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'दीये-मोमबत्ती पर खर्चा क्यों? क्रिसमस से सीखो...,' दीपोत्सव पर अखिलेश का विवादित बयान, मचा बवाल
अयोध्या दीपोत्सव से पहले अखिलेश यादव के दीये-मोमबत्ती वाले बयान ने मचाया सियासी तूफान। बीजेपी ने तीखा पलटवार किया, राम मंदिर आंदोलन का विरोध और हिंदू विरोधी एजेंडे का आरोप लगाया।
अयोध्या में दीपोत्सव की भव्य तैयारियों के बीच समाजवादी पार्टी प्रमुख अखिलेश यादव का एक बयान राजनीतिक विवाद का कारण बन गया है। रामनगरी में दीपों की जगमगाहट से पहले अखिलेश यादव ने मोमबत्ती और दीयों को लेकर ऐसी टिप्पणी कर दी, जिस पर भाजपा ने तुरंत और तीखी प्रतिक्रिया दी।
लखनऊ में समाजवादी पार्टी के मुख्यालय में आयोजित एक प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान एक पत्रकार ने जब उनसे पूछा कि इस बार अयोध्या में दीयों की संख्या कम हो गई है और मोमबत्तियां जलाई जाएंगी, तो इस पर अखिलेश यादव ने जवाब देते हुए कहा, “मैं कोई सुझाव नहीं देना चाहता, लेकिन भगवान राम के नाम पर एक सुझाव जरूर देना चाहता हूं।”
क्रिसमस से सीखना चाहिए: अखिलेश यादव
अखिलेश यादव ने आगे कहा, “पूरी दुनिया में क्रिसमस के मौके पर शहर महीनों तक रौशन रहते हैं। हमें भी वहां से प्रेरणा लेनी चाहिए। हम मोमबत्ती और दीयों को लेकर इतना क्यों सोचते हैं? मौजूदा सरकार से अब क्या ही उम्मीद की जा सकती है। हमारी सरकार आएगी तो अयोध्या को हम और सुंदर रोशनी से सजाएंगे।”
बीजेपी ने किया पलटवार
अखिलेश के इस बयान पर भाजपा ने कड़ी आपत्ति जताई है। पार्टी के राष्ट्रीय प्रवक्ता शहजाद पूनावाला ने कहा, “अयोध्या को सालों अंधेरे में रखने वाली, राम भक्तों पर गोलियां चलवाने वाली पार्टी अब दीपोत्सव की सजावट का भी विरोध कर रही है। जब सैफई में महंगे जश्न होते थे, तो उन्हें कोई आपत्ति नहीं होती थी। लेकिन अयोध्या में, जहां दीपोत्सव छोटे दुकानदारों की आजीविका का स्रोत बन गया है, वहां यह बयान नासमझी और पूर्वग्रह से भरा है।”
इस बार 26 लाख दीपों से रोशन होगा सरयू तट
इस बीच, अयोध्या में दीपोत्सव का नौवां संस्करण 19 अक्टूबर को आयोजित होगा, जिसमें सरयू नदी के 56 घाटों पर 26,11,101 दीये जलाए जाएंगे। इस आयोजन में 2,100 वैदिक विद्वान, 1,100 ड्रोन और 33,000 स्वयंसेवक भाग लेंगे। 2017 में 1.71 लाख दीयों से शुरू हुआ यह उत्सव अब 15 गुना बड़ा हो गया है। इस बार आयोजन का दायरा राम की पैड़ी से आगे बढ़कर राजघाट, गुप्तारघाट और लक्ष्मण किला घाट तक पहुंच गया है।
बीजेपी का कहना है कि जब सैफई में जश्न मनाया जाता था, तो अखिलेश को गर्व महसूस होता था, लेकिन अयोध्या में दीपोत्सव की रोशनी उन्हें खटक रही है, जबकि हजारों छोटे दुकानदार इसी त्योहार से अपनी रोजी-रोटी कमाते हैं।
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