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Turkish Apples Rejected: ठुकराए जा रहे तुर्की के सेब, अब कश्मीरियों की उम्मीदें जगीं
Turkish Apples Rejected: भारत में तुर्की के सेब बाजार में अपनी ख़ास जगह बनाई हुई है वजह है इनका सस्ता होना साथ ही ये सेब मार्च से जून तक आते हैं जब भारतीय किस्में बाजार में आना बंद होने लगती हैं।
Turkish Apples Rejected (Image Credit-Social Media)
Turkish Apples Rejected: देसी सेबों की तुलना में सस्ते होने के कारण तुर्की के सेब बाजार में अपनी जगह जमा चुके हैं और हिमाचली तथा कश्मीरी सेब निचले पायदान पर खिसक गए हैं। 2023-2024 में भारत ने तुर्की से 11.76 लाख टन सेब आयात किया था जो बताता है कि सेब के बाजार में तुर्की कहां है।
कई सालों से तुर्की के सेब मार्च से जून तक आते हैं, ठीक उस समय जब भारतीय किस्में बाजार में आना बंद होने लगती हैं। यानी ये दौर पीक सीज़न का है। बेचने वालों और खाने वालों को तो दामों से मतलब है सो उन्हें क्या पता कि तुर्की से कौन सा सेब आ रहा है और ईरान, अमेरिका से कौन सा। लेकिन देसी सेब उत्पादकों का कहना है कि तुर्की के सेब ने बाजार को नुकसान पहुंचाया है और लोकल फसलों के दामों को कम कर दिया है। इसीलिए कश्मीर घाटी के सेब उत्पादक लगातार अमेरिका, ईरान, तुर्की और अफ़गानिस्तान जैसे देशों से सेब पर 100 प्रतिशत आयात शुल्क लगाने की मांग कर रहे हैं। 2023 में तो भारत ने वाशिंगटन सेब पर 20 प्रतिशत काउंटर ड्यूटी भी हटा दी थी। अब ट्रम्प के टैरिफ प्रेशर के चलते भारत अमेरिकी सेब पर आयात शुल्क खत्म करने पर विचार कर रहा है, जिससे उत्पादकों में चिंता और बढ़ गई है।
तुर्की के सेब मिडिल इनकम ग्रुप में आते हैं। अमेरिका या न्यूजीलैंड से इम्पोर्ट किये सेब प्रीमियम क्वालिटी के होते हैं सो उनकी तुलना में तुर्की वाले सस्ते लेकिन भारतीय, ईरानी या अफगान किस्मों की तुलना में महंगे होते हैं।
कश्मीरी सेब
जम्मू और कश्मीर में सालाना 20 लाख टन से अधिक सेब का उत्पादन होता है और करीब सात लाख परिवार इसी खेती पर निर्भर हैं। अब पाकिस्तान का साथ देने पर तुर्की की खिलाफत हो रही है और दिल्ली से लेकर लखनऊ तक के मंडी आढ़ती तुर्की के सेब की मुखालफत कर रहे हैं।
वैसे बता दें कि तुर्की से रिश्ता सिर्फ लाल लाल सेबों से ही नहीं है बल्कि तमाम अन्य चीजों से भी है। भारत और तुर्की के बीच व्यापार कई क्षेत्रों में फैला हुआ है। अप्रैल से फरवरी 2024-25 की अवधि में भारत ने तुर्की से 2.84 बिलियन डॉलर का सामान आयात किया, जबकि 2023-24 में यह 3.78 बिलियन डॉलर था। ये आयात भारत के कुल आयात बास्केट का लगभग 0.5% है।
सबसे प्यारा फल
बहरहाल, बात सेब की हो रही है तो बता दें कि गर्म जलवायु वाले फलों में सेब दुनिया में सबसे ज़्यादा पैदा होने वाला फल है। ये भी जान लीजिए कि दुनिया में सबसे ज्यादा खाये जाने वाले फलों में सेब दूसरे नम्बर पर है। नम्बर एक पर केला है।
सेब उत्पादन के लिए इस्तेमाल किया जाने वाला क्षेत्र 5 मिलियन हेक्टेयर से ज़्यादा है। सबसे ज़्यादा सेब पैदा करने वाले देश चीन, यूरोपीय यूनियन, अमेरिका और तुर्की हैं। सेब के व्यापार लगभग 40 बिलियन डॉलर का है। सेब
लोकप्रिय किस्में
सेब की सबसे लोकप्रिय किस्में मोंडियल गाला, ब्रेबर्न, टॉप रेड, जोनागोल्ड, पिनोवा, फ़ूजी, समर रेड, क्राउनगोल्ड, सैंटाना, ग्रैनी-स्मिथ, गोल्डन डिलीशियस और रेड चीफ हैं।सेब का इस्तेमाल ताज़े फल, जूस, वाइन और सिरके के रूप में भी किया जाता है।
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