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एक और साल सत्ता के सबसे ताकतवर कुर्सी पर रहेंगे गोविंद मोहन! रिटायरमेंट से पहले ही मिल गया 'अल्टीमेट एक्सटेंशन', जानिए कौन हैं देश के 'होम सेक्रेटरी'?
IAS Govind Mohan Job Extension: गोविंद मोहन, IAS अधिकारी की, जिनकी सेवाएं अब रिटायरमेंट के बाद भी एक साल के लिए बढ़ा दी गई हैं। कैबिनेट की नियुक्ति समिति ने एक आदेश जारी करते हुए यह स्पष्ट कर दिया कि श्री गोविंद मोहन 30 सितंबर 2025 को सेवानिवृत्त नहीं होंगे
IAS Govind Mohan Job Extension: देश के सबसे ताकतवर और संवेदनशील मंत्रालय गृह मंत्रालय में एक बार फिर वही चेहरा दिखाई देगा जिसने पिछले कुछ वर्षों में प्रशासनिक सुचिता, निर्णय क्षमता और रणनीतिक कौशल का नया मानक गढ़ा है। जी हां, हम बात कर रहे हैं गोविंद मोहन, आईएएस अधिकारी (बैच: सिक्किम कैडर, 1989) की, जिनकी सेवाएं अब रिटायरमेंट के बाद भी एक साल के लिए बढ़ा दी गई हैं। कैबिनेट की नियुक्ति समिति (Appointments Committee of the Cabinet - ACC) ने एक आदेश जारी करते हुए यह स्पष्ट कर दिया कि श्री गोविंद मोहन 30 सितंबर 2025 को सेवानिवृत्त नहीं होंगे, बल्कि 22 अगस्त 2026 तक अथवा अगले आदेश तक अपनी सेवाएं देते रहेंगे। यह कोई साधारण प्रशासनिक निर्णय नहीं है—यह भरोसे, दक्षता और अनुभव के उस हिमखंड की पुनः मान्यता है जिसे गोविंद मोहन कहा जाता है।
कौन हैं गोविंद मोहन?
गोविंद मोहन एक ऐसा नाम है जो भारतीय प्रशासनिक सेवा के भीतर लो-प्रोफाइल, हाई-इम्पैक्ट व्यक्तित्व के लिए जाना जाता है। वे 1989 बैच के आईएएस अधिकारी हैं और सिक्किम कैडर से आते हैं। वर्षों की सेवा में उन्होंने भारत सरकार और राज्य सरकार दोनों में अहम पदों पर काम किया है। लेकिन असली राष्ट्रीय पहचान उन्हें तब मिली जब उन्हें गृह सचिव जैसा संवेदनशील और रणनीतिक पद सौंपा गया। गृह मंत्रालय का जिम्मा कोई मामूली नहीं होता—यह भारत की आतंरिक सुरक्षा, कानून-व्यवस्था, केंद्र-राज्य संबंध, नक्सलवाद, आतंकवाद, और आपदा प्रबंधन जैसे क्षेत्रों का केंद्रीय संचालन करता है। गोविंद मोहन ने इन सभी जिम्मेदारियों को अपने खास बिना शोर के सुधार वाले अंदाज़ में निभाया।
कूटनीति से लेकर संस्कृति तक, हर क्षेत्र में मोहन की मौजूदगी
इससे पहले वे संस्कृति मंत्रालय में सचिव रहे, जहाँ उन्होंने भारत की विरासत और सांस्कृतिक पहचान को विश्व मंच पर उभारने का सराहनीय प्रयास किया। उन्हें G20 शेरपा ट्रैक के सचिव के रूप में भी जाना जाता है, जहां उन्होंने भारत की वैश्विक भूमिका को रणनीतिक दृष्टि से मज़बूती दी। उन्होंने प्रधानमंत्री कार्यालय (PMO) में भी विभिन्न भूमिकाएं निभाई हैं, जो इस बात का प्रमाण है कि सत्ता के सर्वोच्च केंद्र में उन्हें कितना भरोसेमंद और कुशल माना गया।
कठिन समय में सख्त फैसलों वाले अधिकारी
गोविंद मोहन को फैसलों में दृढ़ता और स्पष्टता के लिए जाना जाता है। वे कोई निर्णय लेने से नहीं हिचकिचाते, भले ही वह फैसला राजनीतिक रूप से कठिन क्यों न हो। कोरोना काल के दौरान आव्रजन और प्रवासी कामगारों की स्थिति को संभालने में उनकी भूमिका बेहद अहम रही। हाल ही में, भारत की उत्तर-पूर्व नीति और जम्मू-कश्मीर प्रशासनिक सुधारों में भी उनका योगदान उल्लेखनीय रहा है। वे उन चुनिंदा नौकरशाहों में से हैं जिन्होंने ब्यूरोक्रेसी की सीमाओं को लांघकर जमीनी स्तर पर सशक्त परिवर्तन किए।
मूल्य आधारित प्रशासन और कड़े अनुशासन की पहचान
गोविंद मोहन का प्रशासनिक स्टाइल किसी चमक-दमक या मीडिया सर्कस पर आधारित नहीं है। वे कार्यालय में देर तक काम करने वाले, हर फाइल को पढ़ने वाले, और हर फैसले की जवाबदेही समझने वाले अधिकारी हैं। उनका मानना है कि प्रशासन की सफलता उसका अदृश्य प्रभाव होता है—जब सिस्टम बेहतर चलता है और आम आदमी राहत महसूस करता है, वही असली सफलता है।
एक्सटेंशन क्यों मिला? क्या हैं इसके संकेत?
30 सितंबर 2025 को रिटायर होने जा रहे गोविंद मोहन को FR 56(d) और Rule 16 (1A) के तहत सेवा विस्तार देना, एक स्पष्ट संदेश है कि सरकार उन्हें सिर्फ एक अधिकारी नहीं, बल्कि एक रणनीतिक स्तंभ मानती है। ऐसे समय में जब 2026 के मध्य तक भारत के सामने कई आंतरिक और अंतरराष्ट्रीय सुरक्षा चुनौतियां हो सकती हैं, एक अनुभवी और भरोसेमंद चेहरा गृह मंत्रालय में रहना बेहद अहम है। विशेषज्ञों का मानना है कि यह सेवा विस्तार 2026 तक चलने वाले विभिन्न राष्ट्रीय सुरक्षा अभियानों और राज्यों में होने वाले बड़े चुनावों की तैयारी से भी जुड़ा है, जिनमें एक स्थिर और अनुभवी प्रशासनिक नेतृत्व की आवश्यकता है।
गोविंद मोहन: जहां कागज़ों से नीति बनती है और नीति से यथार्थ
उनके बारे में एक बार एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा था गोविंद मोहन उन गिने-चुने अधिकारियों में हैं जो जानते हैं कि नीतियां सिर्फ लिखने से नहीं, बल्कि जमीनी सच्चाई समझने से बनती हैं। उनकी फाइलों में जहां गहराई होती है, वहीं उनके निर्णयों में राष्ट्रीय सुरक्षा, संवैधानिक संतुलन और मानव अधिकारों का अद्भुत समन्वय देखा जा सकता है।
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