Mahua Assembly Seat 2025: महुआ सीट पर तेज प्रताप और राजद की परीक्षा

Bihar Assembly Election 2025: बिहार के वैशाली जिले की महुआ विधानसभा सीट राज्य की राजनीति में सबसे चर्चित सीटों में से एक बन गई है।

Yogesh Mishra
Published on: 5 Nov 2025 2:57 PM IST
Bihar Assembly Election 2025 Mahua Vidhan Sabha Seat Voters Analysis Tej Pratap VS RJD BJP
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Bihar Assembly Election 2025 Mahua Vidhan Sabha Seat Voters Analysis Tej Pratap VS RJD BJP

Bihar Assembly Election 2025: बिहार के वैशाली जिले की महुआ विधानसभा सीट राज्य की राजनीति में सबसे चर्चित सीटों में से एक बन गई है। यह सीट हाजीपुर लोकसभा क्षेत्र के अंतर्गत आती है और भौगोलिक रूप से वैशाली जिले के मध्य भाग में स्थित है। राजनीतिक दृष्टि से महुआ हमेशा एक हाई वोल्टेज निर्वाचन क्षेत्र रहा है जहां यादव, मुस्लिम, कोइरी, ब्राह्मण और दलित मतदाता निर्णायक भूमिका निभाते हैं।

लालू परिवार का प्रभाव इस सीट पर लंबे समय से हावी रहा है। 2015 और 2020 दोनों में यहाँ से लालू के बड़े पुत्र तेज प्रताप यादव विधायक रहे। लेकिन 2025 का चुनाव इस सीट के लिए नया राजनीतिक समीकरण लेकर आया है, क्योंकि तेज प्रताप अब स्वतंत्र उम्मीदवार के रूप में मैदान में हैं।

उम्मीदवारों का प्रोफ़ाइल और पृष्ठभूमि

1 - तेज प्रताप यादव (स्वतंत्र / जनशक्ति जनता दल समर्थित)।


तेज प्रताप बिहार सरकार में मंत्री रह चुके हैं और इस सीट के मौजूदा विधायक हैं। वे इससे पहले 2015 में भी जीते थे। तेज प्रताप की छवि करिश्माई तो है लेकिन लेकिन विवादित भी रही है।

ताकत:

यादव और मुस्लिम वोट बैंक में अब भी व्यक्तिगत पकड़

“लालू के बेटे” की ब्रांड वैल्यू ग्रामीण बिहार में अब भी असरदार

युवा और मीडिया आकर्षण वाली छवि

राजद से अलग होने के बाद भी क्षेत्र में अपना व्यक्तिगत कार्यकर्ता नेटवर्क

कमज़ोरी:

संगठनात्मक आधार कमजोर, राजद का पार्टी ढाँचा अब विरोध में

पिछले कार्यकाल में विकास कार्यों की कमी के आरोप

सार्वजनिक विवादों और “नाटकीय” राजनीतिक व्यवहार से छवि पर असर

राजद समर्थकों में भ्रम और नाराज़गी

2. मुकेश कुमार रौशन (राष्ट्रीय जनता दल)


पार्टी संबद्धता: लालू प्रसाद यादव की पार्टी

राजनीतिक अनुभव: संगठनात्मक कार्यकर्ता, क्षेत्रीय पकड़ मजबूत

छवि: अपेक्षाकृत शांत और संगठित नेता

ताकत:

राजद का परंपरागत “एम-वाई (मुस्लिम-यादव)” वोट बैंक

पार्टी का मजबूत संगठन, तेजस्वी यादव की सक्रियता

एनडीए-विरोधी वोटों का एक बड़ा हिस्सा संभवतः इनके पक्ष में

लालू परिवार की विचारधारा का सीधा प्रतिनिधित्व

कमज़ोरी:

व्यक्तिगत पहचान सीमित, तेज प्रताप के करिश्मे के सामने फीके

पार्टी के भीतर गुटबाज़ी और संगठनात्मक टकराव

यादव मतदाताओं में बँटवारा—एक हिस्सा तेज प्रताप के साथ जा सकता है

3. कुनाल सिंह (भारतीय जनता पार्टी)

पार्टी संबद्धता: भाजपा जिला अध्यक्ष

छवि: जमीनी नेता, संगठन के भीतर मजबूत पकड़

राजनीतिक अनुभव: स्थानीय निकाय और पार्टी कार्य में लंबे समय से सक्रिय

ताकत

भाजपा का सशक्त संगठनात्मक ढाँचा

सवर्ण, गैर-यादव ओबीसी, और कुछ दलित मतदाताओं का समर्थन

एनडीए की केंद्रीय योजनाओं (पीएम आवास, उज्ज्वला, किसान सम्मान निधि) का प्रचार

“विकास बनाम वंशवाद” का मुद्दा उछालने की रणनीति

कमज़ोरी

महुआ में भाजपा की ऐतिहासिक पकड़ कमजोर

मुस्लिम और यादव वोटों में प्रवेश लगभग असंभव

एनडीए के सहयोगी दलों में सीमित तालमेल

जातीय समीकरण और मतदाता पैटर्न

महुआ सीट का सामाजिक ढाँचा बिहार की जातीय राजनीति का एक स्पष्ट चित्रण है:

