सुप्रीम कोर्ट ने इथेनॉल मिक्स पेट्रोल पर लगा दी मुहर, विकल्प देने की मांग ख़ारिज

में 20 फीसदी इथेनॉल मिक्सिंग के खिलाफ दायर एक जनहित याचिका को खारिज कर दिया है

Manu Shukla
Published on: 1 Sept 2025 3:51 PM IST
ethenol mixed petrol
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Supreme court refuses Ethenol mixed petrol 

Supreme Court News: पेट्रोल में 20 फीसदी इथेनॉल मिक्सिंग के खिलाफ दायर एक जनहित याचिका को सुप्रीम कोर्ट ने सिरे से ख़ारिज कर दिया है। याचिका में लोगों को बिना इथेनॉल वाला पेट्रोल चुनने का विकल्प देने की मांग की गयी थी। चीफ जस्टिस बीआर गवई और जस्टिस के विनोद चंद्रन की पीठ के सामने जब याचिका पर बहस हुई तो केंद्र सरकार ने याचिका का विरोध किया और पेट्रोल में इथेनॉल मिलाने का बचाव करते हुए दावा किया कि इथेनॉल से गन्ना किसानों को फायदा पहुँचता है। इसके अलावा सरकार ने याचिकाकर्ता की विश्वसनीयता पर भी सवाल उठाए और उसके पीछे एक बड़ी लॉबी का हाथ होने का आरोप लगाया।

क्या कहा गया था याचिका में?

यह याचिका अधिवक्ता अक्षय मल्होत्रा ने दायर की थी जिन्होंने तर्क दिया था कि अप्रैल 2023 से पहले भारत में निर्मित वाहन इथेनॉल मिक्स पेट्रोल के अनुकूल नहीं हैं। उन्होंने ये भी कहा था कि दो साल पुराने वाहन भले ही बीएस-VI मानकों के अनुरूप हैं लेकिन वे भी 20 फीसदी इथेनॉल मिक्स पेट्रोल (ई-20) के लायक नहीं हैं। याचिकाकर्ता की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता शादान फरासत ने दलील दी कि उपभोक्ताओं को बिना मिक्सिंग वाला ईंधन चुनने का विकल्प दिया जाना चाहिए। उन्होंने तर्क दिया - हमें विकल्प दिया जाना चाहिए कि हम क्या चाहते हैं। हम 20 फीसदी मिक्सिंग के खिलाफ नहीं हैं, लेकिन कम से कम तेल कंपनियों को ये तो बताना चाहिए कि यह सही है। कुछ वाहन इसके अनुरूप नहीं हैं। सिर्फ अप्रैल 2023 के बाद आए वाहन ही ई-20 को सहन कर सकते हैं।

फरासत ने कहा, ई-20 अच्छी चीज है लेकिन लेकिन कारों को इंजन कैलिब्रेशन के साथ-साथ उनके अनुकूल भी बनाया जाना चाहिए। मौजूदा ग्राहकों के लिए अब ई10 पेट्रोल उपलब्ध ही नहीं है और हम इसे चुनौती दे रहे हैं। हमें विकल्प चाहिए। याचिका में आरोप लगाया गया है कि ऑटोमोबाइल निर्माताओं और अनुसंधान संस्थाओं की रिपोर्टों के अनुसार, इथेनॉल मिक्सचर से इंजन के पुर्जों में खराबी आती है, ईंधन की दक्षता कम होती है और वाहनों में समय से पहले ही टूट-फूट हो जाती है। ये भी कहा गया कि इस तरह के किसी भी नुकसान को बीमा द्वारा कवर नहीं किया जाता है।

याचिका में बताया गया कि अमेरिका में, 10 प्रतिशत तक इथेनॉल मिश्रित पेट्रोल मानक है, लेकिन बिना इथेनॉल वाला पेट्रोल भी उपलब्ध है और यूरोपीय संघ में, 5 प्रतिशत और 10 प्रतिशत के मिक्सचर स्पष्ट लेबलिंग के साथ उपलब्ध होते हैं।

याचिका में आरोप लगाया गया कि - भारत में उपभोक्ताओं को सूचित किए बिना सिर्फ इथेनॉल मिक्स पेट्रोल ही जनता को बिना किसी लेबलिंग या ईंधन की संरचना के प्रदर्शन के उपलब्ध कराया जाता है।" याचिकाकर्ता ने सभी पेट्रोल पम्पों पर बिना इथेनॉल वाले पेट्रोल की उपलब्धता सुनिश्चित करने, इथेनॉल सामग्री की अनिवार्य लेबलिंग, उपभोक्ता कानून को लागू करने और ई20 के इस्तेमाल के चलते वाहनों की खराबी पर स्टडी करने के लिए निर्देश देने की मांग की।

शादान फरासत ने नीति आयोग की 2021 की एक रिपोर्ट का हवाला दिया, जिसमें उन्होंने कहा कि ई20 मानकों के अनुरूप न होने वाले पुराने वाहनों के प्रभाव के बारे में चिंता व्यक्त की गई है। उन्होंने ई-20 के उपयोग के कारण ईंधन दक्षता में 6% की गिरावट से संबंधित रिपोर्टों का हवाला दिया। उन्होंने इस बात पर प्रकाश डाला कि नीति आयोग ने समानांतर रूप से ई-10 या बगैर मिक्सचर वाले पेट्रोल विकल्प की उपलब्धता की कमी पर भी चिंता व्यक्त की है।

सरकार का तर्क

सरकार की ओर से अटॉर्नी जनरल आर. वेंकटरमणी ने अदालत को बताया, "याचिकाकर्ता इंग्लैंड का निवासी है। क्या कोई बाहरी व्यक्ति यह तय करेगा कि कौन सा पेट्रोल इस्तेमाल करना है? गन्ना किसानों को इससे फायदा हो रहा है। क्या अब बाहरवाले हमें ऐसा न करने के लिए कहेंगे?" उन्होंने जोर देकर कहा कि सरकार ने सभी पहलुओं पर विचार करने के बाद नीति तैयार की है। उन्होंने कहा कि इस नीति से भारत के गन्ना किसानों को लाभ हो रहा है

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I'm Manu Shukla, a journalist based in Lucknow with roots in a small village. Driven by creativity, hard work and honesty, I aim to bring a fresh perspective to journalism. I've previously worked with Jan Express, a Lucknow-based news channel, and have now embarked on an enriching learning journey with Newstrack.

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