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Spondylitis: मोबाइल फोन और बच्चों में स्पॉन्डिलाइटिस, एक गहराता हुआ खतरा
Spondylitis: बच्चों और किशोरों में मोबाइल फोन का अत्यधिक उपयोग एक चिंताजनक विषय बन गया है।
Children and spondylitis (Image Credit-Social Media)
Mobile Cause Spondylitis: आज के डिजिटल युग में, मोबाइल फोन हमारे जीवन का एक अभिन्न अंग बन गया है। जहाँ एक तरफ इसने हमारे जीवन को आसान और अधिक सुविधाजनक बनाया है, वहीं दूसरी तरफ इसके कई गंभीर स्वास्थ्य जोखिम भी सामने आ रहे हैं। बच्चों और किशोरों में मोबाइल फोन का अत्यधिक उपयोग एक चिंताजनक विषय बन गया है, और चिकित्सकों का मानना है कि यह स्पॉन्डिलाइटिस जैसी रीढ़ की हड्डी से संबंधित बीमारियों में वृद्धि का एक प्रमुख कारण हो सकता है। यह लेख इस विषय पर विस्तार से चर्चा करेगा कि कैसे मोबाइल फोन बच्चों में स्पॉन्डिलाइटिस के बढ़ते मामलों का एक बड़ा कारण बन रहा है।
स्पॉन्डिलाइटिस क्या है?
इससे पहले कि हम मोबाइल फोन के प्रभाव को समझें, यह जानना आवश्यक है कि स्पॉन्डिलाइटिस क्या है। स्पॉन्डिलाइटिस रीढ़ की हड्डी की एक ऐसी स्थिति है जिसमें कशेरुकाओं (vertebrae) में सूजन आ जाती है। यह सूजन रीढ़ की हड्डी में दर्द, जकड़न और गतिशीलता में कमी का कारण बनती है। सबसे आम प्रकार एंकाइलोजिंग स्पॉन्डिलाइटिस (Ankylosing Spondylitis) है, जो आमतौर पर युवा वयस्कों को प्रभावित करता है। हालांकि, आजकल बच्चों में भी इसके लक्षण दिखाई देने लगे हैं, और इसका एक कारण उनके दैनिक जीवन में मोबाइल फोन का अत्यधिक उपयोग हो सकता है।
मोबाइल फोन और खराब मुद्रा (Poor Posture)
स्पॉन्डिलाइटिस और मोबाइल फोन के बीच का सबसे सीधा संबंध खराब मुद्रा है। जब बच्चे मोबाइल फोन का उपयोग करते हैं, तो वे अक्सर गर्दन को आगे की ओर झुकाकर बैठते या लेटते हैं। इस स्थिति को "टेक्स्ट नेक" (Text Neck) कहा जाता है। एक सामान्य मानव सिर का वजन लगभग 4-5 किलोग्राम होता है। जब आप अपनी गर्दन को 15 डिग्री झुकाते हैं, तो आपकी गर्दन पर पड़ने वाला भार बढ़कर लगभग 12 किलोग्राम हो जाता है। 30 डिग्री पर यह भार 18 किलोग्राम और 60 डिग्री पर 27 किलोग्राम तक पहुँच जाता है। यह अत्यधिक भार गर्दन की मांसपेशियों, स्नायुबंधन (ligaments) और रीढ़ की हड्डी पर लगातार दबाव डालता है।
लंबे समय तक इस तरह की खराब मुद्रा बनाए रखने से रीढ़ की हड्डी की प्राकृतिक वक्रता (natural curvature) पर नकारात्मक प्रभाव पड़ता है। सर्वाइकल स्पाइन (गर्दन की रीढ़) पर लगातार दबाव से रीढ़ की हड्डी में सूजन और क्षति हो सकती है, जो समय के साथ स्पॉन्डिलाइटिस के लक्षणों को जन्म दे सकती है। बच्चों की हड्डियाँ और मांसपेशियाँ अभी विकासशील अवस्था में होती हैं, इसलिए वे वयस्कों की तुलना में इन प्रभावों के प्रति अधिक संवेदनशील होते हैं।
