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Dalai Lama विवाद ने फिर बढ़ाया भारत-चीन तनाव, रिजिजू के बयान पर भड़का ड्रैगन, कहा– हिंदुस्तान, तिब्बत मामलों में न करे हस्तक्षेप
China on Dalai Lama: केंद्रीय मंत्री किरेन रिजिजू के दलाई लामा उत्तराधिकारी संबंधी बयान पर चीन भड़क गया है। चीन ने भारत को तिब्बत जैसे संवेदनशील मुद्दों पर सावधानी बरतने की चेतावनी दी है। भारत ने स्पष्ट किया कि उत्तराधिकारी का चयन केवल तिब्बती परंपरा से होगा।
China on Dalai Lama: भारत के केंद्रीय मंत्री किरेन रिजिजू द्वारा दलाई लामा के उत्तराधिकारी को लेकर दिए गए बयान ने भारत-चीन संबंधों में नई तल्खी ला दी है। रिजिजू ने स्पष्ट रूप से कहा था कि दलाई लामा के उत्तराधिकारी का फैसला केवल तिब्बती बौद्ध परंपरा और स्थापित संस्थाएं ही करेंगी किसी अन्य को इसमें हस्तक्षेप का अधिकार नहीं है। अब इसी बयान को लेकर चीन ने कड़ी प्रतिक्रिया दी है।
चीनी विदेश मंत्रालय की प्रवक्ता माओ निंग ने गुरुवार को मीडिया से बातचीत में कहा कि भारत को शिजांग (तिब्बत) से जुड़े मामलों में सावधानी बरतनी चाहिए और अपने शब्दों व कार्यों को लेकर जिम्मेदार रवैया अपनाना चाहिए। उन्होंने दावा किया कि दलाई लामा की गतिविधियाँ चीन विरोधी और अलगाववादी हैं, जिनसे भारत को अवगत रहना चाहिए।
तिब्बती मामलों पर पूरा नियंत्रण चाहता है ड्रैगन
चीन लंबे समय से तिब्बती मामलों में नियंत्रण रखना चाहता है। वह दलाई लामा के उत्तराधिकारी के चयन को भी अपने राजनीतिक हितों के अनुसार प्रभावित करना चाहता है। जबकि दलाई लामा पहले ही 2015 में यह अधिकार गादेन फोडरंग ट्रस्ट को सौंप चुके हैं।
6 जुलाई को धर्मशाला जायेंगे रिजिजू
6 जुलाई को केंद्रीय मंत्री रिजिजू और राजीव रंजन सिंह धर्मशाला में दलाई लामा के 90वें जन्मदिन समारोह में हिस्सा लेंगे। इसे लेकर भी चीन ने नाराजगी जताई है। हालांकि रिजिजू ने साफ किया है कि यह शुद्ध रूप से धार्मिक आयोजन है। इसका राजनीति से कोई संबंध नहीं है।
तिब्बती नेता ने चीन पर किया पलटवार
इस बीच, निर्वासित तिब्बती संसद के सदस्य तेनजिंग जिगदल ने भी चीन पर पलटवार करते हुए कहा कि चीन एक नास्तिक देश है। वो तिब्बती आध्यात्मिक परंपरा को तोड़-मरोड़कर पेश कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि दलाई लामा के उत्तराधिकारी का चयन केवल तिब्बती बौद्ध समुदाय की परंपराओं और आध्यात्मिक सिद्धांतों के आधार पर ही होगा। भारत ने साफ कर दिया है कि आध्यात्मिक मामलों में निर्णय का अधिकार केवल संबंधित धार्मिक समुदायों का होता है न कि किसी राज्य सत्ता का। वहीं चीन इसे अपना आंतरिक मामला बताकर राजनीतिक नियंत्रण बनाए रखना चाहता है।
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