9 साल की रिया ने अंगदान से 5 लोगों को दी नई ज़िंदगी: एक दिल छूने वाली कहानी, जिसे जानकर आप नहीं रोक पाएंगे अपने आंसू!

9 साल की रिया ने अंगदान से 5 लोगों को दी नई ज़िंदगी। जानें रिया के अंगदान की दिल छूने वाली कहानी, जो हमें जीवन, आशा और करुणा की सच्ची परिभाषा समझाती है। यह प्रेरणादायक कहानी आपको भावुक कर देगी।

Harsh Sharma
Published on: 13 Aug 2025 11:45 AM IST
Organ Donation Day
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Organ Donation Day: आज, 13 अगस्त को विश्व अंगदान दिवस मनाया जा रहा है। इस दिन का मुख्य उद्देश्य लोगों को अंगदान के महत्व के बारे में जागरूक करना है, ताकि वे अंगदान के लिए प्रेरित हो सकें। जो लोग जीवित रहते हुए अंगदान नहीं कर सकते, उन्हें मरणोपरांत अंगदान करना चाहिए। इससे कई लोगों को नया जीवन मिल सकता है और कई परिवारों में फिर से उम्मीद की रोशनी लौट सकती है।

रिया ने अपनी मृत्यु के बाद पांच लोगों को दिया नया जीवन

एक व्यक्ति के मरणोपरांत कितने लोगों को नया जीवन मिल सकता है, इसका अद्भुत उदाहरण गुजरात के वलसाड की 9 साल की रिया है। रिया अब हमारे बीच नहीं है, लेकिन उसने अपनी मृत्यु के बाद पांच लोगों की जिंदगी को नया मोड़ दिया। 11 महीने पहले उसे ब्रेन डेड घोषित किया गया था। उसके परिवार ने अंगदान के महत्व को समझा और रिया के अंगों को दान करने का निर्णय लिया। इसके बाद रिया के अंगों ने पांच लोगों को नया जीवन दिया।

गुजरात के वलसाड की 9 साल की रिया के अंगदान ने कई लोगों की जिंदगी में एक नई रोशनी ला दी। रिया की एक किडनी नवसारी के 13 साल के लड़के को नई ज़िंदगी देने के काम आई। अहमदाबाद में उसकी दूसरी किडनी और लिवर किसी और को नया जीवन देने के लिए भेजे गए। रिया के फेफड़े तमिलनाडु की एक 13 साल की बच्ची को जीवनदान देने के लिए उपयोग किए गए, जबकि हैदराबाद के एक अस्पताल में रिया के फेफड़ों का सफलतापूर्वक प्रत्यारोपण किया गया। इसके अलावा, रिया के हाथों ने मुंबई की रहने वाली अनामत अहमद को नया जीवन दिया। इस तरह, रिया के अंगों ने पांच लोगों की जिंदगी में एक नई उम्मीद और दिशा दी।

वजह तो बिल्कुल साफ थी... रिया अब हमारे बीच नहीं रही, लेकिन उसकी दुआएं और उसकी यादें आज भी किसी की ज़िंदगी को रोशन कर रही हैं। रिया के हाथ इस साल भी उसके भाई को राखी बांध रहे थे, जैसे हर साल करती थी। और दूसरी अहम बात ये थी कि अनामत अहमद, जो मुस्लिम हैं, महाराष्ट्र से गुजरात आईं और रिया को धन्यवाद देते हुए उसके अंगदान से मिली नई जिंदगी को अपनाया। उसने न सिर्फ अपने भाई को राखी बांधी, बल्कि जाति-धर्म की सारी सीमाओं को पार करते हुए एक नई परिभाषा पेश की।

जब अनामत रिया के घर पहुंची, तो जैसे सभी पुरानी यादें ताजा हो गईं। शिवम की मां ने अनामत के हाथों को अपने हाथों में लिया और चुपचाप रो पड़ी। शिवम की आंखों में भी आंसू थे। यह दृश्य देखकर कोई भी भावुक हो सकता था। सोचिए, कैसे इन लम्हों में एक ओर दिल दहला देने वाली पीड़ा थी, वहीं दूसरी ओर रिया के अंगदान से जीवन की नई उम्मीद थी। इस रक्षाबंधन पर, रिया के अंगदान ने हमें भगवान और अल्लाह की कृपा और जीवन की सच्ची दिव्यता का एहसास कराया।

रिया के अंगदान की कहानी

रिया, जो वलसाड के तीथल रोड स्थित सरदार हाइट्स में अपने माता-पिता तृष्णा और बॉबी मिस्त्री के साथ रहती थी, एक प्यारी सी चौथी कक्षा की छात्रा थी। 13 सितंबर 2024 को उसका दिन बहुत ही दुखद था। उस दिन शाम के समय रिया को उल्टियां आने लगीं और उसके सिर में बहुत तेज दर्द हुआ। पहले तो किसी ने ज्यादा ध्यान नहीं दिया, लेकिन हालत बिगड़ती चली गई। अगले दिन, 15 सितंबर को उसे सूरत के किरण अस्पताल में भर्ती कराया गया।

अस्पताल में उसकी स्थिति का पता लगाने के लिए सीटी स्कैन किया गया, और नतीजा चौंकाने वाला था, उसके दिमाग में रक्तस्राव हो चुका था, जिसके कारण वह ब्रेन डेड हो चुकी थी। 16 सितंबर को डॉक्टरों की एक टीम ने उसे ब्रेन डेड घोषित कर दिया। यह खबर रिया के परिवार के लिए जैसे एक बुरी ख़बर से भी बुरी थी। ना सिर्फ उसके माता-पिता और भाई, बल्कि अस्पताल का हर एक व्यक्ति इस कड़ी सच्चाई को सुनकर स्तब्ध रह गया। कोई सोच भी नहीं सकता था कि एक प्यारी सी बच्ची, जो अभी कुछ समय पहले तक खुशमिजाज थी, अचानक इस तरह से जिंदगी की जंग हार जाएगी।

रिया के अंगदान से कई जीवनों को मिला नया अवसर

हालाँकि रिया अब हमारे बीच नहीं रही, लेकिन उसके शरीर से कई लोगों को नया जीवन मिल सकता था। रिया की पालक माता, वलसाड की प्रसिद्ध स्त्री रोग विशेषज्ञ डॉ. उषाबेन मैशरी ने इस बात को समझा। डॉ. उषाबेन ने रिया के माता-पिता को डोनेटलाइफ के संस्थापक निलेशभाई मांडलेवाला से मिलवाया। निलेशभाई ने रिया के परिजनों को अंगदान के महत्व के बारे में समझाया और उन्हें प्रेरित किया।

इसके बाद रिया के ब्रेन डेड होने के बावजूद, उसके अंगों को दान करने का निर्णय लिया गया। रिया की किडनी, लिवर, फेफड़े, आंखें, छोटी आंत और दोनों हाथ दान किए गए। इन अंगों को जरूरतमंद लोगों तक समय पर पहुंचाने के लिए डोनेटलाइफ ने सभी तकनीकी प्रक्रियाओं को सावधानीपूर्वक और सफलतापूर्वक पूरा किया।

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