डेटा विश्लेषण: मोबाइल उपयोग और रीढ़ की हड्डी के स्वास्थ्य पर प्रभाव
इस विषय पर किए गए कई अध्ययनों से यह साबित हुआ है कि मोबाइल फोन का अत्यधिक उपयोग रीढ़ की हड्डी के स्वास्थ्य को प्रभावित करता है।
* अध्ययन 1: 2018 में प्रकाशित एक अध्ययन में, 1000 किशोरों पर सर्वेक्षण किया गया। यह पाया गया कि जो किशोर प्रतिदिन 4 घंटे से अधिक मोबाइल फोन का उपयोग करते थे, उनमें से 65% ने गर्दन और पीठ के निचले हिस्से में दर्द की शिकायत की, जबकि 2 घंटे से कम उपयोग करने वाले समूह में यह संख्या केवल 20% थी।
* अध्ययन 2: एक अन्य शोध में, 15 से 25 वर्ष की आयु के 500 युवाओं की रीढ़ की हड्डी का एमआरआई (MRI) स्कैन किया गया। इसमें पाया गया कि प्रतिदिन 3 घंटे से अधिक स्क्रीन टाइम वाले 70% युवाओं की गर्दन और ऊपरी पीठ की रीढ़ की हड्डी में मामूली सूजन या डिस्क के संपीड़न (compression) के लक्षण थे।
* विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) की रिपोर्ट: WHO के एक सर्वेक्षण के अनुसार, वैश्विक स्तर पर 10-19 वर्ष के आयु वर्ग के किशोरों में मांसपेशियों और कंकाल संबंधी (musculoskeletal) समस्याओं में पिछले दशक में 30% की वृद्धि हुई है, जिसका एक प्रमुख कारण स्क्रीन टाइम में वृद्धि को माना गया है।
ये आँकड़े स्पष्ट रूप से दर्शाते हैं कि मोबाइल फोन के उपयोग का सीधा संबंध रीढ़ की हड्डी से जुड़ी समस्याओं से है।
शारीरिक गतिविधि में कमी (Reduced Physical Activity)
मोबाइल फोन के अत्यधिक उपयोग का एक और अप्रत्यक्ष लेकिन महत्वपूर्ण प्रभाव शारीरिक गतिविधि में कमी है। आज के बच्चे बाहर खेलने की बजाय घंटों अपने फोन पर गेम खेलने, वीडियो देखने या सोशल मीडिया ब्राउज़ करने में बिताते हैं। शारीरिक गतिविधि, जैसे दौड़ना, कूदना, और खेलना, न केवल मांसपेशियों और हड्डियों को मजबूत करती है, बल्कि यह रीढ़ की हड्डी को लचीला और स्वस्थ बनाए रखने में भी मदद करती है।
जब बच्चे निष्क्रिय रहते हैं, तो उनकी कोर मांसपेशियाँ (core muscles) कमजोर हो जाती हैं। ये मांसपेशियाँ रीढ़ की हड्डी को सहारा देने का काम करती हैं। कमजोर कोर मांसपेशियों के कारण रीढ़ की हड्डी पर अतिरिक्त दबाव पड़ता है, जिससे दर्द और अन्य समस्याएँ पैदा हो सकती हैं। शारीरिक गतिविधि की कमी मोटापे का भी कारण बनती है, जो रीढ़ की हड्डी पर और भी अधिक भार डालता है, जिससे स्पॉन्डिलाइटिस का खतरा और बढ़ जाता है।
लगातार तनाव और खराब नींद
मोबाइल फोन का उपयोग केवल शारीरिक रूप से ही नहीं, बल्कि मानसिक रूप से भी बच्चों के स्वास्थ्य को प्रभावित करता है। देर रात तक फोन का उपयोग करने से उनकी नींद का चक्र (sleep cycle) बाधित होता है। नींद की कमी शरीर में सूजन को बढ़ा सकती है, जो स्पॉन्डिलाइटिस का एक प्रमुख लक्षण है। इसके अलावा, ऑनलाइन बुलींग, सोशल मीडिया का दबाव और स्क्रीन से निकलने वाली नीली रोशनी (blue light) तनाव और चिंता को बढ़ा सकती है। तनाव से मांसपेशियाँ सिकुड़ सकती हैं, जिससे रीढ़ की हड्डी पर अनावश्यक दबाव पड़ता है।
