TRENDING TAGS :
कौन होगा अगला उपराष्ट्रपति? नामांकन के लिए पहुंचे इन 'तीन लोगों' के नाम
Nominations for Vice President Election: धनखड़ का कार्यकाल अगस्त 2027 तक था लेकिन इस्तीफे के चलते अब जो भी चुना जाएगा, उसे फुल टर्म मिलेगा।
Vice President of India election 2025: संविधान की ऊँचाइयों पर बैठी उपराष्ट्रपति की कुर्सी इस वक्त जितनी खाली है, उससे कहीं ज़्यादा सियासी गलियारों में गर्म है। जगदीप धनखड़ के अप्रत्याशित इस्तीफे के बाद राजनीतिक जमातों में हलचल तेज है। गठबंधन अपनी-अपनी गोटियाँ बिछा रहे हैं और सियासी गणित फिर से फॉर्मूलों में उलझा बैठा है।
धनखड़ ने 21 जुलाई को स्वास्थ्य कारणों का हवाला देकर इस्तीफा दिया लेकिन जानकारों का कहना है कि मामला स्वास्थ्य से ज़्यादा 'सियासी संतुलन' का है। बहरहाल, अब 9 सितंबर को होने वाले चुनाव ने दिल्ली की राजनीति में एक बार फिर वाइस प्रेसीडेंसी को 'हाई प्रोफाइल वैकेंसी' में तब्दील कर दिया है।
तीन आम उम्मीदवार, एक असाधारण अस्वीकृति
जहाँ एनडीए और विपक्ष अपने उम्मीदवारों को लेकर रणनीति बना रहे हैं, वहीं इस लोकतांत्रिक प्रक्रिया में तीन सामान्य नागरिकों ने असाधारण साहस दिखाते हुए उपराष्ट्रपति बनने के लिए नामांकन भर दिया। लेकिन जैसा कि भारतीय लोकतंत्र में अक्सर होता है, कागज़ों ने ख्वाबों को पीछे छोड़ दिया।
के. पद्मराजन (सलेम, तमिलनाडु) – चुनावों में नामांकन भरने के लिए प्रसिद्ध, लेकिन सही डेट की मतदाता सूची देना भूल गए।
जीवन कुमार मित्तल (मोती नगर, दिल्ली) – जिनका नामांकन दिखाता है कि इच्छा और योग्यता के बीच एक गहरी कानूनी खाई होती है।
नायडूगरी राजशेखर (श्रीमुखलिंगम, आंध्र प्रदेश) – न कोई प्रमाणित दस्तावेज, न जमानत राशि। शायद सोचा था कि उपराष्ट्रपति भवन में रहने के लिए सिर्फ मन की बात काफी है।
इन तीनों के नामांकन राज्यसभा महासचिव पी सी मोदी ने नियमों के उल्लंघन के चलते खारिज कर दिए। चुनाव आयोग की अधिसूचना के मुताबिक, 21 अगस्त तक नामांकन भरे जा सकते हैं, 22 अगस्त को स्क्रूटिनी होगी और 25 अगस्त नाम वापसी की अंतिम तारीख है। यानी राजनीति की यह परीक्षा फॉर्म भरने से ही शुरू होती है और रिजल्ट पहले दिन मिल जाता है।
उपराष्ट्रपति की कुर्सी खाली है, लाइन लंबी है
एनडीए ने उम्मीदवार तय करने की जिम्मेदारी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और जेपी नड्डा को सौंपी है। अब ये दो चेहरे तय करेंगे कि 2025 के संसद सत्रों में सभापति की गद्दी पर कौन बैठेगा, जो अक्सर विपक्ष की नाराजगी झेलने और माइक बंद करने की जिम्मेदारी भी निभाता है।
विपक्ष, जिसकी रणनीति अभी भी Google Docs पर चल रही है अपने संभावित संयुक्त उम्मीदवार की तलाश में है। लेकिन जैसे-जैसे तारीखें नजदीक आ रही हैं, संयुक्त मोर्चा फिर से विचार विमर्श समिति में तब्दील होता दिख रहा है।
रेस में कौन-कौन, दौड़ अब असली चेहरों की
नीतीश कुमार का नाम पहले आया लेकिन NDA और INDIA दोनों की झिझक के चलते अब साइलेंट मोड में चले गए हैं। सत्ता का संतुलन साधते-साधते शायद खुद को ही असंतुलित कर बैठे हैं।
मनोज सिन्हा जम्मू-कश्मीर को उपराज्यपाल प्रशासनिक अनुभव से भरपूर, लेकिन कश्मीर छोड़कर दिल्ली आना एक नया दांव होगा। उनके आने से घाटी में फिर से LG कौन? का खेल शुरू हो सकता है।
हरिवंश सिंह, राज्यसभा उपसभापति एकमात्र ऐसा नाम जो राजनीति में सधी चाल और संतुलित व्यवहार के लिए जाना जाता है। संभव है कि बीजेपी उन्हें आगे कर विपक्ष को गौरवशाली परंपरा की घुट्टी पिलाने की कोशिश करे।
राजनीति का गणित, बहुमत किसके पास है?
NDA के पास स्पष्ट बहुमत है। लोकसभा की 543 में से एक सीट बशीरहाट और पश्चिम बंगाल रिक्त है। राज्यसभा की 245 में से 6 सीटें खाली हैं। इसके बावजूद, NDA की संख्या विपक्ष से अधिक है और उपराष्ट्रपति चुनाव का गणित एकतरफा दिखाई देता है।
लेकिन विपक्ष की ताकत अक्सर कैंडिडेट की चौंकाने वाली लोकप्रियता या सॉफ्ट पॉलिटिक्स से निकलती है। गठबंधन का नाम INDIA है, लेकिन फ़िलहाल इसके पन्ने अधूरे हैं।
संवैधानिक और सियासी अर्थ
धनखड़ का कार्यकाल अगस्त 2027 तक था लेकिन इस्तीफे के चलते अब जो भी चुना जाएगा, उसे फुल टर्म यानी पूरे पांच साल मिलेंगे। यही वजह है कि यह चुनाव सिर्फ एक संवैधानिक औपचारिकता नहीं बल्कि राजनीतिक संदेश का साधन भी बन गया है।
उपराष्ट्रपति का पद आमतौर पर राजनीति के गंभीर लहजे और संसदीय अनुशासन का प्रतीक माना जाता है। लेकिन हाल के घटनाक्रम दिखाते हैं कि यहां भी राजनीति की बैकस्टेज डीलिंग और चेहरे के पीछे की चालें वही हैं, जो हर अन्य कुर्सी के लिए होती हैं।
एक बात और कि जो लोग नामांकन भर कर लोकतंत्र को खुले दरवाजे की तरह देख रहे थे, उन्हें अब समझ आ गया होगा कि यह दरवाजा EVM से कम, दस्तावेजो से ज्यादा चलता है।
AI Assistant
Online👋 Welcome!
I'm your AI assistant. Feel free to ask me anything!