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NALSA Scheme: आप फौज में देश की सेवा करें, अब कानून आपके घर की रक्षा करेगा - अब सैनिकों के परिवारों को मिलेगी फ्री लीगल हेल्प- नालसा लेकर आया सुरक्षा का भरोसा
NALSA Scheme: 26 जुलाई 2025 को श्रीनगर में आयोजित एक भव्य समारोह में इस योजना का शुभारंभ हुआ। ये तारीख महज एक संयोग नहीं, बल्कि कारगिल विजय दिवस का दिन है।
NALSA Scheme: सैनिक जब सीमाओं पर खड़े होकर देश की रक्षा करते हैं, तब उनके परिवारों को कई कानूनी परेशानियों का सामना करना पड़ता है। चाहे वह ज़मीन-जायदाद का विवाद हो, पारिवारिक मामला हो या उत्तराधिकार से जुड़ी कानूनी प्रक्रिया। लेकिन अब देश की न्यायपालिका ने एक क्रांतिकारी कदम उठाते हुए नालसा वीर परिवार सहायता योजना 2025 की शुरुआत की है, जो इस चिंता का हल देने का काम करेगी। आइए जानते हैं इस नई योजना के बारे में विस्तार से -
जम्मू-कश्मीर से हुई शुरुआत, कारगिल विजय दिवस पर मिला न्याय का तोहफा
26 जुलाई 2025 को श्रीनगर में आयोजित एक भव्य समारोह में इस योजना का शुभारंभ हुआ। ये तारीख महज एक संयोग नहीं, बल्कि कारगिल विजय दिवस का दिन है। जिस दिन हम अपने उन जवानों को याद करते हैं जिन्होंने इस युद्ध में देश के लिए सर्वोच्च बलिदान दिया। इस दिन का चुनाव बताता है कि योजना का मकसद केवल कानूनी मदद देना नहीं, बल्कि सैनिकों के सम्मान को संस्थागत रूप से संरक्षित करना भी है।
जस्टिस सूर्यकांत के नेतृत्व में नालसा ने रखा मानवीय न्याय का मील का पत्थर
इस योजना के सूत्रधार रहे सुप्रीम कोर्ट के न्यायाधीश और NALSA के कार्यकारी अध्यक्ष न्यायमूर्ति सूर्यकांत, जो जल्द ही भारत के मुख्य न्यायाधीश बनने जा रहे हैं। ऑपरेशन सिंदूर में सशस्त्र बलों की वीरता से प्रेरित होकर उन्होंने इस योजना को आकार दिया है। उनकी सोच थी कि यदि सैनिक देश की रक्षा कर रहे हैं, तो न्यायपालिका उनकी पारिवारिक सुरक्षा की जिम्मेदारी निभाए।
अब सैनिक नहीं होंगे कानूनी मामलों में अकेले, मिलेगा देशभर में प्रतिनिधित्व
जब कोई सैनिक देश की सीमाओं पर तैनात होता है, तब उसे व्यक्तिगत कानूनी मामलों में अदालतों में पेश होना लगभग असंभव हो जाता है। कई बार जमीन के विवाद, संपत्ति के बंटवारे या घरेलू विवादों में उनकी अनुपस्थिति की वजह से फैसला उनके खिलाफ हो जाता है। यह योजना ऐसे मामलों में NALSA की ओर से स्थानीय स्तर पर कानूनी प्रतिनिधि उपलब्ध कराएगी, जो परिवार के पक्ष में केस को मजबूती से लड़ सकें।
बीएसएफ से सीआरपीएफ, सभी अर्धसैनिक बलों को मिलेगा योजना का लाभ
इस योजना की सबसे बड़ी खूबी है कि यह सिर्फ सेना तक सीमित नहीं है, बल्कि बीएसएफ, सीआरपीएफ, आईटीबीपी और एसएसबी जैसे अर्धसैनिक बलों के जवानों को भी शामिल करती है। जो अक्सर कठिन और दूरस्थ इलाकों में तैनात होते हैं। इन्हें भी कानूनी मामलों में वही सुविधा मिलेगी जो नियमित सैनिकों को दी जाएगी।