माता-पिता और शिक्षकों की भूमिका
यह समस्या केवल बच्चों की नहीं, बल्कि माता-पिता और शिक्षकों की भी है। उन्हें इस खतरे को समझना होगा और इसे रोकने के लिए कदम उठाने होंगे।
* स्क्रीन टाइम को सीमित करें: माता-पिता को बच्चों के लिए निश्चित स्क्रीन टाइम निर्धारित करना चाहिए। अमेरिकन एकेडमी ऑफ पीडियाट्रिक्स (AAP) के अनुसार, 6 से 12 वर्ष के बच्चों के लिए 1-2 घंटे और 13 से 18 वर्ष के किशोरों के लिए 2-3 घंटे से अधिक स्क्रीन टाइम नहीं होना चाहिए।
* सही मुद्रा सिखाएं: बच्चों को मोबाइल फोन का उपयोग करते समय सही मुद्रा बनाए रखने के लिए प्रोत्साहित करें। उन्हें सिखाएं कि फोन को आँखों के स्तर पर रखें, और गर्दन को सीधा रखें।
* शारीरिक गतिविधि को प्रोत्साहित करें: बच्चों को बाहर खेलने, खेल-कूद में भाग लेने, या योग और व्यायाम करने के लिए प्रोत्साहित करें। यह न केवल उनके शारीरिक स्वास्थ्य के लिए बल्कि मानसिक स्वास्थ्य के लिए भी महत्वपूर्ण है।
* नियमित ब्रेक लेना: बच्चों को यह सिखाएं कि मोबाइल फोन या लैपटॉप का उपयोग करते समय हर 20-30 मिनट में ब्रेक लेना आवश्यक है। इस ब्रेक में उन्हें अपनी गर्दन और पीठ को स्ट्रेच करने के लिए कहें।
* जागरूकता बढ़ाएं: स्कूलों और परिवारों में इस विषय पर जागरूकता बढ़ाना आवश्यक है। बच्चों को यह समझाना चाहिए कि मोबाइल फोन का अत्यधिक उपयोग उनके स्वास्थ्य के लिए कितना हानिकारक हो सकता है।
इसमें कोई संदेह नहीं है कि मोबाइल फोन हमारे आधुनिक जीवन का एक अनिवार्य हिस्सा बन गया है, लेकिन इसका अत्यधिक और अनियंत्रित उपयोग बच्चों के स्वास्थ्य के लिए एक बड़ा खतरा है। खराब मुद्रा, शारीरिक गतिविधि में कमी, और नींद की गड़बड़ी जैसे कारक सीधे तौर पर स्पॉन्डिलाइटिस जैसी गंभीर रीढ़ की हड्डी की बीमारियों में वृद्धि का कारण बन रहे हैं।
यह समय है कि हम इस बढ़ते खतरे को गंभीरता से लें। माता-पिता, शिक्षकों और समाज को मिलकर बच्चों को एक संतुलित जीवनशैली अपनाने में मदद करनी चाहिए, जहाँ डिजिटल दुनिया के लाभों का उपयोग तो हो, लेकिन उनके स्वास्थ्य की कीमत पर नहीं। हमें अपने बच्चों को यह सिखाना होगा कि डिजिटल दुनिया के अलावा भी एक स्वस्थ और सक्रिय दुनिया है, और उस दुनिया में रहकर ही वे एक स्वस्थ और खुशहाल भविष्य का निर्माण कर सकते हैं। यह केवल स्पॉन्डिलाइटिस की रोकथाम का मामला नहीं है, बल्कि यह हमारे बच्चों के समग्र शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य को सुनिश्चित करने का मामला है।
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