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लालू यादव चला रहे राहुल की शादी की बात! तेजस्वी ने चिराग को भी दिया सुझाव
Bihar Politics: चुनाव आयोग की स्वायत्तता पर सवाल उठाते हुए कहा कि अब आयुक्त की रक्षा के लिए कानून बना दिया गया है, ताकि कोई सवाल न पूछ सके।
Bihar Politics: राजनीति का मंच अब संसद से निकलकर शादी-ब्याह की मंडप जैसी लगने लगी है। लोकतंत्र के मर्म पर चर्चा हो न हो लेकिन कौन कब शादी करेगा, ये अब राजनेताओं की प्राथमिक चिंता बनती जा रही है। मामला शुरू हुआ चिराग पासवान से, जिन्हें राजनीति का रण छोड़कर वैवाहिक मंडप में बैठने की सलाह मिली। और सलाह देने वाले कोई और नहीं खुद तेजस्वी यादव हैं। जिन्हें अनुभव है शादी करके भी और राजनीति करके भी।
तेजस्वी जी का कहना है कि चिराग पासवान एक खास व्यक्ति के हनुमान हैं। अब यह खास व्यक्ति कौन हैं, इस पर देशभर में पंडित और पॉलिटिकल पंडित दोनों माथापच्ची कर रहे हैं। हनुमान जी वाले संदर्भ में राम कौन हैं, रावण कौन है। यह व्याख्या हर पार्टी अपने-अपने हिसाब से कर रही है। फिर जैसे ही सवाल गंभीर होने लगा तेजस्वी यादव ने विषय बदलते हुए सुझाव दे डाला कि हमारे बड़े भाई हैं चिराग, अब तो शादी कर ही लें। अब बताइए कौन नेता प्रेस कॉन्फ्रेंस में मूल्य आधारित लोकतंत्र छोड़कर मूल्य आधारित जीवनसाथी की सलाह देने लग जाए? राजनीति अब matchmaking portal जैसी लग रही है, जहाँ मुद्दों से ज़्यादा 'मंडप' पर फोकस है।
राहुल गांधी का जबाबी व्यंग्य: बात मुझ पर भी लागू होती है
तेजस्वी के इस बाण से माहौल गरम हुआ ही था कि राहुल गांधी जी ने सामने से ढाल बना ली और वो भी मुस्कान के साथ। तेजस्वी की बात मुझ पर भी लागू होती है। फिर तो प्रेस कॉन्फ्रेंस का माहौल अचानक रिश्तेदारों की बैठक जैसा हो गया, जिसमें कोई चाय लाते हुए पूछ रहा हो अच्छा लड़का है, शादी कब करोगे? राहुल गांधी ने इतना कहकर भी नहीं रुके, बल्कि बोले कि लालू जी से बातचीत चल रही है। और इस वाक्य के बाद जो कुटिल मुस्कान फैली, वो शायद बिहार की राजनीति में आने वाले गठबंधनों की हल्की झलक दे गई।
चुनाव आयोग और लोकतंत्र की रक्षा: बीच में आया असली मुद्दा
बीच-बीच में तेजस्वी यादव ने थोड़ा गंभीर होने की कोशिश भी की। बोले कि चुनाव आयोग पारदर्शी नहीं है, और ऐसा लगता है जैसे भाजपा के अधीन काम कर रहा हो। उन्होंने चुनाव आयोग की स्वायत्तता पर सवाल उठाते हुए कहा कि अब आयुक्त की रक्षा के लिए कानून बना दिया गया है, ताकि कोई सवाल न पूछ सके। यहाँ तक तो सब ठीक था। लेकिन अगले ही पल फिर से ध्यान भटक गया जब सवाल आया कि अब चिराग कब शादी करेंगे, और क्या राहुल गांधी लालू यादव की बेटी से शादी करने वाले हैं? यानी मुद्दे फिर वही पुराने हो गए कि देश रहेगा या दूल्हा बनेगा?
सियासत या शादी-सेटिंग?
जहाँ जनता ये उम्मीद कर रही थी कि महंगाई, बेरोज़गारी, चुनावी धांधली जैसे मुद्दों पर प्रेस कॉन्फ्रेंस होगी, वहां नेताओं ने शादी योग्य नेताओं की सूची जारी कर दी। अब इसमें कौन नंबर वन है चिराग या राहुल ये तो समय बताएगा। पर इतना तय है कि बिहार की राजनीति अब मंडप से संसद की ओर अग्रसर है। अगर यही चलता रहा तो अगली बार घोषणा पत्र नहीं रिश्ते की रजिस्टर कॉपी चुनाव में बांटी जाएगी।
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