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अब अरविंद केजरीवाल ने मांगा नोबेल पुरस्कार, LG की अड़ंगे लगाने के बावजूद दिल्ली का विकास करने पर की मांग

दिल्ली के पूर्व सीएम अरविंद केजरीवाल ने एक कार्यक्रम में खुद को नोबेल पुरस्कार का हकदार बताया। उन्होंने कहा कि एलजी की बाधाओं के बावजूद उनकी सरकार ने दिल्ली में बेहतरीन काम किए हैं। केजरीवाल ने बीजेपी पर दिल्ली की बदहाली का आरोप भी लगाया।

Shivam Srivastava
Published on: 8 July 2025 9:37 PM IST
Delhi Election Results Looser Party AAP Arvind Kejriwal Political Future Analysis
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Delhi Election Results Looser Party AAP Arvind Kejriwal Political Future Analysis

मंगलवार को आम आदमी पार्टी के संयोजक और दिल्ली के पूर्व मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने कहा कि दिल्ली की जनता को आज उनकी पार्टी की अहमियत समझ में आ रही है। उन्होंने आरोप लगाया कि बीजेपी ने चार महीनों में दिल्ली की हालत खराब कर दी है। मोहल्ला क्लिनिक बंद किए जा रहे हैं। अस्पतालों में मुफ्त दवाएं और टेस्ट की सुविधा बंद हो गई है। और चारों ओर गंदगी फैल गई है।

हर मंत्री ने अपनी दुकान खोल रखी है

केजरीवाल ने पंजाब के मोहाली में एक सभा को संबोधित करते हुए बिजली कटौती पर भी चिंता जताई। उन्होंने कहा, दिल्ली में जहां पहले सात साल तक बिजली कटौती नहीं हुई। वहीं, अब छह-छह घंटे के पावर कट हो रहे हैं। यह लापरवाही नहीं खराब नीयत का नतीजा है। हर मंत्री अपनी कमाई में लगा है। जनता की फिक्र किसी को नहीं।

LG के बावजूद दिल्ली में किए काम, इसके लिए नोबेल मिलना चाहिए

पूर्व मुख्यमंत्री ने कहा, हमारी सरकार को पूरी आजादी से काम नहीं करने दिया गया। फिर भी हमने काम किए। मुझे तो लगता है कि मुझे नोबेल पुरस्कार मिलना चाहिए कि इतने रूकावटों के बावजूद दिल्ली में बदलाव ला पाये।

2013 के बिजली आंदोलन की याद दिलाई

केजरीवाल ने कहा कि 2013 में उन्होंने बिजली संकट को लेकर 15 दिनों तक अनशन किया था। लोगों के हजारों रुपये के बिजली बिल आते थे लेकिन सप्लाई नहीं होती थी। उन्होंने बताया कि वह खुद खंभे पर चढ़कर तार जोड़ते थे।

हमने तय किया था आम आदमी की जरूरतों को प्राथमिकता देंगे

उन्होंने कहा कि उनकी सरकार ने तय किया कि हर परिवार को 200 यूनिट मुफ्त बिजली और 20 हजार लीटर मुफ्त पानी मिलेगा। साथ ही शिक्षा और स्वास्थ्य को प्राथमिकता दी गई। केजरीवाल ने दावा किया कि उनकी सरकार ने देश में बहस की दिशा ही बदल दी। जो कभी निजीकरण की बात करते थे। अब वे भी सरकारी स्कूल और अस्पतालों की चर्चा कर रहे हैं।

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