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बी.सुदर्शन रेड्डी को ही विपक्ष ने क्यों बनाया उपराष्ट्रपति पद का उम्मीदवार? एक झटके पलट जाएगी बाजी, जानिए क्या है प्लान
B. Sudarshan Reddy Vice President candidate: उपराष्ट्रपति चुनाव में विपक्ष ने बी. सुदर्शन रेड्डी को क्यों बनाया उम्मीदवार, जानें उनके चयन के पीछे की रणनीति, न्यायपालिका से जुड़ी पृष्ठभूमि और दक्षिण भारत का प्रतिनिधित्व।
B. Sudarshan Reddy Vice President candidate: उपराष्ट्रपति चुनाव अब एक बेहद दिलचस्प मोड़ पर आ गया है। एनडीए द्वारा सीपी राधाकृष्णन को उम्मीदवार बनाने के बाद, अब विपक्षी गठबंधन 'इंडिया' ने भी अपना 'मास्टरस्ट्रोक' खेल दिया है। लंबे मंथन के बाद विपक्ष ने सुप्रीम कोर्ट के पूर्व जज जस्टिस रेड्डी को अपना संयुक्त उम्मीदवार घोषित कर दिया है। यह फैसला एक ही झटके में एनडीए की रणनीति को चुनौती देता है और मुकाबला राजनीतिक चेहरे बनाम गैर-राजनीतिक, न्यायपालिका के चेहरे में बदल देता है।
क्यों चुना गया जस्टिस रेड्डी को?
विपक्ष की रणनीति इस बार बेहद साफ है, एक ऐसा उम्मीदवार जो राजनीति से नहीं, बल्कि समाज और न्यायपालिका से जुड़ा हो। जिसकी बेदाग छवि हो और जो पूरे विपक्ष का सर्वमान्य चेहरा बन सके। यही कारण है कि जस्टिस रेड्डी का नाम सभी विपक्षी दलों को स्वीकार्य हुआ।
यह हैं जस्टिस रेड्डी को चुनने की मुख्य वजहें:
गैर-राजनीतिक चेहरा: जस्टिस रेड्डी की पृष्ठभूमि न्यायपालिका से जुड़ी है, जिससे विपक्ष यह संदेश देना चाहता है कि वे एक तटस्थ और निष्पक्ष व्यक्ति को शीर्ष पद पर लाना चाहते हैं। यह एनडीए के आरएसएस से जुड़े उम्मीदवार के खिलाफ एक बड़ा नैतिक दांव है।
दक्षिण भारत का प्रतिनिधित्व: यह उम्मीदवार डीएमके की उस मांग को पूरा करता है, जिसमें वे दक्षिण भारत से उम्मीदवार चाहते थे।
सर्वसम्मति: कांग्रेस सहित सभी विपक्षी दल चाहते थे कि उम्मीदवार ऐसा हो जिस पर सभी की सहमति हो। जस्टिस रेड्डी के नाम पर टीएमसी और आप जैसी पार्टियों ने भी तुरंत समर्थन दिया है।
एनडीए के लिए 'असहज' स्थिति
जस्टिस रेड्डी का नाम सामने आने के बाद एनडीए के लिए मुश्किलें बढ़ सकती हैं। एनडीए ने सीपी राधाकृष्णन को मैदान में उतारकर द्रविड़ दलों (DMK) को दुविधा में डालने की कोशिश की थी। लेकिन अब विपक्ष के इसी दांव से टीडीपी, वाईएसआरसीपी और बीआरएस जैसी पार्टियों को यह सोचना पड़ेगा कि वे एक पूर्व जज के खिलाफ वोट कैसे करेंगे।
विपक्षी खेमे का कहना है, "उनके पास संघ से जुड़ा चेहरा है, हमारे पास सुप्रीम कोर्ट से आया चेहरा है।" यह मुकाबला विचारधारा और पृष्ठभूमि के आधार पर एक बड़ी बहस छेड़ सकता है। अब यह देखना दिलचस्प होगा कि क्या एनडीए अपने ही दांव में फंस जाता है या फिर जस्टिस रेड्डी की उम्मीदवारी का सामना करने के लिए कोई नई रणनीति बनाता है।
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