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Summer Health Risks: गर्मी में भी नहीं आता पसीना? शरीर के लिए बन सकता है खतरनाक संकेत

Summer Health Risks: गर्मी में पसीना आना स्वाभाविक और जरूरी है। अगर आपको पसीना नहीं आता है, तो इसे हल्के में न लें। यह कई गंभीर स्वास्थ्य समस्याओं का संकेत हो सकता है। समय रहते डॉक्टर से सलाह लेकर उचित इलाज करवाना बेहद जरूरी है।

Ragini Sinha
Published on: 25 Jun 2025 10:11 AM IST
no sweating in summer could be dangerous health sign
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no sweating in summer could be dangerous health sign (social media)

Summer Health Risks: गर्मियों का मौसम आते ही पसीना आना आम बात है। पसीने के कारण शरीर का तापमान संतुलित रहता है और शरीर की गंदगी भी बाहर निकलती है, लेकिन अगर गर्मी में भी आपको पसीना नहीं आता है, तो यह स्वास्थ्य से जुड़ी गंभीर समस्या का संकेत हो सकता है। यह स्थिति कई बार जानलेवा भी हो सकती है। आइए जानते हैं कि आखिर गर्मी में पसीना आना क्यों जरूरी है और जिन्हें नहीं आता, तो उन्हें क्या खतरा है और इसके पीछे क्या कारण हो सकते हैं।

पसीना क्यों जरूरी है?

पसीना शरीर के तापमान को कंट्रोल रखने के लिए बेहद जरूरी होता है। जब वातावरण गर्म होता है या शरीर थकता है, तो पसीना आकर शरीर को ठंडा रखने का काम करता है। साथ ही, पसीने के माध्यम से शरीर में जमा हुए हानिकारक तत्व भी बाहर निकलते हैं, लेकिन जब पसीना आना रुक जाता है, तो शरीर का कूलिंग सिस्टम बिगड़ जाता है और इससे हीट स्ट्रोक या अन्य गंभीर समस्याएं हो सकती हैं।


पसीना न आने की स्थिति

जब शरीर में पसीना आना बंद हो जाए या बहुत कम पसीना आए, तो इसे मेडिकल भाषा में एनहाइड्रोसिस कहा जाता है। यह एक गंभीर स्थिति है क्योंकि इसमें शरीर का तापमान बहुत तेजी से बढ़ सकता है और यह जान के लिए खतरा बन सकता है।

पसीना न आने के प्रमुख कारण

  • नर्वस सिस्टम की गड़बड़ी: शरीर में पसीना निकालने की प्रक्रिया ऑटोनोमिक नर्वस सिस्टम के जरिए होती है। अगर यह सिस्टम ठीक से काम न करे तो पसीना नहीं आता। यह समस्या डायबिटिक न्यूरोपैथी, पार्किंसन डिजीज, या मल्टीपल स्क्लेरोसिस जैसी बीमारियों के कारण हो सकती है।
  • डिहाइड्रेशन: जब शरीर में पानी की मात्रा बहुत कम हो जाती है, तो पसीने की ग्रंथियां ठीक से काम नहीं कर पातीं। इससे पसीना आना बंद हो सकता है।
  • स्किन डिजीज: स्किन पर जलन, रैश या गंभीर त्वचा रोग जैसे स्क्लेरोडर्मा या इच्थियोसिस पसीने की ग्रंथियों को नुकसान पहुंचा सकते हैं।
  • दवाइयों का प्रभाव: एंटीहिस्टामिन, डिप्रेशन या ब्लड प्रेशर की दवाइयां पसीना आने की प्रक्रिया को प्रभावित कर सकती हैं।
  • जेनेटिक कारण: कुछ लोगों में जन्म से ही पसीना लाने वाली ग्रंथियां कम विकसित होती हैं। इसे हाइपोहाइड्रोटिक एक्टोडर्मल डिसप्लेसिया कहा जाता है।
  • उम्र बढ़ना: उम्र बढ़ने पर शरीर की पसीना ग्रंथियां धीरे-धीरे निष्क्रिय हो जाती हैं, खासकर बुजुर्गों में यह समस्या आम होती है।

पसीना न आने के खतरे

गर्मियों में पसीना न आना एक गंभीर स्वास्थ्य समस्या हो सकती है। पसीना न आने से शरीर का तापमान असामान्य रूप से बढ़ सकता है, जिससे हीट स्ट्रोक, चक्कर, सिरदर्द, बेहोशी, थकान और उल्टी जैसी दिक्कतें हो सकती हैं। यह स्थिति नर्वस सिस्टम को प्रभावित कर सकती है और हार्ट अटैक का खतरा भी बढ़ सकता है। शरीर के कई अंगों को नुकसान पहुंचने का भी खतरा रहता है।

इससे बचने के उपाय

इससे बचने के लिए कुछ जरूरी सावधानियां अपनानी चाहिए। सबसे पहले, दिनभर पर्याप्त मात्रा में पानी पिएं, ताकि शरीर हाइड्रेटेड रहे। तेज धूप और अत्यधिक गर्मी से बचें। यदि गर्मी में भी पसीना नहीं आ रहा है, तो इसे नजरअंदाज न करें और तुरंत डॉक्टर से संपर्क करें। नियमित मेडिकल चेकअप करवाते रहें। अगर आप कोई दवा ले रहे हैं, तो डॉक्टर से जरूर पूछें कि उसका असर पसीने पर तो नहीं पड़ रहा है। सतर्क रहना ही बेहतर स्वास्थ्य की कुंजी है।

इस आर्टिकल में दी गई कुछ जानकारियां मीडिया रिपोर्ट्स पर आधारित हैं। स्वास्थ्य से जुड़ी किसी भी जानकारी या सुझाव को अपनाने से पहले डॉक्टर या संबंधित विशेषज्ञ से सलाह जरूर लें।

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