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विधानसभा चुनाव से पहले ही गिर जाएगी ममता बनर्जी की पार्टी? बंगाल की CM की कुर्सी पर पड़ी इस मुस्लिम नेता की नजर
Humayun Kabir New Party: बंगाल चुनाव से पहले TMC को बड़ा झटका! भरतपुर से विधायक हुमायूं कबीर ने नई पार्टी बनाने का किया ऐलान। मुस्लिम वोट बैंक में सेंध लगाने की तैयारी, ममता बनर्जी की कुर्सी पर मंडराने लगे सियासी बादल।
Humayun Kabir New Party: पश्चिम बंगाल की राजनीति एक बार फिर गर्मा गई है। विधानसभा चुनाव की आहट के साथ ही मुख्यमंत्री ममता बनर्जी की पार्टी तृणमूल कांग्रेस को बड़ा झटका लगने वाला है। भरतपुर से टीएमसी विधायक हुमायूं कबीर ने 15 अगस्त के बाद नई पार्टी बनाने का ऐलान कर दिया है। इस बयान ने बंगाल की राजनीति में भूकंप ला दिया है। हुमायूं कबीर ने साफ कह दिया है कि यह बगावत ममता बनर्जी या अभिषेक बनर्जी के खिलाफ नहीं है बल्कि मुर्शिदाबाद जिले के टीएमसी नेतृत्व के खिलाफ है। लेकिन उनके इस कदम का असर सिर्फ जिले तक सीमित नहीं रहेगा बल्कि पूरे राज्य की सियासत को प्रभावित करेगा। उन्होंने 50 से ज्यादा सीटों पर अपने उम्मीदवार उतारने की बात कहकर संकेत दे दिया है कि यह कोई छोटी मोटी नाराजगी नहीं बल्कि एक राजनीतिक विद्रोह है।
“खेती बैल से होती है बकरियों से नहीं”
हुमायूं कबीर ने जिस अंदाज में अपनी बात रखी उसने सभी को चौंका दिया। उन्होंने कहा “मैं यह साबित करना चाहता हूं कि खेती बैलों से होती है बकरियों से नहीं।” यह बयान सीधे तौर पर टीएमसी के वर्तमान जिला नेतृत्व पर तंज है। उनका आरोप है कि ऐसे नेता जिन्हें कोई राजनीतिक अनुभव नहीं है वे आज सत्ता के सबसे करीब बैठकर फैसले कर रहे हैं और पुराने अनुभवी नेताओं को दरकिनार कर दिया गया है। हुमायूं की नाराजगी फिरहाद हकीम खलीलुर रहमान और अपूर्व सरकार जैसे नेताओं से है। उनका कहना है कि इन्हें तवज्जो मिल रही है जबकि वे खुद जिनका लंबे समय से राजनीतिक आधार रहा है उन्हें विधानसभा से लेकर अपने इलाके रेजिनगर तक में अनदेखा किया जा रहा है।
“ममता से नाराज नहीं लेकिन संदेश देना जरूरी”
हुमायूं कबीर ने एक दिलचस्प बात कहीउन्होंने ममता बनर्जी और अभिषेक बनर्जी के प्रति निष्ठा जताई लेकिन साथ ही यह भी कहा कि पार्टी में जो हालात हैं वो अब और सहने लायक नहीं हैं। उन्होंने कहा “मैं यह दिखाना चाहता हूं कि मेरे जैसे लोगों की अब भी जरूरत है और अगर योग्य लोगों को दरकिनार कर दिया जाएगा तो लोकतंत्र का मजाक बनेगा।” उन्होंने यह भी कहा कि वह अल्पसंख्यक बहुल इलाकों में अपनी पार्टी के उम्मीदवार उतारेंगे ताकि यह दिखाया जा सके कि जनता योग्य नेताओं को पहचानती है न कि सिर्फ प्रचारित चेहरों को।
क्या हुमायूं तोड़ पाएंगे TMC का अल्पसंख्यक वोट बैंक?
