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क्या कोई महिला दलाई लामा महिला हो सकती है? जानिए इस विचार के पीछे की वजह
Female Dalai Lama: अगला दलाई लामा एक महिला हो सकते हैं और संभव है कि वो वयस्क रूप में पुनर्जन्म लें। अगर यह होता है, तो यह धर्म और समाज दोनों के लिए ऐतिहासिक बदलाव होगा।
Dalai Lama Next Reincarnation Be Woman (Social media)
Female Dalai Lama: 14वें दलाई लामा ने हाल के वर्षों में एक ऐसी बात कही है, जो न सिर्फ बौद्ध धर्म की सदियों पुरानी परंपराओं को चुनौती देती है, बल्कि एक नया दृष्टिकोण भी सामने लाती है। उनका कहना है कि अगला दलाई लामा एक महिला हो सकते हैं और संभव है कि वो वयस्क रूप में पुनर्जन्म लें। अगर यह होता है, तो यह धर्म और समाज दोनों के लिए ऐतिहासिक बदलाव होगा।
क्यों उठा ये सवाल?
दलाई लामा का मानना है कि सेवा भावना और जनकल्याण किसी लिंग या उम्र तक सीमित नहीं होना चाहिए। अगर एक महिला दलाई लामा समाज के लिए अधिक उपयोगी साबित होती हैं, तो उन्हें यह स्थान मिलना चाहिए। उन्होंने यह विचार पहली बार 2009 में रखा था , जिसे 2015 व 2019 में दोबारा दोहराया।
क्या शास्त्र इसकी इजाजत देता है?
महायान और वज्रयान बौद्ध परंपराओं में किसी के बोधिसत्व बनने पर लिंग की कोई बाधा नहीं है। सारिपुत्र सूत्र में कहा गया है कि हर जीव में बुद्धत्व की संभावना होती है, चाहे वह पुरुष हो या महिला। कई प्रसिद्ध महिला बोधिसत्व और योगिनियां इस बात का प्रमाण हैं, जैसे Jetsunma Tenzin Palmo और Yeshe Tsogyal।
क्या वयस्क रूप में पुनर्जन्म संभव है?
पारंपरिक तौर पर दलाई लामा का पुनर्जन्म एक बालक के रूप में खोजा जाता रहा है, लेकिन 14वें दलाई लामा ने कहा है कि यदि आवश्यक हुआ तो वह वयस्क रूप में भी पुनर्जन्म ले सकते हैं। उनका यह भी कहना है कि अगर संस्था उपयोगी नहीं रही तो वे पुनर्जन्म नहीं भी ले सकते।
चीन का हस्तक्षेप और चेतावनी
दलाई लामा ने यह आशंका जताई है कि चीन तिब्बत में अपनी राजनीतिक मंशा से एक नया दलाई लामा घोषित कर सकता है। उन्होंने दुनिया को चेताया है कि चीन द्वारा घोषित किसी भी दलाई लामा को मान्यता न दी जाए।
अगर दलाई लामा महिला बनीं तो क्या होगा?
अगर अगला दलाई लामा एक महिला बनती हैं, तो यह बौद्ध धर्म में महिला नेतृत्व की दिशा में एक नया युग होगा। यह कदम लिंग समानता की दिशा में एक मजबूत संदेश देगा और पूरी दुनिया को यह दिखाएगा कि सेवा, करुणा और ज्ञान किसी एक लिंग तक सीमित नहीं है। यह निर्णय धार्मिक पुनर्जागरण और आत्मनिर्णय का प्रतीक होगा, जो चीन जैसे देशों के राजनीतिक हस्तक्षेप को चुनौती देता है। यह केवल बौद्ध धर्म के लिए नहीं, बल्कि पूरी मानवता के लिए प्रेरणा का स्रोत बन सकता है।
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