TRENDING TAGS :
Supreme Court on Rahul Gandhi: सुप्रीम कोर्ट ने राहुल गांधी को लगाई जमकर फटकार! जानिए लाइन बाय लाइन पूरी सुनवाई
Supreme Court on Rahul Gandhi: सोमवार को कांग्रेस पार्टी के लीडर, सांसद और लोकसभा में विपक्ष के नेता राहुल गांधी के खिलाफ आपराधिक मानहानि के मामले में सुप्रीम कोर्ट ने बहुत कड़ी टिप्पणी की। इस मामले में सुनवाई कर रहे जस्टिस दीपांकर दत्ता और जस्टिस AG मसीह की पीठ ने राहुल के बयान पर असहमति जताई।
Supreme Court on Rahul Gandhi (photo credit: social media)
Supreme Court on Rahul Gandhi: आज 04 अगस्त यानी सोमवार को कांग्रेस पार्टी के लीडर, सांसद और लोकसभा में विपक्ष के नेता राहुल गांधी के खिलाफ आपराधिक मानहानि के मामले में सुप्रीम कोर्ट ने बहुत कड़ी टिप्पणी की। इस मामले में सुनवाई कर रहे जस्टिस दीपांकर दत्ता और जस्टिस AG मसीह की पीठ ने राहुल के बयान पर असहमति जताई।
राहुल गांधी की ओर से सीनियर वकील डॉ. अभिषेक मनु सिंघवी ने मामले में सुनवाई की शुरुआत की। उन्होंने दलील दी कि यदि कोई विपक्षी नेता किसी मुद्दे पर सवाल खड़े नहीं कर सकता, तो यह दुर्भाग्यपूर्ण स्थिति होगी। यदि प्रेस में छपी बातें भी नहीं बोली जा सकती तो विपक्ष के नेता नहीं हो सकते। इस पर जस्टिस दत्ता ने कहा कि आपको (राहुल) जो कुछ भी कहना है, संसद में क्यों नहीं पेश करते? आपको सिर्फ सोशल मीडिया पर यह सब क्यों कहना है?
राहुल गांधी की टिप्पणियों पर और ज्यादा और कड़े तौर पर असहमति जताते हुए जस्टिस दत्ता ने पूछा: डॉ. सिंघवी आप बताइए, आपको किस प्रकार मालूम पड़ा कि 2000 वर्ग किलोमीटर भारतीय क्षेत्र पर चीनियों ने कब्जा जमाया है? क्या आपके पास कोई भरोसेमंद सामग्री है? आप बिना किसी सबूत के ये बयान क्यों दे सकते हैं। यदि आप एक सच्चे भारतीय होते तो आप यह सब कभी नहीं कहते।
सिंघवी: एक सच्चा भारतीय कहे कि हमारे 20 भारतीय सैनिकों को पीटा गया और मौत के घाट उतार दिया गया और यह चिंता का विषय है।
जस्टिस दत्ता: जब संघर्ष होता है तो क्या दोनों पक्षों में हताहत होना असाधारण बात है?
सिंघवी: राहुल गांधी सिर्फ सही खुलासे और जानकारी के दम पर चिंता जता रहे थे।
जस्टिस दत्ता: सवाल उठाने के लिए एक सही मंच मौजूद है?
सिंघवी: याचिकाकर्ता अपनी टिप्पणियों को सही तरीके से व्यक्त कर सकते थे। यह शिकायत सर्फ सवाल खड़ा करने के लिए उन्हें परेशान करने की एक कोशिश है। सवाल पूछना एक विपक्षी नेता का अधिकार है। धारा 223 BNSS के अनुसार किसी आपराधिक शिकायत का संज्ञान लेने से पहले अभियुक्त की पूर्व सुनवाई आवश्यक है, जिसका इस मामले में पालन नहीं किया गया है।
जस्टिस दत्ता: धारा 223 का यह विषय हाई कोर्ट के सामने नहीं उठाया गया था।
सिंघवी ने माना कि इस मुद्दे को उठाने में भूल हुई।
सिंघवी: हाई कोर्ट में चुनौती मुख्य रूप से शिकायतकर्ता के हक़ क्षेत्र पर केंद्रित थी। सिंघवी ने उच्च न्यायालय के इस तर्क पर सवाल खड़ा किया कि शिकायतकर्ता हालांकि पीड़ित व्यक्ति नहीं है, लेकिन अपमानित व्यक्ति है। आखिरकार पीठ इस बिंदु पर विचार करने के लिए मान गई और इलाहाबाद हाई कोर्ट के उस फैसले को चुनौती देने वाली राहुल की विशेष मंजूरी याचिका पर नोटिस जारी किया। इस याचिका में कार्यवाही रद्द करने से साफ़ मना कर दिया गया था। हालांकि, सुप्रीम कोर्ट ने इस पर तीन सप्ताह की अवधि के लिए अंतरिम रोक लगा दी गई है।
शिकायतकर्ता की ओर से थे ये वकील
शिकायतकर्ता की ओर से इस मामले में सीनियर वकील गौरव भाटिया कैविएट पर उपस्थित हुए थे। 29 मई को इलाहाबाद हाई कोर्ट ने राहुल गांधी की याचिका खारिज कर दी थी। राहुल ने मानहानि के मामले के साथ-साथ लखनऊ की MP MLA कोर्ट के फरवरी 2025 में पारित समन आदेश को चुनौती देते हुए हाई कोर्ट का रुख किया था।
कब किया था राहुल गांधी ने टिप्पणी ?
हाई कोर्ट के जस्टिस सुभाष विद्यार्थी ने कहा था कि भाषण और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता में भारतीय सेना के प्रति अपमानजनक बयान देने की स्वतंत्रता शामिल नहीं है। सीमा सड़क संगठन (BRO) के पूर्व निदेशक उदय शंकर श्रीवास्तव की ओर से दायर और वर्तमान में लखनऊ की एक अदालत में लंबित मानहानि की शिकायत में कहा गया कि राहुल गांधी ने अपमानजनक टिप्पणी 16 दिसंबर, साल 2022 को उनकी भारत जोड़ो यात्रा के दौरान की थी। अब सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले में कार्यवाही पर रोक लगाकर राहुल गांधी को राहत दे दिया है।
AI Assistant
Online👋 Welcome!
I'm your AI assistant. Feel free to ask me anything!