यादव: लगभग 21%

मुस्लिम: लगभग 17%

कोइरी/कुशवाहा: लगभग 12%

सवर्ण (ब्राह्मण, राजपूत, कायस्थ): लगभग 15%

दलित/महादलित: लगभग 20%

अन्य पिछड़ा वर्ग: लगभग 15%

प्रमुख रुझान:

यादव वोट इस बार विभाजित हैं—एक बड़ा हिस्सा राजद के साथ, पर तेज प्रताप का व्यक्तिगत आकर्षण भी मजबूत।

मुस्लिम मतदाताओं में राजद को पारंपरिक बढ़त।

कोइरी और सवर्ण मतदाताओं में भाजपा का प्रभाव।

दलित मत विभाजित, जमीनी प्रत्याशी के प्रभाव पर निर्भर।

पिछले नतीजे

2020

विजयी रहे राजद प्रत्याशीतेज प्रताप यादव। दूसरे स्थान पर रहे जेडीयू के अशोक कुमार।जीत का अंतर रहा 20,000 वोट का।

2015

तेज प्रताप यादव (राजद) ने जेडीयू के अशोक कुमार को 27,000 वोट से हराया।

2010

अशोक कुमार (जेडीयू) ने राजद उम्मीदवार को 12,000 वोट से हराया।

2005

अशोक कुमार (जेडीयू) ने राजद उम्मीदवार को दस हजार वोटों से हराया।

स्पष्ट है कि 2015 से तेज प्रताप की व्यक्तिगत लोकप्रियता ने राजद को यह सीट दिलाई।लेकिन 2025 में स्थिति बदली है। अब वही सीट राजद बनाम तेज प्रताप में बँटी है।

चुनावी मुद्दे और रणनीति

मुख्य स्थानीय मुद्दे:

बेरोजगारी और युवाओं का पलायन

स्वास्थ्य सेवाओं की बदहाली

सड़क और सिंचाई व्यवस्था की कमजोरी

नशा, अपराध और प्रशासनिक सुस्ती

लालू परिवार बनाम विकास का विमर्श

रणनीति विश्लेषण:

तेज प्रताप यादव “स्वाभिमान और अपमान” की कथा गढ़ रहे हैं—वे अपने पिता की विरासत पर भावनात्मक वोट माँग रहे हैं।

राजद संगठन और तेजस्वी यादव की छवि पर ज़ोर दे रही है—“संगठन बनाम व्यक्ति” का मुकाबला बना रही है।

भाजपा ने जातीय संतुलन और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की लोकप्रियता को केंद्र में रखा है।

संभावित परिदृश्य

महुआ की राजनीति इस बार तीन कोनों की लड़ाई में फँसी हुई है।

तेज प्रताप यादव के लिए यह चुनाव उनकी राजनीतिक प्रासंगिकता का इम्तिहान है।

राजद के लिए, यह लालू परिवार से अलग एक संगठनात्मक आत्मनिर्भरता दिखाने का मौका है।

भाजपा, अगर यादव और मुस्लिम वोटों के विभाजन से लाभ ले पाती है, तो पहली बार यहाँ से महत्वपूर्ण बढ़त हासिल कर सकती है।

तीनों उम्मीदवारों में मुकाबला तीव्र और भावनात्मक है। यादव वोटों के विभाजन से भाजपा को अप्रत्यक्ष लाभ की संभावना है।यदि तेज प्रताप यादव अपने पुराने समर्थकों को साथ रख पाने में सफल रहते हैं, तो व्यक्तिगत लोकप्रियता के बल पर वे अभी भी जीत के दावेदार बने रहेंगे। राजद का संगठन मजबूत है, लेकिन लालू परिवार से मोहभंग का असर यहाँ दिख सकता है।

पूर्वानुमान (वर्तमान रुझान के अनुसार):

तेज प्रताप यादव का पलड़ा अब भी कुछ भारी दिखता है, परंतु राजद और भाजपा दोनों उनके लिए इस बार गंभीर चुनौती हैं।

यह सीट बिहार के 2025 विधानसभा चुनाव की सबसे दिलचस्प, अनिश्चित और प्रतीकात्मक लड़ाइयों में से एक बन चुकी है—जहाँ वंशवाद बनाम संगठन और व्यक्तित्व बनाम विचारधारा की सीधी भिड़ंत देखने को मिलेगी।

महुआ अब केवल एक विधानसभा नहीं, बल्कि लालू परिवार के भीतर और बाहर दोनों मोर्चों पर चल रही राजनीति की परख बन गई है।

यहाँ का नतीजा न सिर्फ तेज प्रताप यादव के भविष्य को तय करेगा, बल्कि यह भी संकेत देगा कि बिहार की राजनीति में व्यक्तिगत करिश्मा और जातीय समीकरण का प्रभाव अब भी कितना जीवित है।

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