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Hardoi News: बच्चों में मिल रही अस्थमा की शिकायत, परिजनों के लिए चिंता का विषय, जाने डॉक्टरों ने बचाव को लेकर क्या कहा
Hardoi News: डॉक्टर के मुताबिक अस्थमा होने के पीछे कई कारण हो सकते हैं। अस्थमा के मरीजों को धूल गंदगी से बचकर रहना चाहिए। अस्थमा मरीज के स्वांस नली में इन्फेक्शन के चलते हो जाता है।
बच्चों में मिल रही अस्थमा की शिकायत, परिजनों के लिए चिंता का विषय (photo: social media )
Hardoi News: हरदोई में एक निजी विद्यालय में लगे स्वास्थ्य कैंप में लगभग 50 बच्चे अस्थमा से ग्रसित पाए गए।बच्चों के लगातार अस्थमा से ग्रसित होने पर स्वास्थ्य महकमे के साथ परिजनों ने भी चिंता व्यक्त की है। बदलते खानपना पर्यावरण के चलते बच्चों से लेकर बड़े बुजुर्गों तक कई बीमारियां अब देखने को मिल जा रही हैं। अस्थमा इनमें से एक बीमारी है।डॉक्टर के मुताबिक अस्थमा होने के पीछे कई कारण हो सकते हैं। अस्थमा के मरीजों को धूल गंदगी से बचकर रहना चाहिए। अस्थमा मरीज के स्वांस नली में इन्फेक्शन के चलते हो जाता है।
फिलहाल इस बीमारी का अभी तक पूरी तरह से कोई इलाज संभव नहीं है। देश में तेजी से अस्थमा के रोगियों की संख्या बढ़ रही है। दिल्ली लखनऊ जैसे महानगरों में पॉल्यूशन अस्थमा का एक मुख्य कारण बन रहा है।हरदोई के निजी चिकित्सक डॉक्टर अमित शर्मा ने बताया कि बच्चों में अस्थमा होना चिंता का विषय कुछ आवश्यक कदम उठाकर अस्थमा जैसी बीमारी से सुरक्षित रहा जा सकता है साथ ही अस्थमा से ग्रसित मरीजों को भी आवश्यक कदम उठाने चाहिए जिससे कि उन्हें अस्थमा के दौरान होने वाले दुष्परिणामों से राहत मिल सके।
धूल गर्दा में मास्क लगाकर रह सकते है सुरक्षित
डॉ अमित शर्मा ने बताया कि अस्थमा सांस की बीमारी है।बीच-बीच में सांस की नलियां सिकुड़ जाने से अस्थमा की बीमारी हो जाती है। अस्थमा जेनेटिक बीमारी भी है। अगर किसी व्यक्ति के माता या पिता को अस्थमा की बीमारी है तो बच्चे में भी यह बीमारी आ सकती है। इसके साथ ही अपने आप भी यह बीमारी लोगों में हो जाती है। मौसम के बदलाव के समय धूल और गंदगी के चलते शरीर में एलर्जी हो जाती है जिसके चलते सांस की नली में सिकुड़न आ जाती है। बचाव के तौर पर धूल मिट्टी गर्दा इन सबसे बचकर रहना चाहिए। कटाई के समय या पतझड़ के समय उड़ने वाली धूल को देखते हुए अस्थमा के मरीजों को मास्क लगाकर रखना चाहिए।
अस्थमा के मरीजों को ठंडी वस्तुओं को खाने से परहेज करना चाहिए। हमें अस्थमा से बचाव के लिए वैक्सीनेशन साल में जरूर करानी चाहिए। हमें यह सुनिश्चित करना चाहिए कि खाना खाते समय अस्थमा का अटैक तो नहीं पड़ता है क्योंकि बहुत से मरीजों को खाने में उपयोग होने वाली सब्जी दाल मसाले से भी एलर्जी होती है। हमें यह ध्यान रखना चाहिए कि अगर खाने से एलर्जी है तो क्या खाने से हमें एलर्जी हो रही है। उसको हमें अपने खाने में शामिल नहीं करना चाहिए। अस्थमा की शंका होने पर एलर्जी टेस्ट अवश्य कर लेना चाहिए। डॉक्टर की सलाह से अस्थमा की दवाओं को बंद नहीं करना चाहिए साथ ही डॉक्टर से लगातार परामर्श लेते रहना चाहिए।
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