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सुबह तो सब नॉर्मल था... दोपहर में वाकई कुछ हुआ! कांग्रेस की 'एक बात' ने देशभर का बदल दिया माहौल
Jagdeep Dhankhar Resignation: धनखड़ का इस्तीफा महज़ एक व्यक्ति का निर्णय नहीं है यह उस पूरे राजनीतिक तंत्र की नीयत पर सवाल है
VP Jagdeep Dhankhar Resignation: देश की राजनीति में सोमवार रात तब एक बड़ा भूचाल आया जब उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने अचानक अपने पद से इस्तीफा दे दिया। स्वास्थ्य कारणों का हवाला जरूर दिया गया, लेकिन विपक्ष इसे सिर्फ औपचारिक कारण मानने को तैयार नहीं। कांग्रेस ने मंगलवार को तीखा हमला बोलते हुए दावा किया कि धनखड़ का इस्तीफा दरअसल सत्ता के उच्चतम स्तर पर चल रहे गंभीर टकराव, संवैधानिक मर्यादाओं की अनदेखी और लोकतांत्रिक प्रक्रियाओं की लगातार अवहेलना का परिणाम है।
कांग्रेस महासचिव जयराम रमेश ने तीखे शब्दों में सरकार पर निशाना साधते हुए कहा, धनखड़ का इस्तीफा महज़ एक व्यक्ति का निर्णय नहीं है यह उस पूरे राजनीतिक तंत्र की नीयत पर सवाल है, जिसने उन्हें इस संवैधानिक शिखर तक पहुँचाया था।
राज्यसभा की बैठक बनी विवाद का केंद्र
जयराम रमेश ने सोशल मीडिया मंच ‘एक्स’ पर सिलसिलेवार पोस्ट करते हुए पूरा घटनाक्रम सामने रखा। उन्होंने बताया कि सोमवार दोपहर 12:30 बजे उपराष्ट्रपति धनखड़ ने राज्यसभा की कार्य मंत्रणा समिति (Business Advisory Committee) की बैठक की अध्यक्षता की, जिसमें सदन के नेता जेपी नड्डा, संसदीय कार्य मंत्री किरेन रीजीजू और विपक्ष के कई सदस्य मौजूद थे।
बैठक के दौरान तय हुआ कि कुछ महत्वपूर्ण मुद्दों पर चर्चा के लिए समिति की अगली बैठक शाम 4:30 बजे पुनः की जाएगी। लेकिन, उस बैठक में न तो नड्डा पहुंचे और न ही रिजीजू। यह अनुपस्थिति धनखड़ को खल गई, और कांग्रेस का दावा है कि दोनों मंत्रियों ने जानबूझकर बैठक से दूरी बनाई।
क्या हुआ दोपहर 1 बजे से शाम 4:30 के बीच?
रमेश ने यह भी दावा किया कि सोमवार दोपहर 1 बजे से शाम 4:30 बजे के बीच कोई गंभीर घटनाक्रम घटा, जिसकी वजह से दोनों वरिष्ठ मंत्री दूसरी बैठक में शामिल नहीं हुए। उन्होंने कहा, "धनखड़ को व्यक्तिगत रूप से सूचित नहीं किया गया कि ये मंत्री बैठक में नहीं आ रहे। यह असम्मानजनक था। उन्होंने कहा कि इसी से आहत होकर धनखड़ ने बैठक को अगले दिन के लिए टाल दिया और उसी रात इस्तीफे की घोषणा कर दी।
धनखड़ की वैचारिक स्थिति और बढ़ती बेचैनी
कांग्रेस का आरोप है कि उपराष्ट्रपति रहते हुए भी धनखड़ खुद को ‘मर्यादाओं और संवैधानिक प्रक्रिया’ से जुड़ा व्यक्ति मानते थे, लेकिन उन्हें बार-बार अपने ही पद की गरिमा के साथ समझौता करना पड़ रहा था। रमेश ने कहा, धनखड़ ने खुले मंचों पर न्यायपालिका की जवाबदेही और संयम की बात की थी। उन्होंने किसानों के मुद्दे पर अपनी बात रखने की हिम्मत दिखाई थी। वे सत्ता के बढ़ते 'अहंकार' को लेकर भी चिंतित थे।
कांग्रेस का बड़ा सवाल, ‘जी2 सरकार’ में क्यों हुआ ऐसा?
कांग्रेस ने मोदी सरकार पर निशाना साधते हुए इसे ‘G2 सरकार’ (गृह मंत्री और प्रधानमंत्री केंद्रित शासन) कहा और सवाल उठाया कि क्या इस सत्ताकेंद्रित प्रणाली में संवैधानिक पदों की गरिमा अब महज औपचारिकता बनकर रह गई है? जयराम रमेश ने कहा कि धनखड़ जी ने हमेशा ‘नए भारत’ की तारीफ की, लेकिन जब उन्होंने अपने संवैधानिक दायित्वों को गंभीरता से निभाना चाहा, तब उन्हें दरकिनार किया जाने लगा।
सरकार की ओर से चुप्पी
कांग्रेस के गंभीर आरोपों के बावजूद सरकार की ओर से अब तक कोई आधिकारिक प्रतिक्रिया नहीं आई है। ना ही बीजेपी अध्यक्ष जेपी नड्डा, ना किरण रिजीजू। हालांकि थोड़ी देर पहले ही प्रधानमंत्री ने ट्वीट करते लिखा कि 'श्री जगदीप धनखड़ जी को भारत के उपराष्ट्रपति सहित कई भूमिकाओं में देश की सेवा करने का अवसर मिला है। मैं उनके उत्तम स्वास्थ्य की कामना करता हूं।'
राजनीतिक सरगर्मी तेज
धनखड़ का इस्तीफा ऐसे समय में आया है जब संसद का मानसून सत्र जारी है और विपक्ष पहले से ही सरकार को लोकतांत्रिक संस्थाओं के क्षरण और अभिव्यक्ति की आज़ादी पर अंकुश जैसे मुद्दों पर घेर रहा है। अब देखना होगा कि क्या धनखड़ इस मुद्दे पर चुप रहते हैं या आने वाले दिनों में इस पर खुलकर बोलते हैं।
धनखड़ जैसे व्यक्ति, जिन्होंने अपना करियर एक प्रखर वकील, सांसद और फिर राज्यपाल के रूप में संविधान की रक्षा के नाम पर बिताया, अगर पद से अचानक इस्तीफा देते हैं, तो यह सिर्फ “स्वास्थ्य” का मामला नहीं हो सकता। यह एक बड़े राजनीतिक असंतुलन की निशानी हो सकती है, जिसे अभी देश समझने और महसूस करने की कोशिश कर रहा है।
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