स्पेस में गूंजा 'जय हिंद'! शुभांशु शुक्ला ने रचा इतिहास, इंटरनेशनल स्पेस स्टेशन में हुई एंट्री, दुनिया में लहराया परचम

Shubhanshu shukla enters in ISS: शुभांशु और उनकी टीम अब अगले 14 दिन अंतरराष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन पर रहेंगे। यहां वो ना सिर्फ पृथ्वी के ऊपर से अपने देश को निहारेंगे, बल्कि स्पेस साइंस, माइक्रोग्रैविटी और ह्यूमन बॉडी रिस्पॉन्स पर महत्वपूर्ण प्रयोगों में हिस्सा भी लेंगे।

Harsh Srivastava
Published on: 26 Jun 2025 6:44 PM IST
स्पेस में गूंजा जय हिंद! शुभांशु शुक्ला ने रचा इतिहास, इंटरनेशनल स्पेस स्टेशन में हुई एंट्री, दुनिया में लहराया परचम
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Shubhanshu shukla enters in ISS: 26 जून 2025, यह तारीख अब भारत के अंतरिक्ष इतिहास में सुनहरे अक्षरों में दर्ज हो गई है। जब भारत के वायुसेना के वीर पायलट और ग्रुप कैप्टन शुभांशु शुक्ला ने अंतरराष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन (ISS) में कदम रखा, तो पूरा देश गर्व से भर उठा। उनकी आंखों में सपना था, और कदमों में वो हौसला जो सिर्फ गगनचुंबी सीमाओं को नहीं, बल्कि अंतरिक्ष को भी जीत सकता है। ISS पहुंचते ही शुभांशु और उनके साथी एस्ट्रोनॉट्स का शानदार स्वागत हुआ। जैसे ही एयरलॉक खुला, वहां मौजूद अंतरिक्ष यात्रियों ने मुस्कान और खुले हाथों से उनका "स्पेस वेलकम" किया। और फिर जो हुआ उसने पूरे भारत को भावुक कर दिया — शुभांशु शुक्ला को स्पेस वेलकम ड्रिंक दिया गया। इस क्षण ने साफ कर दिया कि भारत अब अंतरिक्ष की मेज पर एक मजबूत कुर्सी ले चुका है।

ड्रैगन कैप्सूल की रोमांचकारी यात्रा

शुभांशु शुक्ला का ये ऐतिहासिक सफर स्पेसएक्स के ड्रैगन कैप्सूल के जरिए संभव हुआ, जो Axiom-4 (Ax-4) मिशन का हिस्सा है। यह यान 28,000 किमी/घंटा की रफ्तार से पृथ्वी की 418 किमी ऊंचाई पर चक्कर लगाता हुआ ISS तक पहुंचा। हैरानी की बात ये रही कि यह तय समय से 20 मिनट पहले ही स्टेशन से सफलतापूर्वक डॉक कर गया। डॉकिंग एक पूरी तरह स्वचालित प्रक्रिया थी, लेकिन शुभांशु और मिशन कमांडर पेगी व्हिटसन ने हर सेकंड की निगरानी की। यह केवल विज्ञान नहीं, बल्कि सटीकता, संयम और साहस का प्रदर्शन था। इस दौरान उन्होंने GPS, लेज़र और कैमरा आधारित अलाइनमेंट टेक्नोलॉजी की मदद से ड्रैगन कैप्सूल को ISS के हार्मनी मॉड्यूल के साथ जोड़ दिया।

अब 14 दिन अंतरिक्ष में... सीखेंगे, जिएंगे, इतिहास बनाएंगे!

शुभांशु और उनकी टीम अब अगले 14 दिन अंतरराष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन पर रहेंगे। यहां वो ना सिर्फ पृथ्वी के ऊपर से अपने देश को निहारेंगे, बल्कि स्पेस साइंस, माइक्रोग्रैविटी और ह्यूमन बॉडी रिस्पॉन्स पर महत्वपूर्ण प्रयोगों में हिस्सा भी लेंगे। भारत के लिए यह केवल गर्व का क्षण नहीं, बल्कि अंतरिक्ष विज्ञान में वैश्विक नेतृत्व की दिशा में पहला कदम है। इस मिशन के जरिए भारत ने साबित कर दिया है कि अब वो सिर्फ लॉन्चिंग का सपना नहीं देखता, बल्कि स्पेस स्टेशन तक पहुंचने का हौसला भी रखता है।

'मैं भारत से हूं!' – अंतरिक्ष से आई पहली आवाज़

शुभांशु ने ISS पहुंचते ही जो पहला संदेश दिया, उसने हर भारतीय की आंखों को नम कर दिया — "नमस्कार स्पेस से... मैं भारत से हूं!" उनकी इस आवाज़ में केवल गर्व नहीं था, बल्कि वो जज़्बा भी था जिसने राकेश शर्मा के बाद भारत को एक बार फिर अंतरिक्ष में गर्व से सिर उठाकर खड़ा कर दिया।

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Harsh Shrivastava is an enthusiastic journalist who has been actively writing content for the past one year. He has a special interest in crime, politics and entertainment news. With his deep understanding and research approach, he strives to uncover ground realities and deliver accurate information to readers. His articles reflect objectivity and factual analysis, which make him a credible journalist.

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