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सरकार का बड़ा कदम: राष्ट्रीय राजमार्गों पर टोल टैक्स में 50% तक की कमी, जानिए नया नियम और इसका फायदा!

National Highway Toll Tax: सरकार ने राष्ट्रीय राजमार्गों पर टोल टैक्स की गणना में बदलाव कर दिया है, जिससे पुल, सुरंग, फ्लाईओवर और ऊंची सड़कों पर टोल दरों में 50% तक की कमी की जाएगी। जानें नया नियम और इससे यात्रियों को होने वाला फायदा।

Harsh Sharma
Published on: 5 July 2025 11:45 AM IST
National Highway Toll Tax:
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National Highway Toll Tax: 

National Highway Toll Tax: अब सड़क पर सफर करने वालों के लिए एक बड़ी राहत की खबर है। सरकार ने राष्ट्रीय राजमार्गों पर टोल टैक्स की गणना के नियमों में बदलाव किया है। इसके तहत ऐसे हिस्सों, जहां सिर्फ पुल, सुरंग, फ्लाईओवर या ऊंची सड़क हैं, वहां टोल दरों में 50 प्रतिशत तक की कमी की जाएगी। यह बदलाव सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्रालय ने एनएच शुल्क नियम, 2008 में संशोधन करके किया है। नया नियम 2 जुलाई को जारी किया गया था। इसके अनुसार, अब टोल की गणना के तरीके को बदल दिया गया है ताकि यात्रियों पर कम बोझ पड़े।

नया नियम क्या है?

मंत्रालय के मुताबिक, अब राष्ट्रीय राजमार्गों पर टोल की गणना दो तरीकों से की जाएगी:

संरचना की लंबाई का 10 गुना।

खंड की कुल लंबाई का 5 गुना।

इन दोनों में से जो भी कम होगा, उसी आधार पर टोल लिया जाएगा। संरचना का मतलब है- पुल, सुरंग, फ्लाईओवर या ऊंची सड़क ।

उदाहरण से समझिए:

मान लीजिए, अगर किसी राजमार्ग की कुल लंबाई 40 किलोमीटर है और वह पूरी तरह से संरचना से बना है, तो:

संरचना की लंबाई का 10 गुना: 10 × 40 = 400 किलोमीटर

खंड की कुल लंबाई का 5 गुना: 5 × 40 = 200 किलोमीटर

इसमें से कम दूरी यानी 200 किलोमीटर को आधार मानकर टोल लिया जाएगा। इसका मतलब यह है कि टोल दरों में करीब 50 प्रतिशत की छूट मिलती है।

पहले क्या था?

पहले के नियमों के तहत, संरचनाओं वाले हिस्सों पर यात्रियों से प्रति किलोमीटर 10 गुना टोल शुल्क लिया जाता था। इसका मकसद इन महंगे निर्माण कार्यों की लागत निकालना था, लेकिन इससे यात्रियों पर आर्थिक बोझ बढ़ रहा था।

यह फैसला क्यों लिया गया?

राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण (NHAI) के एक अधिकारी के अनुसार, पहले का फॉर्मूला उच्च निर्माण लागत को पूरा करने के लिए था। लेकिन अब जब इसका असर यात्रियों की जेब पर पड़ रहा है, तो मंत्रालय ने इस बदलाव को लागू किया ताकि यात्रियों पर कम बोझ पड़े और वे ज्यादा राहत महसूस कर सकें।

किसे मिलेगा फायदा?

यह बदलाव खासतौर पर उन यात्रियों के लिए फायदेमंद होगा, जो लंबे फ्लाईओवर, सुरंगों या ऊंची सड़क से यात्रा करते हैं। जैसे पहाड़ी राज्यों, मेट्रो शहरों के आउटर रिंग रोड, या उन रूट्स पर जहां लंबी सुरंगें और पुल बनाए गए हैं। यह नियम खासतौर पर उन राजमार्गों पर लागू होगा जहां संरचनाएं कुल लंबाई का 50 प्रतिशत से ज्यादा हिस्सा बनाती हैं।

इस बदलाव से वाणिज्यिक और भारी वाहनों को ज्यादा फायदा होगा, क्योंकि इन वाहनों को निजी वाहनों की तुलना में 4 से 5 गुना ज्यादा टोल देना पड़ता है। उदाहरण के तौर पर, दिल्ली-देहरादून एक्सप्रेसवे पर दिल्ली की ओर 18 किलोमीटर का एलिवेटेड हिस्सा और देहरादून की ओर 15 किलोमीटर का वन्यजीव कॉरिडोर है। ऐसे हिस्सों पर टोल कम होने से यात्रियों को बहुत राहत मिलेगी।

नए नियम कब से लागू होंगे?

मंत्रालय के अनुसार, यह नया नियम सार्वजनिक रूप से वित्त पोषित टोल प्लाजा पर अगली निर्धारित यूजर फीस रिवीजन तिथि से लागू होगा। नए टोल प्लाजा के लिए यह नियम उसके परिचालन शुरू होने के दिन से लागू होगा। वहीं, निजी कॉन्सेशनेयर द्वारा संचालित टोल प्लाजा पर यह नियम कॉन्सेशन समझौते की समाप्ति के बाद लागू होगा।

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Harsh Sharma

Harsh Sharma

Content Writer

हर्ष नाम है और पत्रकारिता पेशा शौक बचपन से था, और अब रोज़मर्रा की रोटी भी बन चुका है। मुंबई यूनिवर्सिटी से मास कम्युनिकेशन में ग्रेजुएशन किया, फिर AAFT से टीवी पत्रकारिता की तालीम ली। करियर की शुरुआत इंडिया न्यूज़ से की, जहां खबरें बनाने से ज़्यादा, उन्हें "ब्रेकिंग" बनाने का हुनर सीखा। इस समय न्यूज़ ट्रैक के लिए खबरें लिख रहे हैं कभी-कभी संजीदगी से, और अक्सर सिस्टम की संजीदगी पर हल्का-फुल्का कटाक्ष करते हुए। एक साल का अनुभव है, लेकिन जज़्बा ऐसा कि मानो हर प्रेस कॉन्फ्रेंस उनका पर्सनल डिबेट शो हो।

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