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ट्रंप को लगा तगड़ा झटका, अब तेल के साथ रूस भारत को देगा S-400 मिसाइल, हिंदुस्तान को होगा बड़ा फायदा
भारत-रूस साझेदारी मजबूत, S-400 मिसाइल और तेल पर डिस्काउंट,अमेरिका के दबाव के बीच भारत को बड़ा फायदा।
India-Russia relations: भारत और रूस के बीच रिश्तों में नई ऊर्जा देखने को मिल रही है। जिस समय अमेरिका लगातार भारत को रूसी तेल और रक्षा खरीद पर निशाना बना रहा है, वहीं भारत और रूस की रणनीतिक साझेदारी और भी मजबूत होती नजर आ रही है। हाल ही में खबरें आई हैं कि रूस भारत को और ज्यादा S-400 मिसाइल सिस्टम भेजने पर विचार कर रहा है, साथ ही तेल खरीद पर भी विशेष डिस्काउंट की तैयारी कर ली गई है। यह संकेत साफ कर रहे हैं कि भारत-रूस संबंध सिर्फ मजबूत हो रहे हैं, बल्कि दोनों देशों के बीच रक्षा और ऊर्जा के क्षेत्र में सहयोग का दायरा बढ़ रहा है।
S-400 मिसाइल सिस्टम की नई डिलीवरी की संभावना
रॉयटर्स की रिपोर्ट के अनुसार, रूस की TASS न्यूज एजेंसी से बातचीत में रूसी अधिकारी दिमित्री शुगैव ने कहा कि भारत के पास पहले से ही हमारे S-400 सिस्टम मौजूद हैं। उन्होंने यह भी संकेत दिया कि दोनों देशों के बीच इस क्षेत्र में सहयोग को बढ़ाने की संभावनाएं हैं, यानी भारत को नई डिलीवरी मिल सकती है। भारत ने साल 2018 में 5.5 बिलियन डॉलर की डील के तहत 5 S-400 मिसाइल सिस्टम खरीदे थे। अब तक रूस ने तीन सिस्टम की डिलीवरी कर दी है, जबकि बाकी दो सिस्टम की डिलीवरी में कई बार देरी हुई। संभावना जताई जा रही है कि रूस 2026 और 2027 में भारत को बचे हुए सिस्टम उपलब्ध करा देगा।
मई में पाकिस्तान के साथ संघर्ष में S-400 की भूमिका
खास बात यह है कि इस मिसाइल सिस्टम ने हाल ही में भारत की सुरक्षा में अहम भूमिका निभाई। मई में जम्मू और कश्मीर के पहलगाम में हुए आतंकवादी हमले के बाद भारतीय सेना ने पाकिस्तान में आतंकवादी ठिकानों को निशाना बनाया था। उस समय S-400 सिस्टम ने रक्षा में अपनी क्षमता का प्रदर्शन किया और भारतीय सेना की कार्रवाई को मजबूती प्रदान की।
रूस से तेल पर बढ़ी छूट
रक्षा क्षेत्र में सहयोग के साथ-साथ ऊर्जा क्षेत्र में भी भारत को लाभ मिलने वाला है। ब्लूमबर्ग की रिपोर्ट के अनुसार, रूस ने भारत को तेल खरीद पर पहले से ज्यादा डिस्काउंट देने की तैयारी कर ली है। अब रूसी तेल भारत के लिए 3-4 डॉलर प्रति बैरल सस्ता हो सकता है। इससे पहले यह डिस्काउंट 2.50 डॉलर था और जुलाई में केवल 1 डॉलर प्रति बैरल था। विशेष रूप से यूराल कच्चे तेल पर यह छूट ब्रेंट की तुलना में दी जा रही है। यह कदम भारत के लिए ऊर्जा क्षेत्र में मजबूती और लागत कम करने का अवसर साबित हो सकता है।
अमेरिका की आलोचना और भारत की मजबूती
इन घटनाओं के बीच अमेरिका लगातार भारत पर दबाव बना रहा है। राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने रूस से तेल खरीदने को लेकर भारत को निशाना बनाया और शुरुआती 25% टैरिफ के साथ जुर्माना भी लगाया। इसके बाद अमेरिका ने भारत पर 25% अतिरिक्त टैरिफ लगाने की धमकी भी दी। लेकिन इन सबके बावजूद भारत ने अपनी रणनीतिक साझेदारी और रक्षा व ऊर्जा की सुरक्षा को प्राथमिकता दी है। रूस के साथ बढ़ते सहयोग से यह संकेत मिलता है कि भारत अपनी विदेश नीति में स्वतंत्र और संतुलित दृष्टिकोण अपनाए हुए है।
रणनीतिक संकेत
रक्षा और ऊर्जा क्षेत्र में यह कदम भारत के लिए केवल आर्थिक और सैन्य मजबूती नहीं है, बल्कि अंतरराष्ट्रीय राजनीति में एक सशक्त संदेश भी है। यह दिखाता है कि भारत अपने निर्णय स्वतंत्रता से ले रहा है और अमेरिका की धमकियों के बावजूद देश की सुरक्षा और ऊर्जा जरूरतों को सुनिश्चित कर रहा है। भविष्य में यह देखना दिलचस्प होगा कि भारत और रूस की साझेदारी किस हद तक मजबूत होती है और अमेरिका इस रणनीति का जवाब कैसे देता है। फिलहाल, भारत-रूस संबंधों में नई गहराई और रणनीतिक मजबूती साफ नजर आ रही है।
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