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सबसे खतरनाक-खूंखार नक्सली: 1 करोड़ का इनामी कमांडर, जाने बसवराज ढेर की कहानी
Top Naxal Commander Basavaraj: बसवराज, जिसे नंबाला केशव राव या गंगन्ना के नाम से भी जाना जाता था, छत्तीसगढ़ सरकार के अनुसार 1 करोड़ रुपये के इनामी और मोस्ट वांटेड नक्सली कमांडर में से एक था।
Top Naxal Commander Basavaraj Crime Story
Top Naxal Commander Basavaraj: रायपुर। छत्तीसगढ़ के नारायणपुर जिले के अबूझमाड़ क्षेत्र में चलाए गए एक बड़े एंटी-नक्सल ऑपरेशन में सुरक्षाबलों को बड़ी सफलता हाथ लगी है। इस अभियान में प्रतिबंधित भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (माओवादी) के महासचिव और शीर्ष नक्सली कमांडर नंबाला केशव राव उर्फ बसवराज मारा गया। यह मुठभेड़ अबूझमाड़ और इंद्रावती नेशनल पार्क के बीच घने जंगलों में हुई, जिसमें कम से कम 26 नक्सली मारे गए, जिससे यह वर्ष 2025 का अब तक का सबसे बड़ा एंटी-नक्सल ऑपरेशन बन गया है।
कौन था बसवराज?
बसवराज, जिसे नंबाला केशव राव या गंगन्ना के नाम से भी जाना जाता था, छत्तीसगढ़ सरकार के अनुसार 1 करोड़ रुपये के इनामी और मोस्ट वांटेड नक्सली कमांडर में से एक था।
वह एक दिग्गज गुरिल्ला रणनीतिकार था और राष्ट्रीय जांच एजेंसी (NIA) द्वारा लंबे समय से वांछित था। बसवराज 2019 के गढ़चिरौली हमले (जिसमें 15 सी-कमांडो मारे गए थे) और दंतेवाड़ा में बीजेपी विधायक भीमा मंडावी पर हुए घातक हमले (जिसमें विधायक सहित 4 सुरक्षा कर्मी मारे गए थे) का मास्टरमाइंड था।
तेलंगाना के वारंगल का रहने वाला बसवराज, वारंगल के रीजनल इंजीनियरिंग कॉलेज (REC) से इंजीनियरिंग स्नातक था। 1970 के दशक में एमटेक की पढ़ाई के दौरान वह नक्सली आंदोलन से जुड़ा और बाद में भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (माओवादी) में शामिल होकर संगठन की केंद्रीय समिति में महासचिव पद तक पहुंचा।
IED (इम्प्रोवाइज़्ड एक्सप्लोसिव डिवाइस) बिछाने और गुरिल्ला युद्ध रणनीतियों में उसकी विशेषज्ञता ने उसे नक्सली संगठन में एक अत्यंत शक्तिशाली और खतरनाक नेता बना दिया था। रिपोर्ट्स के अनुसार, उसे LTTE (लिबरेशन टाइगर्स ऑफ तमिल ईलम) से सैन्य प्रशिक्षण मिला था, जिससे उसकी रणनीतिक क्षमता और मजबूत हो गई थी।
वह माओवादियों की जनता की मुक्ति गुरिल्ला सेना (PLGA) के प्रमुख बटालियन नंबर-1 से जुड़ा हुआ था, जो अबूझमाड़ जैसे नक्सली गढ़ में सक्रिय थी। छत्तीसगढ़ में नक्सली गतिविधियों के समन्वयन और हमलों की रणनीति में उसकी भूमिका प्रमुख थी।
प्रभाव और महत्व
बसवराज का मारा जाना केंद्र सरकार के “नक्सल मुक्त भारत” मिशन की दिशा में एक ऐतिहासिक कदम माना जा रहा है। गृहमंत्री अमित शाह ने मार्च 2026 तक देश को नक्सलवाद से मुक्त करने का लक्ष्य रखा है, और इस ऑपरेशन को उस दिशा में “ऐतिहासिक सफलता” बताया जा रहा है।
X (पूर्व में ट्विटर) पर कई यूज़र्स ने इस कार्रवाई को “अब तक की सबसे बड़ी सफलता” बताया, क्योंकि बसवराज माओवादी आंदोलन की रीढ़ था।
यह अभियान महज दो हफ्ते पहले बीजापुर में हुए ऑपरेशन के बाद हुआ, जिसमें 15 नक्सली मारे गए थे। इन अभियानों के संयुक्त प्रभाव से 2014 में 126 नक्सल प्रभावित जिलों की संख्या घटकर 2025 में सिर्फ 18 रह गई है, जिनमें से केवल 6 जिले अब भी गंभीर रूप से प्रभावित हैं।
बसवराज की मौत को नक्सलवाद के विरुद्ध लड़ाई में निर्णायक मोड़ माना जा रहा है। सुरक्षाबलों ने भारी मात्रा में ऑटोमैटिक और सेमी-ऑटोमैटिक हथियारों का ज़खीरा भी बरामद किया है, जिससे माओवादियों की सैन्य क्षमताओं को गंभीर नुकसान पहुँचा है।
अब जब सरकार 2026 की समयसीमा को पूरा करने की दिशा में तेजी से आगे बढ़ रही है, तो अगला लक्ष्य इस सफलता को स्थायी रूप देना और आदिवासी क्षेत्रों में विकास पहुँचाकर माओवाद की वापसी की संभावना को समाप्त करना होगा।
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