Vice President Election 2025: कृष्णन बनाम सुदर्शन, कौन कहाँ खड़े हैं?

India Vice President Election 2025: उपराष्ट्रपति चुनाव भारत के लिए दो भिन्न दृष्टियों के बीच चुनाव का प्रतीक बनकर उभर रहा है।

Newstrack Desk
Published on: 20 Aug 2025 12:40 PM IST
Krishnan Vs Sudarshan
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Krishnan Vs Sudarshan (Image Credit-Social Media)

India Vice President Election 2025: भारत उपराष्ट्रपति चुनाव की तैयारी कर रहा है और इस बार राजनीतिक परिदृश्य पर दो प्रमुख दावेदार सुर्खियों में हैं— सी. पी. राधाकृष्णन, सत्तारूढ़ एनडीए गठबंधन के उम्मीदवार और न्यायमूर्ति बी. सुदर्शन रेड्डी, विपक्षी गठबंधन इंडिया ब्लॉक के प्रत्याशी। यह मुकाबला केवल दो व्यक्तियों के बीच नहीं है, बल्कि देश के भविष्य के लिए दो वैचारिक दृष्टिकोणों और राजनीतिक दृष्टियों के टकराव का प्रतीक बन गया है।

न्यायमूर्ति बी. सुदर्शन रेड्डी

सुप्रीम कोर्ट के पूर्व न्यायाधीश न्यायमूर्ति बी. सुदर्शन रेड्डी को इंडिया ब्लॉक ने अपना आधिकारिक उम्मीदवार घोषित किया है। अपने प्रगतिशील फैसलों और नागरिक स्वतंत्रताओं के प्रति प्रतिबद्धता के लिए प्रसिद्ध, रेड्डी को एक ऐसे संवैधानिक विचारक के रूप में पेश किया जा रहा है जो न्याय और समानता के आदर्शों में गहराई से जमे हुए हैं। कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे के अनुसार, उनका नामांकन “सत्तावाद और केंद्रीकरण के खिलाफ वैचारिक संघर्ष” का हिस्सा है।


उनका न्यायिक करियर कई दशकों तक फैला रहा है, जिसमें गुवाहाटी हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश के रूप में कार्यकाल भी शामिल है। न्यायमूर्ति रेड्डी ईमानदारी और कानूनी विशेषज्ञता की प्रतिष्ठा रखते हैं। विपक्ष को उम्मीद है कि उनकी नैतिक प्रतिष्ठा उन दलों का समर्थन जुटाएगी जो अभी तक असमंजस की स्थिति में हैं।

सी. पी. राधाकृष्णन

दूसरी ओर सी. पी. राधाकृष्णन हैं, जो एक अनुभवी राजनेता और वर्तमान में महाराष्ट्र के राज्यपाल हैं। वे पहले कोयंबटूर से लोकसभा सांसद रह चुके हैं और लंबे समय से भाजपा से जुड़े रहे हैं। एनडीए में उन्हें भरोसेमंद और स्थिर नेता माना जाता है।


उनकी उम्मीदवारी को टीडीपी, जदयू, शिवसेना और खासकर वाईएसआर कांग्रेस पार्टी जैसे सहयोगियों से सकारात्मक समर्थन मिला है। पार्टी के अंदरूनी सूत्र उन्हें “गैर-विवादित” और “प्रशासनिक दृष्टि से सक्षम” बताते हैं। एनडीए मानता है कि वे उपराष्ट्रपति जैसे संवेदनशील पद को स्थिरता और संतुलन के साथ संभालने में सक्षम हैं।

गैर-विवादित छवि

Krishnan Vs Sudarshan: आधुनिक भारतीय राजनीति में यह असामान्य है कि दोनों प्रमुख उम्मीदवार लगभग विवादों से दूर रहे हों। न्यायमूर्ति रेड्डी ने अपने करियर में राजद्रोह कानूनों के दुरुपयोग की तीखी आलोचना की है और संवैधानिक अधिकारों की रक्षा के प्रति अपनी निष्ठा दिखाई है। वहीं, राधाकृष्णन ने राज्यपाल के रूप में अपने कार्यकाल में अनुशासन और भरोसेमंद नेतृत्व की छवि बनाई।

एनडीए उन्हें तमिलनाडु की राजनीति से राष्ट्रीय स्तर पर उठकर आए नेता के रूप में प्रस्तुत कर रहा है—जिसे उनकी जमीनी पकड़ और प्रशासनिक क्षमता का प्रमाण माना जा रहा है।

जनसमर्थन और छवि

जनता की नज़र में राधाकृष्णन को अधिक क्षेत्रीय स्वीकृति प्राप्त है, विशेषकर तमिलनाडु में, जहाँ उन्हें “धरती का बेटा” मानते हुए कई दल उनके पीछे खड़े हो गए हैं। वाईएसआर कांग्रेस पार्टी का समर्थन भी उन्हें दक्षिण भारत में मजबूत बनाता है।

हालाँकि न्यायमूर्ति रेड्डी आम जनता में राजनीतिक रूप से बहुत अधिक परिचित नहीं हैं, लेकिन उन्हें बौद्धिक और विधिक जगत में गर्मजोशी से स्वीकार किया गया है। इंडिया ब्लॉक उन्हें मौजूदा सरकार के मुकाबले एक सैद्धांतिक विकल्प के रूप में प्रस्तुत कर रहा है।

अंततः, उपराष्ट्रपति चुनाव भारत के लिए दो भिन्न दृष्टियों के बीच चुनाव का प्रतीक बनकर उभर रहा है। न्यायमूर्ति रेड्डी संवैधानिक नैतिकता और कानूनी संयम का प्रतिनिधित्व करते हैं, जबकि राधाकृष्णन राजनीतिक अनुभव और गठबंधन की सर्वसम्मति का चेहरा हैं।

जैसे-जैसे निर्वाचन मंडल मतदान की तैयारी कर रहा है, यह चुनाव केवल राज्यसभा के अगले उपसभापति का फैसला नहीं करेगा, बल्कि यह भी संकेत देगा कि भारत की सत्ता-संतुलन की दिशा आने वाले वर्षों में किस ओर मुड़ेगी।

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