब आप पर्याप्त नींद नहीं लेते, तो शरीर के दो जरूरी हार्मोन लेप्टिन और घ्रेलिन (Leptin and Ghrelin) असंतुलित हो जाते हैं। ये हार्मोन भूख को नियंत्रित करते हैं। नींद की कमी के कारण आपकी भूख बढ़ जाती है, खासतौर पर मीठी और हाई कैलोरी चीजों की। नतीजा ये होता है कि आप देर रात तक स्नैकिंग करते हैं और वजन तेजी से बढ़ता है। समय के साथ ये आदत मोटापा और टाइप 2 डायबिटीज का कारण बन सकती है।


मूड पर बुरा असर और चिड़चिड़ापन

नींद हमारे मूड को संतुलित रखने में अहम भूमिका निभाती है। जब आप रोज देर से सोते हैं और नींद पूरी नहीं होती, तो दिमाग को पर्याप्त आराम नहीं मिल पाता। इसका असर अगली सुबह आपके मूड पर दिखने लगता है। आप चिड़चिड़े, थके हुए और अनमने महसूस करते हैं। लगातार कम नींद लेने वाले लोगों में डिप्रेशन और एंग्जायटी की संभावना बढ़ जाती है।

तनाव हार्मोन (Cortisol) में वृद्धि होती है

जब शरीर को पूरा आराम नहीं मिलता, तो उसमें तनाव हार्मोन कोर्टिसोल (cortisol the stress hormone) का स्तर बढ़ने लगता है। ये हार्मोन शरीर को तनाव की स्थिति में अलर्ट रखता है, जिससे आपका मन और शरीर दोनों थका हुआ महसूस करने लगते हैं। लगातार बढ़ा हुआ कोर्टिसोल (Healthy sleep habits) दिमाग के कुछ हिस्सों को प्रभावित कर सकता है, जिससे याददाश्त और निर्णय लेने की क्षमता कमजोर हो जाती है।


ध्यान भटकना और गलत फैसले लेना

नींद की कमी दिमाग को सुचारु रूप से काम करने से रोकती है। खासकर दिमाग का वह हिस्सा जो फैसले लेने, फोकस बनाए रखने और समस्याएं हल करने के लिए जिम्मेदार है, कम नींद से सुस्त पड़ जाता है। इससे ऑफिस, पढ़ाई या घर के काम में बार-बार गलतियां होने लगती हैं और काम का असर कम हो जाता है।

पाचन तंत्र और मेटाबॉलिज्म पर असर

रात को देर से सोने से आपके शरीर की आंतरिक घड़ी यानी बायोलॉजिकल क्लॉक (Poor sleep effects) बिगड़ जाती है। इससे आपके पाचन तंत्र पर असर पड़ता है। मेलाटोनिन और कोर्टिसोल जैसे हार्मोन जो पाचन को नियंत्रित करते हैं, असंतुलित हो जाते हैं। इससे एसिडिटी, गैस और पेट से जुड़ी दिक्कतें बढ़ जाती हैं। यह आगे चलकर डायबिटीज़ और मेटाबॉलिक डिसऑर्डर का कारण बन सकता है।


आपको क्या करना चाहिए?

इन सभी समस्याओं से अगर निजात पाना चाहते हैं तो आपको अपने लाइफस्टाइल में कुछ बदलाव करने होंगे। ये बदलाव आपके स्वास्थ के लिए काफी फायदेमंद होंगे। इन बदलावों में आप हर दिन कम से कम 7 से 9 घंटे की नींद लेना शुरू कर दें, कोशिश करें कि रात 11 बजे से पहले सो जाएं, सोने से पहले मोबाइल और टीवी जैसे स्क्रीन से दूरी बनाएं, एक शांत और अंधेरे माहौल में सोएं जिससे आपको नींद जल्दी और अच्छी आए और सोने से पहले किताब पढ़ना, गुनगुना दूध पीना या हल्का मेडिटेशन करें। अपने जीवनशैली में ये बदलाव को अपनाकर आप पूरी तरह से स्वस्थ हो जाएंगे।

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Ragini Sinha

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