शाम होते ही बढ़ जाती है बेचैनी? हो सकता है आपको हो ‘Sunset Anxiety’, जानें लक्षण और बचाव के तरीके

Sunset Anxiety: सनसेट एंजाइटी एक ऐसी स्थिति है जो शाम होती है, जिससे चिंता, बेचैनी और नींद में परेशानी होने लगती है, जिसे आप कुछ आसान उपायों से कम कर सकते हैं।

Akriti Pandey
Published on: 4 Nov 2025 5:03 PM IST
Sunset Anxiety
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Sunset Anxiety

Sunset Anxiety: सूरज का ढलना किसी के लिए सुकून लाता है, तो किसी के लिए बेचैनी बढ़ा देता है। अगर यह बार-बार होता है, तो यह कोई सामान्य स्थिति नहीं बल्कि एक खास मानसिक समस्या हो सकती है, जिसे सनसेट एंजाइटी (Sunset Anxiety) कहते हैं। इसमें दिन के अंत में व्यक्ति बिना वजह चिंता, घबराहट या तनाव महसूस करता है। यह एक प्रकार की एंजाइटी है जो शाम ढलते ही बढ़ जाती है।

लक्षण कैसे पहचानें?

सनसेट एंजाइटी के लक्षण आसानी से पहचाने जा सकते हैं। इसमें शाम होते ही दिल की धड़कन तेज होना, नींद न आना या नींद में खलल, शाम के समय बेचैनी और घबराहट महसूस होना, निगेटिव थिंकिंग या निराशावादी विचार आना, और भूख कम लगना जैसे संकेत शामिल हैं। यदि आप इनमें से किसी भी लक्षण को बार-बार अनुभव कर रहे हैं, तो यह सनसेट एंजाइटी का संकेत हो सकता है।

इसके कारण क्या हैं?

दिनभर की थकान और तनाव – काम का दबाव, घर की जिम्मेदारियां और भाग-दौड़ शाम होते ही चिंता पैदा कर देती हैं।

हार्मोनल बदलाव – शरीर में हार्मोन का असंतुलन भी घबराहट बढ़ा सकता है।

कैफीन का अधिक सेवन – चाय, कॉफी या एनर्जी ड्रिंक लेने से एंजाइटी बढ़ सकती है।

नींद की कमी – पर्याप्त नींद न लेने से शाम को तनाव और बेचैनी महसूस होती है।

अंधेरे का डर या अकेलेपन की चिंता – रात में अकेले रहने या अंधेरे का डर भी इस समस्या को बढ़ाता है।




कैसे करें इसे बचाव?

सनसेट एंजाइटी को कम करने के लिए आप कुछ आसान उपाय अपना सकते हैं। शाम का रूटीन बनाएं, जैसे टहलना, योगा या हल्की एक्सरसाइज, जिससे दिमाग शाम होते ही सक्रिय और व्यस्त रहेगा। इसके साथ ही मोबाइल, टीवी और कंप्यूटर जैसी स्क्रीन से दूरी बनाना भी जरूरी है। डिनर में हल्का भोजन लें और चाय या कॉफी जैसी कैफीन वाली चीजों से बचें, क्योंकि इससे एंजाइटी बढ़ सकती है। इसके अलावा, जर्नलिंग करना भी फायदेमंद है; अपने विचार और चिंताओं को कागज पर लिखने से मन हल्का होता है और मानसिक स्पष्टता भी आती है। लेकिन अगर ये लक्षण हफ्तों तक बने रहें और रोजमर्रा की जिंदगी प्रभावित करें, तो मनोचिकित्सक से संपर्क करें। थेरेपी या दवा से इसे पूरी तरह नियंत्रित किया जा सकता है। थेरेपी के दौरान आप अपने विचारों और पैटर्न को समझकर लंबी अवधि के लिए आराम पा सकते हैं।


Disclaimer: यह खबर आपको केवल जागरूक करने के मकसद से लिखी गई है। हमने इसको लिखने में सामान्य जानकारियों की मदद ली है। NEWSTRACK इस आर्टिकल में दी गई किसी भी जानकारी की सत्यता इसकी पुष्टि नहीं करता है।

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