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भारत बंद का ऐलान! PM मोदी की नीतियों के खिलाफ 25 करोड़ से ज्यादा भारतीय, करेंगे हड़ताल

Bharat Bandh 9 July 2025: देशभर में 9 जुलाई को भारत बंद का ऐलान किया गया है, जिसमें 25 करोड़ से ज्यादा कर्मचारी मोदी सरकार की मजदूर विरोधी नीतियों के खिलाफ हड़ताल पर रहेंगे।

Gausiya Bano
Published on: 8 July 2025 12:14 PM IST
भारत बंद का ऐलान! PM मोदी की नीतियों के खिलाफ 25 करोड़ से ज्यादा भारतीय, करेंगे हड़ताल
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Bharat Bandh 9 July 2025: देश में कल यानी बुधवार 9 जुलाई को केंद्र सरकार की कॉरपोरेट समर्थक और मजदूर विरोधी नीतियों के खिलाफ, 9 जुलाई को 'भारत बंद' का ऐलान किया गया है। यह सिर्फ एक हड़ताल नहीं, बल्कि 25 करोड़ से ज्यादा कर्मचारियों के गुस्से का इजहार है, जो पूरे देश को प्रभावित कर सकता है। यह हड़ताल 10 केंद्रीय ट्रेड यूनियनों ने बुलाई है, जिसमें बैंकिंग, इंश्योरेंस, पोस्टल सेवा समेत कई क्षेत्रों के 25 करोड़ से ज्यादा कर्मचारी शामिल होंगे।

हड़ताल के दौरान क्या-क्या रुक जाएगा और क्या चलेगा?

हिंद मजदूर सभा के हरभजन सिंह सिद्धू ने साफ कर दिया है कि इस राष्ट्रव्यापी हड़ताल का सीधा असर कई महत्वपूर्ण सेवाओं पर पड़ेगा। बैंकिंग से लेकर परिवहन तक, सब कुछ प्रभावित होने की आशंका है। इनमें बैंकिंग सेवाएं, डाक सेवाएं, कोयला खनन और कारखाने बंद रह सकते, दिल्ली, मुंबई, लखनऊ जैसे बड़े शहरों में राज्य परिवहन की बसें सड़कों से नदारद रह सकती, बाजार और स्कूल पर भी असर पड़ सकता है।

कर्मचारी क्यों हैं नाराज? सरकार से क्या हैं उनकी मांगें?

ट्रेड यूनियनों का कहना है कि वे सरकार की "कॉरपोरेट के हित में" काम करने वाली नीतियों के खिलाफ एकजुट हुए हैं। पिछले साल, इन यूनियनों ने श्रम मंत्री मनसुख मांडविया को 17 मांगों का एक चार्टर सौंपा था, लेकिन उनका आरोप है कि सरकार ने इन मांगों को पूरी तरह से नजरअंदाज कर दिया है।

यूनियनों का कहना है कि सरकार के नए 4 श्रम कोड श्रमिकों के अधिकारों को खत्म करने के लिए बनाए गए हैं। उनका मानना है कि इन कोड का मकसद श्रमिकों की सौदेबाजी की शक्ति को खत्म करना, यूनियनों को कमजोर करना, काम के घंटे बढ़ाना और नियोक्ताओं को श्रम कानूनों के तहत जवाबदेही से बचाना है।

ट्रेड यूनियनों का कहना है कि सरकार ने देश में कल्याणकारी राज्य के दर्जे को खत्म कर दिया है और वह विदेशी और भारतीय कॉरपोरेट के हितों के लिए काम कर रही है। ऐसे में वे सार्वजनिक क्षेत्र के उद्यमों के निजीकरण, आउटसोर्सिंग, ठेकेदारी और कार्यबल के अस्थायीकरण की नीतियों के खिलाफ लड़ रहे हैं।

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Gausiya Bano

Gausiya Bano

Content Writer

मैं गौसिया बानो आज से न्यूजट्रैक में कार्यरत हूं। माखनलाल चतुर्वेदी यूनिवर्सिटी से पोस्ट ग्रेजुएट हूं। पत्रकारिता में 2.5 साल का अनुभव है। इससे पहले दैनिक भास्कर, न्यूजबाइट्स और राजस्थान पत्रिका में काम कर चुकी हूँ।

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