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Monsoon Session: "नेता नहीं, ड्रामा आर्टिस्ट हैं राहुल!" BJP का सीधा हमला, राहुल का जवाब—"माइक बंद, लोकतंत्र बंद!" संसद में पहले ही दिन छिड़ी आर-पार की जंग!
Rahul Gandhi Vs BJP: संसद के मानसून सत्र की शुरुआत में ही राहुल गांधी और बीजेपी आमने-सामने आ गए। राहुल ने लगाया माइक बंद करने का आरोप, तो बीजेपी ने कहा—"ये स्क्रिप्टेड ड्रामा है"।
Rahul Gandhi Vs BJP: संसद का मानसून सत्र शुरू होते ही ऐसा तूफान आया कि सवालों के जवाब नहीं, सिर्फ आरोप-प्रत्यारोप गूंजते रहे। लोकसभा और राज्यसभा,दोनों सदनों में सोमवार को जो हुआ, वो सिर्फ कार्यवाही नहीं, बल्कि सियासी रणभूमि की पहली झलक थी। देश के सबसे बड़े लोकतांत्रिक मंच पर पहले ही दिन जब राहुल गांधी खड़े हुए तो शब्द नहीं, सियासी साज़िशों के आरोप बरस पड़े। और जवाब में सत्ता पक्ष ने जो पलटवार किया, उसने संसद को टीवी डिबेट में तब्दील कर दिया।
"मुझे बोलने नहीं दिया जाता"
सत्र की शुरुआत के कुछ ही मिनटों में विपक्ष का रुख साफ हो गया,पहलगाम आतंकी हमला, ऑपरेशन सिंदूर, सेना की सुरक्षा, और केंद्र की ‘चुप्पी’। लेकिन सबसे ज्यादा ध्यान खींचा राहुल गांधी के उस बयान ने, जिसने मीडिया हेडलाइंस को पल में बदल डाला। संसद से बाहर आते ही राहुल गांधी ने कहा, “मैं नेता प्रतिपक्ष हूं, मेरा संवैधानिक हक है बोलने का, लेकिन जब भी बोलने उठता हूं,माइक बंद, चेहरा बंद, संसद बंद।” उन्होंने आगे कहा, “ये कोई लोकतंत्र नहीं रहा। सरकार को बस एकतरफा बयानबाज़ी करनी है। रक्षा मंत्री बोलेंगे, प्रधानमंत्री बोलेंगे, लेकिन विपक्ष की बात? बिल्कुल नहीं।” राहुल का ये बयान सोशल मीडिया पर आग की तरह फैल गया। ट्विटर पर #BolneDoRahul ट्रेंड करने लगा, और कांग्रेस नेताओं ने इसे ‘लोकतंत्र की हत्या’ बताया।
बीजेपी का पलटवार, "आपने खुद ही संसद को नाटक बना दिया"
लेकिन बीजेपी ने भी देर नहीं लगाई। जिस तरह से सांसद जगदंबिका पाल ने पलटवार किया, वो बता रहा था कि ये सत्र कितना तूफानी होने वाला है। ANI से बातचीत में उन्होंने कहा, “मैं खुद उस समय सदन में था। राहुल गांधी को मैंने बोलने का पूरा मौका दिया। मैंने साफ कहा,आप नेता प्रतिपक्ष हैं, लेकिन आपकी पार्टी के लोग वेल में खड़े होकर नारेबाज़ी कर रहे हैं। ऐसे में आप दूसरों को कैसे दोष दे सकते हैं?” जगदंबिका पाल ने तीखे शब्दों में कहा, “विपक्ष एक रणनीति के तहत हर बार हंगामा करता है, ताकि संसद चले ही नहीं। और फिर बाहर आकर कहते हैं,'हमें बोलने नहीं दिया गया'। ये सिर्फ स्क्रिप्टेड ड्रामा है।”
मानसून सत्र बना मानसून संकट?
ये सत्र वैसे भी कई वजहों से बेहद संवेदनशील माना जा रहा है। ऑपरेशन सिंदूर के तहत हाल ही में भारत ने पाकिस्तान में घुसकर आतंकियों के ठिकाने तबाह किए हैं। उधर, पहलगाम में सेना के काफिले पर हमले ने एक बार फिर सरकार की सुरक्षा नीति को सवालों के घेरे में ला दिया है। ऐसे में संसद में बहस होना लाज़मी था, लेकिन जब पहले ही दिन विपक्ष वेल में उतर आया, तो सरकार ने भी इसे ‘पूर्व नियोजित तमाशा’ करार दिया। सरकारी सूत्रों के मुताबिक, बिजनेस एडवाइजरी कमेटी की बैठक में पहले ही तय हो चुका था कि सभी मुद्दों पर चर्चा होगी, लेकिन विपक्ष चर्चा से पहले हंगामा कर सियासी लाभ उठाना चाहता था।
जनता देख रही है,डिबेट या ड्रामा?
एक तरफ टीवी स्क्रीन पर राहुल गांधी की पीड़ा चल रही थी,"मुझे बोलने नहीं दिया जा रहा", वहीं दूसरी स्क्रीन पर बीजेपी नेताओं का गुस्सा,"नेता प्रतिपक्ष को नियम नहीं आते?"। संसद के बाहर सड़कों से लेकर सोशल मीडिया तक, हर जगह इस सियासी संग्राम की झलक मिल रही थी। आम जनता भी अब पूछने लगी है,क्या संसद सिर्फ हंगामे का मंच बनकर रह गई है?
आगे क्या होगा?
जानकार मानते हैं कि ये सिर्फ शुरुआत है। मानसून सत्र अभी लंबा चलना है, और मुद्दों की सूची लंबी है,महंगाई, बेरोज़गारी, राष्ट्रीय सुरक्षा, विदेश नीति से लेकर UCC और डेटा प्रोटेक्शन बिल तक। अगर पहले ही दिन संसद ध्वनि और विरोध की जंग में फंस गई है, तो आगे आने वाले दिन और ज्यादा तनावपूर्ण हो सकते हैं। एक वरिष्ठ पत्रकार ने कहा, “यह संसद नहीं, 2029 की तैयारी है। हर नेता अब जनता के सामने खुद को सबसे बड़ा ‘वॉरियर’ साबित करना चाहता है। कोई ‘शहीद’ की भूमिका में है, तो कोई ‘रक्षक’ बनने की कोशिश में।” संसद का मानसून सत्र शुरू नहीं हुआ, फट पड़ा है और जब केंद्र और विपक्ष आमने-सामने हों, तो लोकतंत्र की गूंज नहीं, सियासी शोर ही सुनाई देता है।
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