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Rahul Gandhi Case: 'सुप्रीम' राहुल बाबा! तो अब सुप्रीम कोर्ट की ही नहीं सुनेंगे... राहुल गांधी पर किरेन रिजिजू का बड़ा प्रश्नचिन्ह
Rahul Gandhi defamation case: कांग्रेस के नेता और लोकसभा में विपक्ष के प्रमुख चेहरा राहुल गांधी एक बार फिर चर्चा में हैं। कारण है उनका वो बयान जो उन्होंने 2023 की ‘भारत जोड़ो यात्रा’ के दौरान दिया था।
Rahul Gandhi defamation case: राजनीति का पारा चढ़ा हुआ है संसद गरम है और सोशल मीडिया पर सियासी बयानबाज़ी अपने चरम पर है। लेकिन इस बार चर्चा संसद के गलियारों में नहीं बल्कि देश की सबसे बड़ी अदालत से निकली एक तीखी टिप्पणी को लेकर है और उसका निशाना हैं कांग्रेस नेता राहुल गांधी।
सुप्रीम कोर्ट की फटकार और राहुल गांधी की मुश्किलें
कांग्रेस के नेता और लोकसभा में विपक्ष के प्रमुख चेहरा राहुल गांधी एक बार फिर चर्चा में हैं। कारण है उनका वो बयान जो उन्होंने 2023 की ‘भारत जोड़ो यात्रा’ के दौरान दिया था। राहुल ने दावा किया था कि एक रिटायर्ड फौजी ने उन्हें बताया कि चीन ने भारत की करीब 2000 वर्ग किलोमीटर जमीन पर कब्जा कर लिया है। यह बयान केवल एक राजनीतिक भाषण नहीं रहा बल्कि उस पर मानहानि का मुकदमा भी हुआ और मामला अब सुप्रीम कोर्ट तक जा पहुंचा है। जब सुप्रीम कोर्ट में राहुल की याचिका पर सुनवाई हुई तो अदालत ने बिना लाग-लपेट के कड़ी टिप्पणी कर दी। जजों ने पूछा कि उन्हें ये जानकारी किसने दी? क्या उन्होंने कोई सबूत पेश किया? और सबसे अहम बात "अगर आप सच्चे भारतीय हैं तो ऐसा बयान देना शोभा नहीं देता"। कोर्ट ने राहुल गांधी को यह भी कहा कि अगर उनके पास इतने गंभीर आरोप हैं तो उन्हें संसद में पूछना चाहिए सुप्रीम कोर्ट को क्यों घसीटा गया?।
रिजिजू ने किया तीखा हमला “फाल्स नैरेटिव फैलाना बंद करें राहुल”
कोर्ट की यह टिप्पणी आई और उसके तुरंत बाद देश के संसदीय कार्य मंत्री किरेन रिजिजू मैदान में उतर आए। उन्होंने सोशल मीडिया पर आग उगलते हुए राहुल गांधी पर करारा वार किया। रिजिजू ने अपने पुराने संसद भाषण का वीडियो पोस्ट किया जिसमें उन्होंने यह साफ-साफ कहा था कि “1962 के बाद चीन ने अरुणाचल प्रदेश में एक इंच भी जमीन नहीं ली है।” रिजिजू ने अपने पोस्ट में लिखा कि राहुल गांधी जैसे नेता जब भारत की संप्रभुता को लेकर झूठे नैरेटिव फैलाते हैं तो इससे सिर्फ देश की छवि को नुकसान होता है। उन्होंने कहा “सुप्रीम कोर्ट ने राहुल गांधी को सिखाया है समझाया है। लेकिन अगर राहुल गांधी कोर्ट की बात भी नहीं मानते तो फिर उनकी बातों को कोई गंभीरता से क्यों ले?”
“डर के बिना बोलने वाला बस एक है – राहुल गांधी”
रिजिजू के इस हमले के जवाब में कांग्रेस ने भी चुप्पी नहीं साधी। कांग्रेस के वरिष्ठ राज्यसभा सांसद प्रमोद तिवारी ने मीडिया से बात करते हुए कहा “मैं सुप्रीम कोर्ट की टिप्पणी पर कुछ नहीं कहूंगा लेकिन आज के भारत में अगर कोई शख्स बिना डरे सरकार के खिलाफ आवाज उठा रहा है तो वो राहुल गांधी हैं। हमें अपने नेता पर गर्व है।” यह बयान कांग्रेस की उस रणनीति का हिस्सा है जिसमें वह राहुल गांधी को एक साहसी और ‘बोलने वाले विपक्ष’ के प्रतीक के तौर पर प्रोजेक्ट कर रही है। लेकिन सवाल यही है क्या कोर्ट की बात को नजरअंदाज करना ‘साहस’ है या ‘अहंकार’?।
भारत-चीन सीमा विवाद या राजनीतिक बिसात?
राहुल गांधी का यह बयान जिस विषय पर था वह कोई मामूली मुद्दा नहीं है। भारत और चीन के बीच सीमा विवाद एक संवेदनशील और राष्ट्रीय सुरक्षा से जुड़ा मामला है। अगर वाकई चीन ने जमीन कब्जाई है तो यह बेहद गंभीर आरोप है और अगर यह सिर्फ एक राजनीतिक स्टंट था तो यह भी उतना ही खतरनाक। सुप्रीम कोर्ट की सख्ती ने इस मामले को अब केवल मानहानि की सीमा से बाहर निकाल दिया है। यह मामला अब राजनीतिक जवाबदेही देशभक्ति और संवैधानिक गरिमा का मुद्दा बन चुका है।
अब क्या राहुल खुद संसद में पूछेंगे सवाल?
सुप्रीम कोर्ट ने साफ किया है कि राहुल गांधी अगर विपक्ष के नेता हैं तो उन्हें संसद का इस्तेमाल करना चाहिए कोर्ट का नहीं। यह एक साफ संदेश है कि लोकतंत्र में हर संस्था की सीमा है और हर नेता की भी। अब देखना यह होगा कि राहुल गांधी इस संदेश को कैसे लेते हैं? क्या वह संसद में सवाल पूछेंगे? क्या उनके पास कोई ठोस सबूत हैं? या यह मुद्दा भी आने वाले चुनावी मौसम का एक और शोर बनकर रह जाएगा?।
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