वीर नारियों के लिए अलग सेल, विधवाओं को मिलेगा न्याय का साथ
सैनिकों की विधवाएं या वीर नारियां, जो अक्सर संपत्ति विवाद या पुनर्विवाह संबंधित कानूनी पेच में फंस जाती हैं, अब अकेली नहीं रहेंगी। योजना में इनके लिए विशेष सहायता प्रकोष्ठ की व्यवस्था की गई है, जहां वे बिना किसी शुल्क के वकीलों से मदद ले सकती हैं और केस की जानकारी प्राप्त कर सकती हैं।
डिजिटल फाइलिंग और वीडियो काउंसलिंग से दूरियों की चुनौती खत्म
तकनीक के उपयोग से इस योजना को सैनिकों की जरूरत के अनुसार ढाला गया है। सैनिकों के परिवार अब डिजिटल सुविधा के माध्यम से ऑनलाइन केस स्टेटस ट्रैक कर सकते हैं, वीडियो काउंसलिंग के माध्यम से वकील से जुड़ सकते हैं और ज़रूरत पड़ने पर केस की फाइलिंग भी डिजिटल तरीके से कर सकते हैं। इससे अब सैनिक चाहे कहीं भी तैनात हो, उनका परिवार कानून की पहुंच से दूर नहीं होगा।
योजना के जरिए कानूनी जागरूकता को भी मिलेगा बढ़ावा
सिर्फ सहायता ही नहीं, बल्कि योजना के तहत नालसा की टीमें गांवों और सैन्य परिवारों के क्षेत्रों में जाकर जागरूकता शिविर आयोजित करेंगी। इसमें उन्हें बताया जाएगा कि वे किन परिस्थितियों में सहायता ले सकते हैं, कौन-कौन से दस्तावेज़ जरूरी हैं और कानूनी कार्रवाई का समयबद्ध तरीका क्या होता है।
फास्ट ट्रैक कोर्ट्स और त्वरित सुनवाई का भी रहेगा प्रावधान
जिन मामलों में सैनिकों के परिवार शामिल हैं, उन्हें अब फास्ट ट्रैक मोड में कोर्ट में सुना जाएगा। इसके लिए न्यायालयों को विशेष निर्देश जारी किए जा रहे हैं ताकि मामले लंबित न रहें और सैनिक सेवा के दौरान तनाव मुक्त रह सकें।
NALSA की भावी रणनीति में क्या-क्या शामिल है
भविष्य में नालसा इस योजना को और सुदृढ़ करने के लिए कई कदम उठाने जा रहा है। इसमें हर राज्य में वीर परिवार कानून सहायता केंद्र, 24x7 हेल्पलाइन पोर्टल और राज्यवार पैनल लॉयर सिस्टम जैसी पहलें शामिल हैं। जिससे कानूनी सहायता एक फोन कॉल या क्लिक की दूरी पर हो जाएगी।
न्यायपालिका का नया चेहरा- संवेदनशील, सक्रिय और सशक्त
अब तक न्यायपालिका को अकसर धीमे और औपचारिक तंत्र के रूप में देखा जाता रहा है, लेकिन नालसा वीर परिवार सहायता योजना ने इस छवि को बदल दिया है। यह न्यायपालिका की संवेदनशीलता और सामाजिक जिम्मेदारी का प्रतीक बन गई है। जहां सिस्टम खुद सैनिकों की समस्याएं समझकर पहल करता है। जब एक सैनिक जान की बाजी लगाकर देश की रक्षा करता है, तो न्यायपालिका उसकी पीठ थपथपाने के बजाय उसका हाथ थामेगी। यानी नालसा वीर परिवार सहायता योजना 2025 न केवल कानूनी प्रक्रिया को सुगम बनाएगी, बल्कि देश के सैनिकों में यह भरोसा भी जगाएगी कि अब वे अकेले नहीं हैं।
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