हुमायूं कबीर पहले भाजपा के टिकट पर भी चुनाव लड़ चुके हैं और 2.5 लाख वोट हासिल किए थे। अब वे नए सिरे से मालदा मुर्शिदाबाद नादिया और दिनाजपुर में अपनी पैठ बनाने की तैयारी कर रहे हैं। इन सभी क्षेत्रों में अल्पसंख्यक वोटर्स की संख्या काफी ज्यादा है और TMC की जीत का आधार भी यहीं से बनता है। राजनीतिक जानकार मानते हैं कि हुमायूं कबीर का यह कदम TMC के वोट बैंक में सेंध लगाने की कोशिश है। अगर उनकी नई पार्टी थोड़ी भी सीटें जीतने में सफल हो गई तो यह TMC के लिए बड़ा नुकसान साबित हो सकता है।
क्या कांग्रेस और भाजपा का है हाथ?
टीएमसी प्रवक्ता जयप्रकाश मजूमदार ने आरोप लगाया कि यह सब भाजपा के इशारे पर हो रहा है। उन्होंने कहा “चींटी पंख उगाते-उगाते मरती है। हुमायूं को लगता है कि वो कुछ बड़ा कर लेंगे लेकिन इसका कोई खास असर नहीं होगा। अगर भाजपा पैसा दे रही है तो यह कोई नई बात नहीं।” वहीं दूसरी ओर कांग्रेस नेता अधीर रंजन चौधरी ने इस पर बड़ा तंज कसा। उन्होंने कहा “अल्पसंख्यक होना जरूरी नहीं कि अल्पसंख्यक वोट मिलेंगे ही। हुमायूं को कई बार मेरा विरोध करने के लिए इस्तेमाल किया गया अब जब वो बोझ बन चुके हैं तो उन्हें खुद कुछ करना ही पड़ेगा।” लेकिन खुद हुमायूं कबीर इससे इनकार कर चुके हैं कि भाजपा या कांग्रेस से उन्हें कोई मदद मिल रही है। उन्होंने यहां तक कहा कि वह प्रियंका गांधी से भी संपर्क में थे लेकिन यह पूरी लड़ाई स्थानीय सम्मान और राजनीतिक पहचान की बहाली की है न कि किसी बड़े राष्ट्रीय गठबंधन की।
बंगाल की राजनीति में बिखराव का संकेत?
भाजपा नेता जगन्नाथ चटर्जी का कहना है कि आने वाले समय में बंगाल की राजनीति में ऐसे कई नेता अपनी-अपनी अलग पार्टियां बनाएंगे। उन्होंने कहा “आज हुमायूं गए हैं कल कासिम सिद्दीकी परसों सिद्दीकुल्ला चौधरी और फिर बॉबी हाकिम भी जा सकते हैं।” उनका यह बयान दिखाता है कि टीएमसी की अंदरूनी राजनीति में बहुत कुछ सही नहीं चल रहा है। चाहे वो टिकट बंटवारा हो जिला स्तर पर वर्चस्व की लड़ाई हो या पुराने नेताओं को किनारे करने का मामलाहर मोर्चे पर असंतोष की चिंगारी सुलग रही है।
क्या ममता को लगेगा बड़ा झटका?
हुमायूं कबीर ने जिस तरह से अपनी रणनीति बनाई है उससे ममता बनर्जी की मुश्किलें बढ़ सकती हैं। वह एक तरफ प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के खिलाफ मोर्चा खोले हुए हैं दूसरी तरफ अब अपनी ही पार्टी में बगावत का सामना कर रही हैं। अगर हुमायूं की पार्टी अल्पसंख्यक इलाकों में कुछ सीटें काटने में सफल हो गई तो इससे न सिर्फ TMC कमजोर होगी बल्कि BJP को फायदा मिल सकता है।
चुनाव से पहले सियासी तापमान चरम पर
पश्चिम बंगाल में अब चुनावी घमासान शुरू हो चुका है। हुमायूं कबीर का यह फैसला सिर्फ एक व्यक्ति की नाराजगी नहीं बल्कि एक संकेत है कि TMC में अंदर ही अंदर असंतोष की लहर है। क्या यह लहर आगे जाकर ममता बनर्जी की नैया डुबो सकती है? या फिर ममता इस बगावत को एक बार फिर राजनीतिक चतुराई से संभाल लेंगी? एक बात तय हैइस बार बंगाल का चुनाव और भी ज्यादा गर्म रोचक और अनिश्चित होने वाला है।
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