राज ही रहेगी PM मोदी की डिग्री! HC का बड़ा फैसला, CIC को लगाई फटकार

PM Modi degree case: दिल्ली हाई कोर्ट ने पीएम मोदी की डिग्री से जुड़ी जानकारी सार्वजनिक करने के CIC आदेश को रद्द कर दिया। कोर्ट ने निजता के अधिकार को RTI के ऊपर रखते हुए बड़ा फैसला सुनाया।

Harsh Srivastava
Published on: 25 Aug 2025 3:40 PM IST (Updated on: 25 Aug 2025 5:24 PM IST)
राज ही रहेगी PM मोदी की डिग्री! HC का बड़ा फैसला, CIC को लगाई फटकार
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PM Modi degree case: दिल्ली के राजनीतिक गलियारों में उस समय हलचल मच गई, जब दिल्ली हाई कोर्ट ने एक महत्वपूर्ण फैसले में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की डिग्री से जुड़ी जानकारी सार्वजनिक करने के केंद्रीय सूचना आयोग (CIC) के आदेश को पलट दिया। यह मामला, जो सालों से बहस का विषय बना हुआ था, एक नए मोड़ पर आ गया है। इस फैसले ने न केवल सूचना के अधिकार (RTI) और निजता के अधिकार के बीच की बहस को फिर से हवा दी है, बल्कि राजनीतिक आरोपों और कानूनी दाँव-पेंच की एक नई कहानी भी लिख दी है।

दिल्ली यूनिवर्सिटी और CIC के बीच कानूनी जंग

दरअसल, यह पूरा मामला 2016 में तब शुरू हुआ, जब दिल्ली के तत्कालीन मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने प्रधानमंत्री मोदी से अपनी शैक्षणिक डिग्री सार्वजनिक करने की मांग की थी। इसके बाद एक RTI आवेदक, नीरज शर्मा, ने दिल्ली विश्वविद्यालय से 1978 में BA पास करने वाले सभी छात्रों के रिकॉर्ड मांगे, क्योंकि प्रधानमंत्री मोदी ने अपने चुनावी हलफनामे में इसी साल दिल्ली विश्वविद्यालय से BA (राजनीति विज्ञान) में स्नातक होने की घोषणा की थी।

विश्वविद्यालय ने यह जानकारी देने से इनकार कर दिया, यह कहते हुए कि यह 'निजी' जानकारी है और इसका 'सार्वजनिक हित' से कोई लेना-देना नहीं है। इसके बाद, मामला CIC के पास पहुँचा, जिसने दिसंबर 2016 में एक आदेश जारी कर दिल्ली विश्वविद्यालय को 1978 में BA पास करने वाले छात्रों का रजिस्टर सार्वजनिक करने का निर्देश दिया।

हाई कोर्ट में दिल्ली विश्वविद्यालय की अपील

जनवरी 2017 में, दिल्ली विश्वविद्यालय ने CIC के इस आदेश को दिल्ली हाई कोर्ट में चुनौती दी। विश्वविद्यालय की ओर से पेश हुए सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने दलील दी कि CIC का आदेश दूरगामी और नकारात्मक परिणाम वाला है। उन्होंने कहा कि देश के सभी विश्वविद्यालय अपने करोड़ों छात्रों की डिग्री का विवरण एक 'न्यासी क्षमता' (Fiduciary Capacity) में रखते हैं, और ऐसी जानकारी को सार्वजनिक करने से निजता के अधिकार का हनन होगा।

तुषार मेहता ने अपनी दलील में कहा कि 'जानने का अधिकार' एक असीमित अधिकार नहीं है। उन्होंने पुट्टस्वामी मामले का हवाला देते हुए कहा कि निजता का अधिकार अनुच्छेद 21 के तहत संरक्षित है और यह 'जानने के अधिकार' से ऊपर है। उन्होंने यह भी तर्क दिया कि RTI कानून का इस्तेमाल निजी जानकारी मांगने के लिए नहीं किया जा सकता, खासकर जब इसका उपयोग किसी राजनीतिक उद्देश्य के लिए किया जा रहा हो। मेहता ने RTI आवेदकों पर भी निशाना साधा और कहा कि वे इस कानून का मज़ाक बना रहे हैं। उन्होंने कहा कि अगर ऐसे आवेदन स्वीकार किए जाते रहे, तो सार्वजनिक प्राधिकरणों के लिए काम करना मुश्किल हो जाएगा, क्योंकि अधिकारी पुराने दस्तावेज़ों को खोजने में ही व्यस्त रहेंगे।

RTI आवेदक की दलीलें और अदालत का फैसला

दूसरी ओर, RTI आवेदक के वकील, वरिष्ठ अधिवक्ता संजय हेगड़े ने दिल्ली विश्वविद्यालय के इस दावे का खंडन किया कि वे छात्रों की जानकारी 'न्यासी क्षमता' में रखते हैं। उन्होंने तर्क दिया कि डिग्री से संबंधित जानकारी सार्वजनिक डोमेन में होती है और सूचना तक पहुँच आम आदमी या किसी हस्ती, दोनों के लिए समान रूप से उपलब्ध होनी चाहिए। हेगड़े ने कहा कि एक सूचना अधिकारी को यह देखना होता है कि जानकारी के खुलासे से सार्वजनिक भलाई होगी या नुकसान।

दोनों पक्षों की दलीलें सुनने के बाद, न्यायमूर्ति सचिन दत्ता की एकल-पीठ ने अपना फैसला सुनाया। उन्होंने दिल्ली विश्वविद्यालय की अपील को स्वीकार करते हुए CIC के आदेश को रद्द कर दिया। इस फैसले के बाद, प्रधानमंत्री मोदी की शैक्षणिक डिग्री से जुड़ी जानकारी सार्वजनिक करने का रास्ता फिलहाल बंद हो गया है।

राजनीतिक और कानूनी निहितार्थ

दिल्ली हाई कोर्ट का यह फैसला कई सवाल खड़े करता है। क्या यह फैसला निजता के अधिकार को मजबूत करता है, या फिर यह पारदर्शिता और जवाबदेही की मांग को कमज़ोर करता है? विपक्षी दल इस मुद्दे को राजनीतिक हथियार के रूप में इस्तेमाल करते रहे हैं, और इस फैसले के बाद यह बहस और भी तेज हो सकती है। वहीं, सरकार और उसके समर्थक इसे निजता की जीत और RTI के दुरुपयोग को रोकने का एक कदम मान रहे हैं। यह देखना दिलचस्प होगा कि यह कानूनी लड़ाई यहीं खत्म होती है या इसे आगे भी चुनौती दी जाएगी।

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Harsh Shrivastava is an enthusiastic journalist who has been actively writing content for the past one year. He has a special interest in crime, politics and entertainment news. With his deep understanding and research approach, he strives to uncover ground realities and deliver accurate information to readers. His articles reflect objectivity and factual analysis, which make him a credible journalist.

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